वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

एशिया-प्रशान्त: सार्वजनिक क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश के लिए, नज़रिया बदलना ज़रूरी

एशिया और प्रशांत क्षेत्र में रोज़गार में थोड़ा सुधार दर्ज किया गया है.
ILO
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में रोज़गार में थोड़ा सुधार दर्ज किया गया है.

एशिया-प्रशान्त: सार्वजनिक क्षेत्र में दीर्घकालिक निवेश के लिए, नज़रिया बदलना ज़रूरी

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोग (ESCAP) ने हाल ही में वर्ष 2024 के लिए एशिया एवं प्रशान्त क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण में बताया है कि इस क्षेत्र के विभिन्न देशों में सरकारें, एसडीजी प्राप्ति के लिए, किस तरह वित्त हासिल कर सकती हैं. इसमें, दानदाताओं के सहयोग से लेकर, सार्वजनिक राजस्व प्रणालियों में सुधार करके किफ़ायती वित्तपोषण को बढ़ावा देने जैसे कई उपायों का उल्लेख है.

संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय आयोग (ESCAP) द्वारा जारी इस आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण में, एशिया एवं प्रशान्त क्षेत्र में स्थित विकासशील देशों की सरकारों को तुरन्त किफ़ायती एवं दीर्घकालिक वित्त-पोषण मुहैया करवाने पर ज़ोर दिया गया है. 

Tweet URL

यह इसलिए भी ज़रूरी हो गया है क्योंकि फ़िलहाल इनमें से अनेक देश, उच्च ब्याज़ दरों वाला ऋण चुकाने या अपने नागरिकों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सामाजिक सुरक्षा में संसाधन निवेश करने में से कोई एक विकल्प चुनने के लिए मजबूर हो गए हैं. 

ESCAP की इस नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि लम्बे समय से चली आ रही इस चुनौती का समाधान,  नए दृष्टिकोण अपनाकर किया जा सकता है. 

दानदाताओं को, राजनैतिक हितों के बजाय, लाभार्थी देशों की विकास सम्बन्धी वित्तपोषण आवश्यकताओं को प्राथमिकता देनी होगी. बहुपक्षीय विकास बैंकों को अपनी ऋण देने की क्षमता में सुधार करना होगा और नवीन पूँजी निवेश करने होंगे. 

क्रैडिट रेटिंग एजेंसियों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हुए यह समझना होगा कि विकास की साझा महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए, सार्वजनिक निवेश से राजकोषीय विश्वसनीयता बढ़ती है.

घरेलू स्तर पर, सर्वेक्षण में सिफ़ारिश की गई है कि मज़बूत सार्वजनिक राजस्व संग्रह से न केवल "कर अन्तर" कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि राजकोषीय जोखिम व त्रृण लेने की लागत भी घटेगी. 

कर प्रशासन के डिजिटलीकरण के अलावा, समाज में कर भुगतान करने की इच्छा बढ़ाने की नीतियों से अनगिनत लाभ हो सकते हैं. 

इसी प्रकार, क्षेत्र में विशाल सत्र पर घरेलू बचत को प्रोत्साहन देने व सतत विकास लक्ष्यों में निवेश के लिए पूँजी की दीर्घकालिक आपूर्ति बढ़ाने के लिए अधिक विकसित पूँजी बाज़ारों की आवश्यकता है.

असमानताएँ बढ़ने का ख़तरा

यूएन महसाचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है, “एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के विकासशील देशों की सरकारें अन्यायपूर्ण, पुरातन व निष्क्रिय वैश्विक वित्तीय प्रणाली की शिकार हैं. उन्हें राजकोषीय बाधाओं, कम ऋण परिपक्वता के साथ, बढ़ती ऋण दरों और भारी ऋण बोझ का सामना करना पड़ता है.”

रिपोर्ट में, हाल के वर्षों में अनेक देशों में मुद्रास्फ़ीति के लिए समायोजित राष्ट्रीय न्यूनतम मज़दूरी मूल्य में गिरावट आने के कारण, क्षेत्र में आय असमानताएँ बढ़ने की सम्भावना भी व्यक्त की गई है. 

इससे कम आय वाले समूहों के लिए रोज़गार के अवसर कमज़ोर पड़ेंगे व लोगों की खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों से निपटने की क्षमता पर बड़ा असर पड़ेगा.

संयुक्त राष्ट्र में अवर-महासचिव और संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग की कार्यकारी सचिव, आर्मिडा सालसियाह अलिसजहबाना का कहना है, “यह ग़लतफ़हमी दूर करना ज़रूरी है कि उच्च सार्वजनिक ऋण स्तर से उच्च ऋण संकट पैदा होता है. 

वास्तव में,  सोची-समझी रणनीति के तहत एसडीजी में निवेश करने से न केवल लोगों व पर्यावरण को लाभ होता है, बल्कि लम्बी अवधि में सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सार्वजनिक ऋण को कम करने में भी मदद मिलती है.”

रिपोर्ट के मुताबिक़, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के विकासशील देशों में औसत आर्थिक वृद्धि 2022 में 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 4.8 प्रतिशत हो गई, हालाँकि यह उछाल कुछ बड़े देशों में ही देखा गया था. 

क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि अपेक्षाकृत स्थिर रहने का अनुमान है. अनिश्चित मुद्रास्फ़ीति और ब्याज़ दर के रुझान, एवं भू-राजनैतिक तनाव तथा व्यापार में बिखराव में वृद्धि, आर्थिक प्रतिकूलता के उदाहरण हैं, जिनका सामना क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाएँ कर रही हैं.