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सभी के लिए सौर ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ाने और दूरगामी इलाक़ों पर ख़ास ध्यान देने पर ज़ोर

श्रीलंका के गाँवों में घरों रौशनी के लिए सौर ऊर्जा का ख़ूब इस्तेमाल हो रहा है (अक्तूबर 2007)
World Bank/Dominic Sansoni
श्रीलंका के गाँवों में घरों रौशनी के लिए सौर ऊर्जा का ख़ूब इस्तेमाल हो रहा है (अक्तूबर 2007)

सभी के लिए सौर ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ाने और दूरगामी इलाक़ों पर ख़ास ध्यान देने पर ज़ोर

जलवायु और पर्यावरण

पर्यावरण सुधार की दिशा में प्रयासों के तहत सौर ऊर्जा में भारी निवेश की हिमायत करने और उसके उपाय तलाश करने के लिए हाल ही में बैंकाक में एक महत्वपूर्ण परिचर्चा हुई.  परिचर्चा में शिरकत करने वाले  पक्षों के प्रतिनिधियों ने और ज़्यादा सौर क्षमता हासिल करने के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए और ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया.

28 मई को हुई इस परिचर्चा में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP), भारत, फ्रांस और अंतरराष्ट्रीय सोलर अलांयस (ISA) ने शिरकत की.

अंतरराष्ट्रीय सोलर अलांयस के महानिदेशक उपेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि सौर ऊर्जा ऐसे इलाक़ों में पहुँचाने पर ज़्यादा ज़ोर होना चाहिए जहाँ तक बुनियादी मशीनरी की पहुँच बहुत मुश्किल होती है जबकि उन इलाक़ों को सौर ऊर्जा की बहुत ज़रूरत होती है.

इनमें द्वीप क्षेत्र शामिल हैं. उनका कहना था कि अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा अलांयस की कोशिश ना सिर्फ़ इस क्षेत्र में ज़्यादा से ज़्यादा धन निवेश करने को प्रोत्साहित करना है बल्कि ऐसे इलाक़ों तक ऊर्जा पहुँचाने की भरसक कोशिश करना भी है जहाँ सौर ऊर्जी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.

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इस सौर ऊर्जा परिचर्चा का आयोजन अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा अलांयस और ESCAP ने किया. ये दोनों संगठनों ने सौर ऊर्जा क्षेत्र में साझीदारी बढ़ाने के लिए समझौता पत्र पर दस्तख़त किए गए हैं.

इस मौक़े पर संयुक्त राष्ट्र के अपर महासचिव और ESCAP के कार्यकारी महासचिव अरमीडा सैलसिया ऐलिसजाहबना का कहना था, “हम आई एस ए के साथ हुए समझौत्रा पत्र पर गंभीरता से अमल किए जाने की प्रक्रिया का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं. सौर ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले प्रयासों से टिकाऊ विकास लक्ष्य संख्या 7 को हासिल करने में सीधे तौर पर मदद मिलती है. इसमें टिकाऊ, आधुनिक और नवीकृत उर्जा के साधनों तक सभी की आसान पहुँच बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.”

थाईलैंड के लिए भारत की राजदूत सुचित्रा दुरई ने इस मौक़े पर कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में जलवायु परिवर्तन को कम करने की भी क्षमता है.

“सौर ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ावा देना भारत सरकार की जलवायु परिवर्तन की चुनौती का मुक़ाबला करने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण रणनीति रही है. इस रणनीति में ज़मीनी स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और देश में विकास क्षेत्र में अनुभव को इस्तेमाल करना शामिल रहा है.”  

थाईलैंड के लिए फ्रांस के राजदूत जैक्वाँ लॉपों ने प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि सौर ऊर्जा की उपलब्धता को राष्ट्रीय एजेंडा में सर्वोच्च स्थान दिया जाए.

उनका कहना था कि नवीनीकृत ऊर्जा की उपलब्धता और उस तक सभी की आसान पहुँच संभव बनाना एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है. फ्रांस और भारत आई एस ए की कामयाबी के लिए प्रतिबद्ध हैं.

फिजी की महिला, बाल और ग़रीबी उन्मूलन मामलों की मंत्री मेरेसीनी वूनीवाक़ा ने क्षेत्रीय स्तर पर सामूहिक कार्रवाई का आहवान करता हुए कहा कि ये ध्यान रखने की बात है कि टिकाऊ ऊर्जा के क्षेत्र में उपलब्धियों से पूरे क्षेत्र को ही फ़ायदा होने वाला है.

“जब जलवायु परिवर्त की चुनौती की बात होती है तो सभी एक ही नाव में सवार होने के समान हैं, कोई भी उसके प्रभावों से बचा नहीं रह सकता. सौर ऊर्जा टिकाऊ है और आसानी से उपलब्ध होने वाला संसाधन भी है. ये बहुत अहम है कि हम सभी नई खोज करने की प्रवृत्तियों के ज़रिए नई-नई साझीदारी गठित करनी होंगी, असाधारण समाधान तलाश करने होंगे और निजी क्षेत्र को बढ़-चढ़कर शामिल करना होगा.”

ध्यान दिला दें कि आई एस ए संधि पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो 2015 में वजूद में आया था.

इसका मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ाने के रास्ते में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के उपाय सुझाना और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए धन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए मिलीजुली कार्रवाई करना है.