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#CSW68: 'दैनिक कॉफ़ी के बराबर ख़र्च', लैंगिक हिंसा की रोकथाम में धन निवेश का मुद्दा

महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) की वार्षिक 68वीं बैठक के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने, यूएन वीमैन के साथ मिलकर, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम में संसाधन निवेश विषय पर एक संगोष्टि आयोजित की.
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महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) की वार्षिक 68वीं बैठक के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने, यूएन वीमैन के साथ मिलकर, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम में संसाधन निवेश विषय पर एक संगोष्टि आयोजित की.

#CSW68: 'दैनिक कॉफ़ी के बराबर ख़र्च', लैंगिक हिंसा की रोकथाम में धन निवेश का मुद्दा

महिलाएँ

महिलाओं की स्थिति पर आयोग की वार्षिक 68वीं बैठक में, महिला-मज़बूती से सम्बन्धित अनेक मुद्दों पर चर्चा हो रही है. इनमें एक मुद्दा लैंगिक हिंसा की रोकथाम के लिए संसाधन निवेश का भी है. यूएन वीमैन का कहना है कि लैंगिक समानता हासिल करने के लिए इतनी रक़म की दरकार है, जितनी रक़म हम, हर दिन कॉफ़ी पीने पर ख़र्च कर देते हैं. 

इसी विषय पर चर्चा के लिए, यूएन वीमैन और संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने, बुधवार को एक विचार गोष्ठि का आयोजन किया. 

महिला मज़बूती के लिए कार्यरत संयुक्त राष्ट्र संस्था – UN Women में रणनैतिक साझेदारी विभाग के निदेशक डैनियल सीमौर ने संगोष्ठि का आरम्भ करते हुए कहा कि लैंगिक समानता के बारे में अधिकतर कथनी और करनी में अन्तर देखा जाता है और महिलाओं की स्थिति पर आयोग में, आमतौर पर इसी अन्तर को दूर करने के उपायों पर चर्चा होती है.

उन्होंने कहा कि आँकड़ों से मालूम होता है कि लैंगिक समानता के लिए धन मुहैया कराने की बातें तो बहुत होती हैं मगर वास्तविकता इससे अलग है.

उन्होंने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के बहुस्तरीय प्रभाव होते हैं, जिनमें आर्थिक प्रभाव भी शामिल हैं. इनसे महिलाओं की निर्धनता और आर्थिक कठिनाइयों का जोखिम बढ़ता है. इसके अलावा महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा, आज के समय में दुनिया भर में एक गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघन भी है.

डैनियल सीमौर ने बताया कि यूएन वीमैन दुनिया भर में देशों की सरकारों और साझीदारों को, ऐसे संस्थान व नीतियाँ विकसित करने में मदद करता है जिनसे हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का शिकार होने वालों को न्याय और सहायता तक पहुँच सुनिश्चित हो सके.

यूएन महिला संस्था, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम के लिए, सबूतों पर आधारित कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को भी समर्थन देता है.

यूएन वीमैन के, रणनैतिक साझेदारी विभाग के निदेशक, डैनियल सेयमूर ने, CSW68 के अवसर, भारतीय मिशन द्वारा 20 मार्च 2024 को आयोजित संगोष्ठि में शिरकत की.
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दैनिक कॉफ़ी ख़र्च के बराबर

डैनियल सैमूर ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इस चुनौती का मुक़ाबला करने के लिए गम्भीर प्रयासों की ज़रूरत है और उनमें भी सरकार और समाज के स्तर पर सक्रिय कार्रवाई की दरकार है.

उन्होंने कहा कि लोग बात करते हैं कि दुनिया भर में, हर साल लगभग $2.2 ट्रिलियन की रक़म, रक्षा बजट पर ख़र्च की जाती है, जबकि लैंगिक समानता हासिल करने के लिए हर साल केवल $36 करोड़ डॉलर की रक़म की ही आवश्यकता है.

“यह रक़म दरअसल उतनी है जितनी हम हर दिन कॉफ़ी के कुछ कप पीने पर ख़र्च कर देते हैं.” 

उन्होंने कहा कि इसलिए यह लक्ष्य हमारी पहुँच से दूर नहीं होना चाहिए.

विशाल मुद्दा

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में एक वरिष्ठ राजदूत सुमन सोनकर ने, इस विषय पर कहा कि लैंगिक हिंसा एक ऐसा मुद्दा है जो आयु, नस्ल, धर्म या सामाजिक-आर्थिक दर्जे का ख़याल किए बिना, सभी व्यक्तियों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करता है.

उन्होंने कहा, “यह एक जटिल और बहुमुखीय समस्या है जिसका उन्मूलन करने के लिए, व्यक्तियों, समुदायों और सरकारों के एकजुट प्रयासों की दरकार है.”

सुमन सोनकर ने कहा कि भारत इस मुद्दे पर बहुत गम्भीर रुख़ रखता है, और भारत ने महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से छुटकारा पाने के लिए, अनेक क़ानून व नीतियाँ लागू किए हैं. उन्होंने इस सन्दर्भ में मिशन शक्ति का उदाहरण दिया जिसमें, महिला-मज़बूती और और महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा का मुक़ाबला, दो योजनाओं के तहत किया जाता है, जिनके नाम हैं – सम्बल और सामर्थ्य.

उन्होंने मौजूदा लैंगिक अवधारणाओं में बदलाव लाने की ख़ातिर अधिक से अधिक संसाधन निवेश करने के लिए, सरकार के तमाम क्षेत्रों, सिविल सोसायटी और निजी सैक्टर में, सभी से एकजुट होने का आग्रह किया.

इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग यहाँ देखी जा सकती है: