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‘हमें पुरुष प्रधान मानसिकता का मुक़ाबला करते रहना होगा’, एंतोनियो गुटेरेश

बांग्लादेश में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा समाप्ति की मांग करने के लिए, Orange the World एक आन्दोलन चलाया गया था.
© UN Women/Magfuzur Rahman Shana
बांग्लादेश में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा समाप्ति की मांग करने के लिए, Orange the World एक आन्दोलन चलाया गया था.

‘हमें पुरुष प्रधान मानसिकता का मुक़ाबला करते रहना होगा’, एंतोनियो गुटेरेश

महिलाएँ

महिलाओं के अधिकारों पर हमले हो रहे हैं, और देशों की सरकारों को इस ख़तरनाक चलन को पलटने के लिए, कार्रवाई करनी होगी. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने यह आहवान, मुख्यालय में, महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW68) के वार्षिक सत्र के मौक़े पर, सिविल सोसायटी कार्यकर्ताओं की एक विशाल बैठक में किया है.

इस आयोग के सत्र के साथ-साथ आयोजित अनेक कार्यक्रमों में, दुनिया भर में महिलाओं के लिए बदतर होते हालात पर प्रकाश डाला जा रहा है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं की एक टाउन हॉल बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा, “दशकों की प्रगति के बाद, महिलाओं के अधिकारों को कमज़ोर किया जा रहा है और प्रगति को पलटा जा रहा है.”

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यूएन प्रमुख ने कुछ चिन्ताजनक उदाहरण पेश करते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर गम्भीर प्रतिबन्ध लगाए जा रहे हैं, इसराइल-फ़लस्तीन टकराव में यौन हिंसा होने की ख़बरें हैं और पुरुष प्रधान व्यवस्था व मानसिकता, महिलाओं के अधिकारों के क्षेत्र में कड़ी मेहनत से हासिल की गई प्रगति को पलटने की कोशिश कर रही हैं.

उन्होंने कहा, “मेरी पीढ़ी की महिलाओं ने अपने अधिकारों की लड़ाई इसलिए नहीं जीती है कि उनकी पुत्रियों और पोतियों को भी इसी तरह की जंग लड़नी पड़ेगी.”

समानता के लिए संसाधन निवेश की दरकार

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि राजनैतिक शक्ति क्षेत्र से लेकर, पुरुष प्रधान कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक, देशों की सरकारों और सिविल सोसायटी को साथ मिलकर, महिलाओं को शान्ति निर्माण, डिजिटल खाई को पाटने और लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए तमाम प्रयासों में शामिल किए जाने के लिए काम करना होगा.

उन्होंने कहा कि भले ही पित्रसत्तात्मक व्यवस्था, पलटवार कर रही हो, मगर हम भी अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं. उन्होंने देशों की सरकारों को, महिलाओं व लड़कियों के लिए समान अधिकारों और अवसरों की ख़ातिर, संसाधन निवेश करने का आहवान किया.

यूएन प्रमुख ने कहा, “मैं एक ऐसी दुनिया की ख़ातिर अपना संघर्ष नहीं रोकूंगा, जो महिलाओं और लड़कियों के लिए कारगर साबित हो.”

“लैंगिक समानता का सवाल, शक्ति का एक प्रश्न है. मेरा अनुभव बताता है कि शक्ति कभी भी दी नहीं जाती है, शक्ति हासिल की जाती है.”

ग़ाज़ा में हर दिन 50 महिलाओं की मौत

बुधवार को ही, यूएन एजेंसियों और साझीदारों द्वारा आयोजित एक विचार गोष्ठि में, युद्धग्रस्त ग़ाज़ा में महिलाओं और बच्चों की स्थिति पर भी चर्चा की गई.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA की हेली ऊसीकायला ने ग़ाज़ा की मौजूदा ज़मीनी स्थिति का एक जायज़ा पेश करते हुए कहा कि ग़ाज़ा में निरन्तर बमबारी और हमलों के हालात में, महिलाएँ और लड़कियाँ, सबसे निर्बल परिस्थितियों में हैं.

उन्होंने कहा कि मौजूदा युद्ध शुरू होने के बाद से, 31 हज़ार से अधिक आम लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें लगभग 9 हज़ार महिलाएँ और 13 हज़ार से अधिक बच्चे हैं.

उन्होंने बताया कि यूएन वीमैन की रिपोर्ट के अनुसार, ग़ाज़ा में, हर दिन औसतन 53 महिलाओं की मौत हो रही है.

हेली ऊसीकायला ने बताया कि बहुत से लोगों को कई दिनों तक भोजन बिना ही गुज़ारने पड़ रहे हैं और लगभग एक लाख 55 हज़ार महिलाएँ कुपोषण की शिकार हैं.

यूएन प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA की एक पदाधिकारी लायला बेकर ने कहा कि हज़ारों गर्भवती महिलाओं को उस तरह का भोजन नहीं मिल पा रहा है जिसकी उन्हें ज़रूरत है, और औसतन 180 महिलाएँ, हर दिन अपने बच्चों को जन्म दे रही हैं.

अकाल से केवल एक क़दम दूर

उन्होंने कहा कि भोजन का अभाव या भुखमरी की स्थिति, इस समय घातक स्तर पर है और हर दिन लोगों को जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.

“5 लाख से अधिक लोग, एक ऐसे समाज में अकाल से केवल एक क़दम दूर हैं, जहाँ अकाल के बारे में कभी सुना भी नहीं गया.”

उन्होंने ग़ाज़ा में तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने की पुकार लगाते हुए, जनवरी (2024) में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के उस निर्णय को लागू किए जाने का भी आहवान किया, जिसमें इसराइल को कुछ अन्तरिम उपाय लागू करने का निर्देश दिया गया था.