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CSW67 की प्रमुख मथु जोयिनि ने आधिकारिक रूप से कार्यक्रम का समापन किया.

महिलाओं की स्थिति पर आयोग की वार्षिक बैठक: #CSW68 से जुड़ी अहम बातें

UN Women/Ryan Brown
CSW67 की प्रमुख मथु जोयिनि ने आधिकारिक रूप से कार्यक्रम का समापन किया.

महिलाओं की स्थिति पर आयोग की वार्षिक बैठक: #CSW68 से जुड़ी अहम बातें

महिलाएँ

महिलाओं की स्थिति पर यूएन आयोग (CSW) की वार्षिक बैठक हर वर्ष मार्च महीने में आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य मौजूदा लैंगिक असमानताओं से निपटना और महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा व भेदभाव को दूर करना है.

संयुक्त राष्ट्र के इस महत्वपूर्ण आयोजन से जुड़ी पाँच अहम बातें:

1. आठ दशकों से ठोस कार्रवाई के प्रयास

महिलाओं की स्थिति पर आयोग का कामकाज यूएन महासभा की आरम्भिक बैठकों के कुछ ही दिन बाद वर्ष 1946 में शुरू हुआ था. 

अमेरिका की पूर्व प्रथम महिला इलेनॉर रूज़वेल्ट और देश के प्रतिनिधिमंडल ने विश्व की महिलाओं के नाम लिखे गए एक पत्र में, विश्व सरकारों से आग्रह किया था कि हर स्थान पर राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय मामलों में, महिलाओं को और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना होगा.

साथ ही, महिलाओं से अपील की गई थी उन्होंने जिस तरह, युद्ध व प्रतिरोध में ज़िम्मेदारी साझा की, वैसे ही उन्हें शान्ति व पुनर्निर्माण के कार्य में आगे बढ़कर काम करना होगा.

आर्थिक व सामाजिक मामलों के यूएन आयोग (ECOSOC) ने एक उप-आयोग की स्थापना की, जिसमें कुछ सदस्यों – चीन, डेनमार्क, डोमिनिकन रिपब्लिक, फ़्राँस, भारत, लेबनान और पोलैंड – का दायित्व महिलाओं की स्थिति के सम्बन्ध में समस्याओं की समीक्षा करना था.

साथ ही, इस विषय में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र आयोग को परामर्श दिया जाना था.

सदस्यों ने, अपनी पहली रिपोर्ट में, इस उप-आयोग का कामकाज तब तक जारी रखने पर बल दिया जब तक महिलाएँ, मानव उद्यम के हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी पर नहीं पहुँच जाएँ.

महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के उप आयोग के सदस्य, न्यूयॉर्क के हण्टर कॉलेज में, 14 मई 1946 को एक प्रेस वार्ता करते हुए. इनमें सबसे दाईं तरफ़ डॉक्टर हंसा मेहता नज़र आ रही हैं.
UN Photo
महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के उप आयोग के सदस्य, न्यूयॉर्क के हण्टर कॉलेज में, 14 मई 1946 को एक प्रेस वार्ता करते हुए. इनमें सबसे दाईं तरफ़ डॉक्टर हंसा मेहता नज़र आ रही हैं.

शुरुआती दिनों से ही राजनैतिक अधिकारों को प्राथमिकता देने की पुकार लगाई गई, चूँकि यह अन्देशा था कि इन अधिकारों के अभाव में प्रगति मुश्किल होगी.

साथ ही, नागरिक शास्त्र, शैक्षिक, सामाजिक व आर्थिक क्षेत्रों के लिए सिफ़ारिशें जारी की गईं ताकि समस्याओं को दूर करने के लिए एक साथ सभी दिशाओं में क़दम उठाए जा सकें. 

इस पृष्ठभूमि में, रिपोर्ट में कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए, एक संयुक्त राष्ट्र महिला सम्मेलन आयोजित किए जाने की भी अपील की गई थी. 

जून 1946 तक यह औपचारिक रूप से महिलाओं की स्थिति पर आयोग (Commission on the Status of Women) के रूप में आकार ले चुका था. आर्थिक व सामाजिक मामलों के यूएन आयोग के अधीनस्थ निकाय के तौर पर. 

इस आयोग ने, 1947 से 1962 के दौरान, मानक स्थापित करने, अन्तरराष्ट्रीय सन्धियों का प्रारूप तैयार करने पर बल दिया, ताकि भेदभावपूर्ण क़ानूनों को बदला जाए और महिला मुद्दों पर वैश्विक जागरूकता का प्रसार हो सके.

इथियोपिया के बिरेसॉ की एक किसान.
© World Bank/Dana Smillie
इथियोपिया के बिरेसॉ की एक किसान.

2. महत्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय समझौतों पर सहमति

शुरुआती दिनों में, आयोग की बढ़ती सदस्यता के साथ ही, संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में कुछ सबसे व्यापक सहमति वाली अन्तरराष्ट्रीय सन्धियाँ हुईं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

आयोग ने, मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के लिए मसौदा समिति की अध्यक्ष, ऐलेनोर रूज़वेल्ट की मदद करते हुए, पुरुषों को मानवता का पर्याय मानने के विरुद्ध सफलतापूर्वक तर्क दिया. इसके बाद, 1948 में महासभा द्वारा अपनाए गए अन्तिम संस्करण में नई, अधिक समावेशी भाषा भी समायोजित की गई.

1963 में, महिलाओं के अधिकारों पर मानकों को मज़बूत करने के प्रयासों में, महासभा ने आयोग से महिलाओं के ख़िलाफ़ भेदभाव के उन्मूलन पर एक घोषणा-पत्र तैयार करने का अनुरोध किया, जिसे विश्व समुदाय ने 1967 में अपनाया.

1995 में, लैंगिक समानता पर प्रमुख वैश्विक नीति दस्तावेज़, ‘बीजिंग घोषणा और कार्रवाई मंच’ को पारित करने में भी CSW की महत्वपूर्ण भूमिका थी.

स्थानीय बाज़ार में वन उत्पाद बेचती आदिवासी समुदाय की एक महिला.
UNDP India
स्थानीय बाज़ार में वन उत्पाद बेचती आदिवासी समुदाय की एक महिला.

3. अधिक देश, अधिक आवश्यकताएँ

1960 के दशक में संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता बढ़ती गई, साथ ही ऐसे साक्ष्य भी सामने आने लगे कि महिलाएँ ग़रीबी से असमान रूप से प्रभावित थीं. इसके मद्देनज़र, CSW ने समुदाय व ग्रामीण विकास, कृषि कार्य, परिवार नियोजन और वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास में महिलाओं की ज़रूरतों पर ध्यान केन्द्रित किया. 

विशेष रूप से, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली को विकासशील देशों में महिलाओं की उन्नति के लिए तकनीकी सहायता का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

CSW ने इस सम्बन्ध में आगे जाकर, 1979 में महिलाओं के ख़िलाफ़ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन (CEDAW) पर क़ानूनी रूप से बाध्यकारी कनवेन्शन का मसौदा तैयार किया.

इसी दशक में संयुक्त राष्ट्र ने, 1975 को अन्तरराष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया और मैक्सिको में महिलाओं पर पहला विश्व सम्मेलन आयोजित किया. 1977 में, संयुक्त राष्ट्र ने औपचारिक रूप से अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दी, जो 8 मार्च को मनाया जाता है.

2010 में, वर्षों की चर्चा के बाद, महासभा ने संगठन के सम्बन्धित वर्गों व विभागों को लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र इकाई, UN Women में समाहित करने हेतु एक संकल्प अपनाया, जो आज भी आयोग के साथ मिलकर अपने प्रयास जारी रखे हुए है.

निजेर में एक महिला पहले क्षरण का शिकार हो चुकी भूमि में सब्ज़ियाँ उगा रही है.
© UNHCR/Colin Delfosse
निजेर में एक महिला पहले क्षरण का शिकार हो चुकी भूमि में सब्ज़ियाँ उगा रही है.

4. उभरती हुई चुनौतियों से निपटना

वार्षिक सत्रों में, ‘बीजिंग कार्रवाई मंच’ को लागू करने में हो रही प्रगति और मौजूदा खाइयों के साथ-साथ, उभरते मुद्दों का आकलन किया जाता है. 

उसके बाद सदस्य देश, प्रगति को गति देने के लिए भविष्य के क़दमों पर सहमत होते हैं. 2018 से, CSW ने जलवायु परिवर्तन, लिंग आधारित हिंसा, और टिकाऊ विकास रणनीतियों में महिलाओं की पूर्ण भागेदारी सुनिश्चित करने जैसी चुनौतियों के लिए समाधान प्रस्तुत किए हैं.

CSW, प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए, कार्य के बहु-वर्षीय कार्यक्रमों को अपनाने और ‘कार्रवाई मंच’ के क्रियान्वयन में तेज़ी लाने के लिए, सिफ़ारिशें लागू करने के इरादे से, यूएन आर्थिक व सामाजिक परिषद-ECOSOC को, निष्कर्ष भेजता है.

यह आयोग, सभी महिलाओं तक पहुँचने और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ने की दृष्टि से, लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण की प्राप्ति में तेज़ी लाने के लिए, टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा की प्रगति पर नज़र रखने में भी योगदान देता है.

यमन में एक महिला, फ़ोन और कम्प्यूटर मरम्मत की एक दुकान पर काम करते हुए.
© ILO/Ahmad Al-Basha/Gabreez
यमन में एक महिला, फ़ोन और कम्प्यूटर मरम्मत की एक दुकान पर काम करते हुए.

5. वादों को वास्तविकता के धरातल पर उतारना

महिलाओं की निर्धनता का अन्त करने के लिए समाधानों को व्यापक स्तर पर पहचान दी गई है. इनके तहत, लैंगिक विषमताओं से निपटने पर केन्द्रित नीतियों व कार्यक्रमों में निवेश करना, महिलाओं की स्व-निर्णय क्षमता को मज़बूत करना और रोज़गार क्षेत्र में लैंगिक खाई को पाटना अहम है.

इन उपायों के ज़रिये 10 करोड़ से अधिक महिलाओं व लड़कियों को निर्धनता के चक्र से बाहर निकालने में मदद मिल सकती है, 30 करोड़ रोज़गारों का सृजन हो सकता है और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में सभी क्षेत्रों में 20 फ़ीसदी तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है.

2024 में, विश्व में क़रीब ढाई अरब लोग विभिन्न देशों में चुनावों के दौरान अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, और उनके पास लैंगिक समानता में निवेश का स्तर बढ़ाने की मांग करने की शक्ति है.

ऐसे ही अहम मुद्दों को 2024 के CSW सत्र में सम्बोधित किया जाएगा, जहाँ 45 सदस्य और विश्व भर से आए हज़ारों प्रतिभागी लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण को हासिल करने में तेज़ी लाने के उपायों पर चर्चा करेंगे. 

इसके लिए निर्धनता को दूर करने, संस्थाओं को मज़बूत करने और लैंगिक ज़रूरतों के अनुरूप योजनाओं व कार्यक्रमों के वित्त पोषण पर बल दिया जाएगा.  

इस वर्ष, महिलाओं की स्थिति पर आयोग की वार्षिक बैठक न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में 11 से 22 मार्च तक आयोजित होगी. इस विषय में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

CSW के अतीत और वर्तमान के बारे में अधिक जानने के लिए, महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र महिला आयोग का संक्षिप्त इतिहास देखें.