यमन: युद्ध का एक नया चक्र शुरू होने का जोखिम
यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने, देश में एक राष्ट्रव्यापी युद्धविराम तुरन्त लागू किए जाने और लोगों के जीवन-यापन के हालात में सुधार करने के लिए, उपाय किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.
हैंस ग्रुंडबर्ग ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद को, यमन की ताज़ा स्थिति की जानकारी देते हुए, ऐसे अहम पड़ाव, रमदान तक हासिल किए जाने में नाकामी पर निराश व्यक्त की जिनकी मांग, देश के आम लोग कर रहे हैं.
उन्होंने राजदूतों को बताया, “जैसाकि मैंने पिछले महीने जानकारी दी थी कि मध्यस्थता के लिए स्थान और भी अधिक जटिल हो गया है. अब भी यही स्थिति है.”
यमन दूत ने कहा, “वैसे तो हमने, शान्ति प्रक्रिया को, ग़ाज़ा युद्ध भड़कने के बाद से क्षेत्रीय घटनाक्रमों से महफ़ूज़ रखने की कोशिश की है, मगर वास्तविकता ये है कि... क्षेत्र में जो कुछ भी होता है, उसका प्रभाव यमन पर पड़ता है – और यमन जो कुछ होता है, उसका प्रभाव भी क्षेत्र पर पड़ सकता है.”
‘युद्ध के एक नए चक्र’ का जोखिम
विशेष दूत हैंस ग्रुंडबर्ग ने, हाल ही में हूथी विद्रोहियों द्वारा लाल सागर और अदन की खाड़ी में, जहाज़ों पर हमले किए जाने से उत्पन्न जटिलताओं को, ख़ासतौर से रेखांकित किया. हूथी विद्रोहियों को अंसार अल्लाह के नाम से भी जाना जाता है.
संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा किए गए जवाबी हमलों ने, तनाव के साथ-साथ, एक व्यापक टकराव की सम्भावित वापसी सम्बन्धित चिन्ताएँ भी बढ़ा दी हैं.
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अनेक हित दाँव पर होने के साथ, यमन में युद्ध से सम्बन्धित पक्षों द्वारा, पैंतरेबाज़ी और बातचीत के एजेंडा में बदलाव करने की सम्भावना है.
“अगर सबसे ख़राब परिदृष्य की कल्पना करें तो ये पक्ष, ऐसी प्रयोगात्मक या साहसिक सैन्य गतिविधियाँ भी चला सकते हैं जो, यमन को फिर से युद्ध के एक नए चक्र में धकेल देंगी.”
अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई अहम
हैंस ग्रुंडबर्ग ने कहा कि इस टकराव को हल करने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि एक युद्धविराम लागू किया जाए और राजनैतिक प्रक्रिया शुरू की जाए.
उन्होंने यमन की महिलाओं और सिविल सोसायटी की आवाज़ों और अनुभवों को भी प्राथमिकता दिए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
विशेष दूत ने क्षेत्र में मौजूदा तनावपूर्ण परिस्थितियों को सावधानीपूर्वक सही दिशा में ले जाने और यमन में शान्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय समर्थन और कूटनैतिक सम्पर्क जारी रखने की महत्ता को भी रेखांकित किया.
हैंस ग्रुंडबर्ग ने सुरक्षा परिषद से, संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में यमन संकट का कोई राजनैतिक समाधान निकालने के लिए, एकजुटता दिखाने का आग्रह किया और अपने प्रयास, पक्के इरादे व संकल्प के साथ जारी रखने का संकल्प भी व्यक्त किया.