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ग़ाज़ा: भूख के कारण और अधिक संख्या में बाल मौतें होने की आशंका

ग़ाज़ा में हिंसक टकराव के कारण विस्थापित हुए परिवारों को खाद्य सहायता प्रदान की जा रही है.
© WFP/Ali Jadallah
ग़ाज़ा में हिंसक टकराव के कारण विस्थापित हुए परिवारों को खाद्य सहायता प्रदान की जा रही है.

ग़ाज़ा: भूख के कारण और अधिक संख्या में बाल मौतें होने की आशंका

मानवीय सहायता

विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके साझेदारों के लिए पिछले कुछ महीनों में पहली बार, उत्तरी ग़ाज़ा के अस्पतालों में बहुत आवश्यक जीवनरक्षक आपूर्ति पहुँचाना सम्भव हुआ है, जिसका संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायताकर्मियों ने स्वागत किया है. इस बीच, उन्होंने मंगलवार को चिकित्सा केन्द्रों में चिन्ताजनक हालात और कुपोषण के कारण बच्चों के जीवन पर मंडराते जोखिम के मद्देनज़र ऐलर्ट जारी किया है.

क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉक्टर रिक पीपरकोर्न ने बताया कि WHO और उसके साझेदार संगठनों के लिए उत्तरी ग़ाज़ा में स्थित अल शिफ़ा अस्पताल तक पहुँचना और वहाँ ईंधन, 150 मरीज़ों के लिए जीवनरक्षक आपूर्ति पहुँचाना सम्भव हुआ है.

इसके अलावा, अचानक गम्भीर कुपोषण से जूझ रहे 50 बच्चों का उपचार किया गया है और वैक्सीन भी दी गई हैं.

पिछले साल 7 अक्टूबर के बाद से यह पहली बार है जब यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का मिशन, उत्तरी ग़ाज़ा के कमल अदवान अस्पताल में पहुँचा है.

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इस स्वास्थ्य केन्द्र की बाल देखभाल इकाई में कम से कम 10 बच्चों की भूख-प्यास से मौत होने की ख़बर है और यहाँ मरीज़ों की भारी भीड़ बताई गई है.

डॉक्टर पीपरकोर्न ने कहा कि अल-अवदा अस्पताल में हालात विशेष रूप से चिन्ताजनक हैं, जिसके मद्देनज़र, उन्होंने सतत ढंग से मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए अपील की है.

सहायता मार्ग में अवरोध

डॉक्टर पीपरकोर्न ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि जनवरी महीने में उत्तरी ग़ाज़ा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकाँश मिशन के लिए अनुमति को नकार दिया गया था. 

“16 में से केवल तीन को स्वीकृति दी गई, चार के रास्ते में अवरोध खड़े किए गए और 9 अनुरोधों को नकार दिया गया. फ़रवरी में किसी मिशन के लिए मदद नहीं दी गई.”

उत्तरी ग़ाज़ा में विशाल स्तर पर आवश्यकताएँ उपजी हैं, मगर पिछले पाँच महीनों से अधिक समय से जारी हिंसक टकराव के कारण लगभग पूरी ग़ाज़ा पट्टी में लाखों लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. 

भीषण बमबारी और लड़ाई के बीच 15 लाख से अधिक लोग विस्थापन के लिए मजबूर हुए हैं, जिन्होंने दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित रफ़ाह गवर्नरेट में शरण ली है.

गम्भीर कुपोषण के मामले

डॉक्टर पीपरकोर्न के अनुसार, ग़ाज़ा में कुपोषण छोटे बच्चों में कभी कोई घातक जोखिम नहीं था, चूँकि यहाँ स्थानीय आबादी मछली पालन व अन्य खाद्य उत्पादन में मोटे तौर पर आत्मनिर्भर थी.

वहीं, पाँच वर्ष से कम उम्र के केवल 0.8 प्रतिशत बच्चे नाटेपन का शिकार थे. 

लेकिन, हाल के महीनों में हिंसक टकराव के कारण, उत्तरी ग़ाज़ा में दो वर्ष से कम आयु के 15.6 प्रतिशत बच्चों में नाटापन नज़र आ रहा है, जोकि तेज़ी से दर्ज की गई गम्भीर गिरावट है. 

“यहाँ की आबादी की कुपोषण स्थिति में पिछले तीन महीनों में दर्ज की गई यह गिरावट, वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व है.”

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अधिकारियों ने चिन्ता जताई कि दो वर्ष से कम आयु के 90 फ़ीसदी से अधिक बच्चे और 95 प्रतिशत गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएँ, गम्भीर खाद्य निर्धनता से जूझ रही हैं.

यानि, उन्हें भोजन में कम पोषक आहार मिल पा रहा है और केवल दो या उससे कम प्रकार की खाद्य सामग्री से ही गुज़ारा करना पड़ रहा है.

'दूसरे विश्व युद्ध से भी ख़राब हालात'

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चर्चा के दौरान बताया गया है कि अब तक उत्तरी ग़ाज़ा के कुछ हिस्सों में 80 प्रतिशत आवास व्यवस्था क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हो चुकी है.  

हमास व अन्य हथियारबन्द गुटों द्वारा 7 अक्टूबर को इसराइल पर आतंकी हमलो के बाद, ग़ाज़ा पट्टी में जवाबी इसराइली कार्रवाई में बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि हुई है.

पर्याप्त आवास व्यवस्था पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर बालकृष्णन राजागोपाल ने ने बताया कि पर्याप्त आवास व्यवस्था के सभी सूचक, जैसेकि सेवा, रोज़गार, स्कूल, धार्मिक स्थल युनिवर्सिटी, अस्पताल, वे सभी पूर्ण रूप से ध्वस्त हो चुके हैं.

उन्होंने क्षोभ प्रकट किया कि विध्वंस का स्तर और उसकी गहनता, अलेप्पो, मारियुपोल और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ड्रेस्डेन व रोटरडैम से भी बदतर है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ राजागोपाल, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं हैं. उन्होंने जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के 55वें सत्र को सम्बोधित करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए यह बात कही.