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सीरिया: देश लौटने वाले लोगों के साथ, मानवाधिकार उल्लंघन मामलों पर चिन्ता

सीरिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित अल होल शिविर में एक परिवार को, यूनीसेफ़ की तरफ़ से सर्दियों के कपड़े मुहैया कराए गए.
© UNICEF/Delil Souleiman
सीरिया के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित अल होल शिविर में एक परिवार को, यूनीसेफ़ की तरफ़ से सर्दियों के कपड़े मुहैया कराए गए.

सीरिया: देश लौटने वाले लोगों के साथ, मानवाधिकार उल्लंघन मामलों पर चिन्ता

मानवाधिकार

सीरिया में लगभग एक दशक से जारी युद्ध के कारण देश छोड़कर जाने वाले लोग बड़ी संख्या में अब वापिस लौट रहे हैं, मगर यहाँ उन्हें मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन और अपने साथ दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) द्वारा मंगलवार को जारी की गई एक नई रिपोर्ट में ऐसे मामलों पर चिन्ता व्यक्त की गई है. 

रिपोर्ट में मानवाधिकार हनन और दुर्व्यवहार की घटनाओं के लिए सीरियाई सरकार, देश के अन्य इलाक़ों में क़ाबिज़ प्रशासन, और हथियारबन्द गुटों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है. इनमें मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जाना, यातना देना व बुरा बर्ताव करना, यौन व लिंग-आधारित हिंसा का शिकार बनाना, जबरन ग़ायब व अगवा करना समेत अन्य हनन मामले हैं.  

मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार लोगों से उनके धन व सामान की उगाही की गई है, सम्पत्ति को ज़ब्त किया गया है, और पहचान पत्र समेत अन्य दस्तावेज़ के आवेदनों को ठुकरा दिया गया है.

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वैसे तो पूरी सीरियाई आबादी को मानवाधिकार उल्लंघन व दुर्व्यवहार के मामलों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन देश वापिस लौटने वाले लोगों के लिए हालात विशेष रूप से सम्वेदनशील बताए गए हैं.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बताया कि यह रिपोर्ट, सीरिया वापसी करने वाले लोगों के लिए चिन्ताजनक परिस्थितियों को बयाँ करती है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए.

मानवाधिकारों की गारंटी ज़रूरी

पिछले कुछ समय में अन्य देशों से सीरियाई नागरिकों को देश निकाला दिया गया है. यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि लोग जिन हालात में अपने वतन वापिस लौट रहे हैं, उससे अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के प्रति देशों के संकल्प पर सवाल खड़े होते हैं. 

इस क़ानून के तहत यह गारंटी दी गई है कि किसी भी व्यक्ति के साथ यदि अमानवीय बर्ताव होने या उसे प्रताड़ित किए जाने की आशंका हो, तो उसे अपने देश वापिस नहीं भेजा जाएगा.

वोल्कर टर्क ने कहा कि जो लोग सीरिया वापिस आकर अपने जीवन को फिर से शुरू करना चाहते हैं, उनके साथ ना तो भेदभाव होना चाहिए, और ना ही देश लौटने के बाद उन्हें हिंसा का शिकार बनाया जाना चाहिए.

मानवाधिकार उच्चायुक्त के अनुसार, जो लोग अपने मेज़बान देशों में रहना चाहते हैं, उनके साथ अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुरूप ही बर्ताव किया जाना चाहिए, और शरणार्थियों व आश्रय की तलाश कर रहे लोगों के अधिकारों का सम्मान किया जाना चाहिए. 

“उनकी वापसी स्वैच्छिक होनी चाहिए, एक सुरक्षित, गरिमामय व सतत वापसी की परिस्थितियों के साथ.”

गम्भीर हनन मामले 

सीरिया वापिस लौटने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उनके साथ सख़्ती की गई और स्थानीय प्रशासनिक एजेंसिंयों द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद एक अनजान जगह पर ले जाया गया. यहाँ उन्हें मारा-पीटा गया और दो दिन तक आँखों पर पट्टी बाँध कर रहने के लिए मजबूर किया गया.

एक महिला को उनकी दो बेटियों के साथ एक सप्ताह के लिए सरकारी सुरक्षा बलों ने हिरासत में रखा. वे दूसरी बार सीरिया छोड़ कर जाने की कोशिश कर रही थीं.

उन्होंने बताया कि रिहाई के लिए उनके परिवार को 300 अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देनी पड़ी. “मुझसे रोज़ पूछताछ की जाती थी और लेबनान की यात्रा करने की वजह के बारे में पूछा जाता था.”

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं पर विशेष रूप से इन भेदभावपूर्ण पाबन्दियों को लागू किया गया है, और उनकी आवाजाही व स्वतंत्रता पर अंकुश है. ऐसी भी मामले हैं, जिनमें पुरुषों ने अपने परिवार में महिलाओं को जबरन सीरिया लौटने के लिए मजबूर किया ताकि वहाँ वापसी के लिए हालात का पता लगाया जा सके.

मेज़बान देशों में कठिन हालात

सीरियाई नागरिकों ने जिन देशों में जाकर शरण ली थी, वहाँ आर्थिक मुश्किलों, दुर्व्यवहार, सामूहिक गिरफ़्तारियों और शरणार्थी विरोधी भावनाएँ बढ़ने के कारण उन्हें वापिस लौटना पड़ रहा है.

तुर्कीये ने मई 2022 में घोषणा की थी कि 10 लाख सीरियाई शरणार्थियों को फिर से वहाँ बसाया जाएगा, और तब से लोगों पर पाबन्दियाँ बढ़ने और उन्हें जबरन देश वापिस भेजे जाने की ख़बरें हैं.

वहीं, लेबनान में कई महीनों से सीरियाई शरणार्थियों के कारण तनाव और वैमनस्यता बढ़ने के बाद, 2023 में लेबनान के सुरक्षा बलों ने 70 से अधिक बार छापेमारी की कार्रवाई की. इसमें सीरियाई शरणार्थी समुदाय के शिविरों को निशाना बनाया गया, 1,455 सीरियाई नागरिकों को गिरफ़्तार किया गया और 712 को देश वापिस भेज दिया गया. 

रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि सभी युद्धरत पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी व मानवाधिकार क़ानून का सम्मान करना होगा. 

साथ ही, सीरियाई सरकार और अन्य पक्षों से यूएन संस्थाओं और अन्तरराष्ट्रीय व ग़ैर-सरकारी संगठनों से लोगों तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करने की अपील की गई है, ताकि देश वापिस लौटने वाले सीरियाई नागरिकों की स्थिति पर नज़र रखी जा सके.