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भारत: एक नई कहानी बुनतीं, छाया प्रदीप साल्वे

छाया को एक बैठक में यूएनडीपी की उत्थान परियोजना के तहत दी जाने वाली विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के बारे में जानकारी मिली.
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छाया को एक बैठक में यूएनडीपी की उत्थान परियोजना के तहत दी जाने वाली विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं के बारे में जानकारी मिली.

भारत: एक नई कहानी बुनतीं, छाया प्रदीप साल्वे

महिलाएँ

सामाजिक सुरक्षा व आधिकारिक पहचान ने, छाया प्रदीप साल्वे के जीवन को आर्थिक मज़बूती की एक नई राह प्रदान की है. भारत में कोविड-19 के दौरान सफ़ाई साथियों के लिए आरम्भ की गई यूएनडीपी की उत्थान परियोजना, उन्हें एक नई दिशा प्रदान कर रही है. जिसका लाभ छाया प्रदीप साल्वे को भी मिला है.

छाया प्रदीप साल्वे दो पुत्रों की माँ हैं और वह अपने तीसरे बच्चे के जन्म की उम्मीद से हैं. 18 साल की उम्र में विवाह होने के बाद से ही वो एक संयुक्त परिवार में रह रही हैं. 

उन्होंने बड़े परिवार के भरण-पोषण के लिए, सफ़ाई साथी के रूप में काम करना शुरू किया था. यह काम करते हुए उन्हें 9 वर्षों से अधिक बीत गए हैं, लेकिन उनके दिल में हमेशा से अपना स्वयं का व्यवसाय करने की लालसा रही है.

छाया अपने दिन की शुरुआत अन्य सफ़ाई साथियों के साथ एक साइकिल गाड़ी में आवासीय इलाक़ों का दौरा करने के साथ करती हैं. इलाक़े में घूमते हुए, वो घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करते हैं और फिर एक स्थान पर इकट्ठा होकर सूखे-गीले कचरे को अलग करते हैं. प्लास्टिक, धातु और काग़ज जैसा सूखा कचरा, एक कबाड़ी को बेच दिया जाता है और बाक़ी बचे कचरे का, नगर निगम के कूड़ादान में निपटान किया जाता है.

छाया को स्त्री मुक्ति संगठन से उत्थान परियोजना के बारे में जानकारी हासिल हुई, जहाँ उन्होंने विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ समझने के लिए एक बैठक में भाग लिया था.

“मैंने सबसे पहले उत्थान के बारे में एक अन्य सफ़ाई साथी से सुना और विभिन्न योजनाओं के बारे में अधिक जानने के लिए, तुरन्त स्त्री मुक्ति संगठन केन्द्र पहुँची. मेरे पास अब एक ईश्रम और स्वास्थ्य कार्ड है, और आज मैं बेहतर भविष्य के लिए बचत हेतु बैंक खाते के लिए आवेदन कर रही हूँ.”

स्व निर्भरता की चाह

“मैं थोड़ी घबराई हुई भी हूँ कि मालूम नहीं वो क्या पूछ लें. अगर मैंने ग़लत उत्तर दिया तो क्या होगा.”

उत्थान समुदाय की प्रेरक रेखा इस प्रक्रिया में उनकी मदद कर रही हैं. वो उन्हें आश्वासन देती हैं सब ठीक होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के लिए भी नामांकन किया है.

“मैंने बीमा योजना का विकल्प चुना, क्योंकि मैं भविष्य में किसी भी महंगे चिकित्सा उपचार के लिए असीमित धन ख़र्च की कठिनाई से अपने परिवार की रक्षा करना चाहती थी."

उन्होंने सरकार की अटल पेंशन योजना में भी नामांकन करवाया है, जो वृद्धावस्था में गुज़र-बसर करने के लिए ज़रूरी होगी. वह कहती हैं, ''मैं हमेशा आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती रही हूँ. मेरी माँ ने मुझे हमेशा दूसरों पर निर्भर नहीं होने की सीख दी, और अब मैं अपने बच्चों को भी यही सिखाती हूँ. पता नहीं मैं कब तक काम कर पाउंगी, इसलिए उम्मीद करती हूँ कि पेंशन योजना से मेरे बुढ़ापे में मेरी मदद होगी.”

वह सिलाई और परिधान डिजाइनिंग का प्रशिक्षण भी ले रही हैं. “मैं अपने काम से ख़ुश हूँ और जानती हूँ कि इससे मेरे परिवार की गुज़र-बसर आराम से होती है. लेकिन मैं फिर भी अपने सिलाई के शौक को आगे बढ़ाना चाहती हूँ, इसलिए मैं बचत करके एक सिलाई मशीन ख़रीदने की कोशिश कर रही हूँ.”

उत्थान समूह की बैठकों में हमें सिखाया गया कि बैंक खाता का संचालन किस तरह करके धन की बचत की जाए.

ख़ास बात यह है कि उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू करने का अपना सपना मरने नहीं दिया. “मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्दी, मैं अपना ख़ुद का बुटीक शुरू करके और एक व्यवसायी बनकर, अपने बच्चों के लिए आदर्श स्थापित कर पाऊंगी. मैं उन्हें यह दिखाने के लिए उत्साहित हूँ कि जब आप अपनी ख़ुशी के लिए काम करते हैं, तो सब कुछ बेहतर हो जाता है.”