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AI में निहित सम्भावनाओं को संवारने के लिए, नए समूह की घोषणा

परामर्शदाताओं का यह समूह, कृत्रिम बुद्धिमता पर अन्तरराष्ट्रीय संचालन व्यवस्था के लिए सिफ़ारिशें पेश करेगा.
© Unsplash/Steve Johnson
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परामर्शदाताओं का यह समूह, कृत्रिम बुद्धिमता पर अन्तरराष्ट्रीय संचालन व्यवस्था के लिए सिफ़ारिशें पेश करेगा.

AI में निहित सम्भावनाओं को संवारने के लिए, नए समूह की घोषणा

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि चुनौतियों भरे इस दौर में, कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) मानवता के लिए असाधारण प्रगति को ऊर्जा प्रदान कर सकती है. इस क्रम में, उन्होंने गुरूवार को सरकार, निजी सैक्टर, टैक्नॉलॉजी, नागरिक समाज और शिक्षा जगत की अनुभवी हस्तियों के एक उच्चस्तरीय परामर्शदाता निकाय की घोषणा की है.

एआई पर परामर्शदाता निकाय के सदस्यों का दायित्व, इन टैक्नॉलॉजी में निहित जोखिमों, अवसरों, और उनकी अन्तरराष्ट्रीय शासन व्यवस्था की जाँच करना होगा.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने बताया कि पिछले एक वर्ष में, एआई की क्षमताओं और उसके इस्तेमाल में असाधारण प्रगति हुई है, जिन्हें चैटबॉट, आवाज़ की नक़ल किए जाने, तस्वीर बनाने और वीडियो ऐप के रूप में देखा जा सकता है.

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​संकटों की समय रहते घोषणा से लेकर उनसे निपटने तक, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा सेवाओं को शुरू करने तक, एआई सरकारों, नागरिक समाज और संयुक्त राष्ट्र के कामकाज का दायरा व स्तर बढ़ा सकती है.
 
“भलाई के लिए एआई की रूपान्तरकारी सम्भावना को पूरी तरह से समझ पाना कठिन है.”

यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि अनेक देश जलवायु संकट के प्रभावों से जूझ रहे हैं, और टिकाऊ विकास पर केन्द्रित 2030 एजेंडा पर प्रगति के मार्ग में गहरी मुश्किलें हैं. 

इस पृष्ठभूमि में, उन्होंने एआई की सामर्थ्य और प्रगति में तेज़ी लाने में उसकी भूमिका को रेखांकित किया. 

“एआई मौजूदा स्थिति को बदलने में सहायक साबित हो सकती है. यह जलवायु कार्रवाई और वर्ष 2030 तक टिकाऊ विकास के 17 लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयासों में स्फूर्ति भर सकती है.”

सुलभता सुनिश्चित किए जाने पर बल

यूएन प्रमुख के अनुसार, पुरानी हो चुकी टैक्नॉलॉजी को एआई के ज़रिये पीछे छोड़ा जा सकता है, और सेवाओं को सीधे तौर पर ज़रूरतमन्दों के पास लाया जा सकता है.

मगर, इसके लिए यह ज़रूरी है कि एआई को ज़िम्मेदारी के साथ संवारा जाए और सर्वजन के लिए सुलभ बनाया जाए. 

महासचिव ने कहा कि फ़िलहाल, एआई विशेषज्ञता केवल चंद कम्पनियों और देशों में ही सीमित हैं, जिससे विषमताएँ गहरी होने और डिजिटल दरारों के और पैना होने का जोखिम है.

साथ ही, भ्रामक जानकारी व दुस्सूचना के तेज़ी से फैलने की आशंका है और पूर्वाग्रहों व भेदभाव और गहराई तक व्याप्त हो सकते हैं.

इसके अलावा, निगरानी व निजता का हनन होने, धोखाधड़ी और मानवाधिकारों के उल्लंघन का ख़तरा भी बढ़ेगा.

परामर्शदाता समूह

यूएन प्रमुख ने गुरूवार को एक नए परामर्शदाता निकाय की घोषणा की, जिसमें विश्व भर से 39 विशेषज्ञों को शामिल किया गया है, जिसमें लैंगिक सन्तुलन, भौगोलिक विविधता और पीढ़ीगत अनुभवों का ख़याल रखा गया है. 

इस निकाय द्वारा 2023 के अन्त तक, एआई में अन्तरराष्ट्रीय संचालन व्यवस्था, जोखिमों व चुनौतियों, और टिकाऊ विकास की दिशा में प्रगति के लिए एआई का सहारा लेने के लिए सिफ़ारिशें पेश की जाएंगी.

इन सिफ़ारिशों को अगले वर्ष, सितम्बर में आयोजित होने वाली भविष्य की शिखर बैठक की तैयारियों में समाहित किया जाएगा. 

यह बैठक टिकाऊ विकास के लिए संकल्प को फिर से पुष्ट करने और प्रस्तावित वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट के लिए वार्ता पर केन्द्रित है, जिसका उद्देश्य, प्रौद्योगिकी युग में सर्वजन तक उसका लाभ पहुँचाना है.