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इसराइल-फ़लस्तीन: सभी पक्षों से आम लोगों को निशाना नहीं बनाने का आग्रह

ग़ाज़ा में एक ध्वस्त इमारत के पास एक व्यक्ति.
© UNRWA/Mohammed Hinnawi
ग़ाज़ा में एक ध्वस्त इमारत के पास एक व्यक्ति.

इसराइल-फ़लस्तीन: सभी पक्षों से आम लोगों को निशाना नहीं बनाने का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने मंगलवार को कहा है कि इसराइल और उसके द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्रों में, सभी पक्षों को आम लोगों को निशाना बनाना रोकना होगा, और हमास व अन्य सशस्त्र गुटों से, बन्धक बनाए गए तमाम लोगों को तत्काल रिहा करने का आग्रह किया है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि वो आम लोगों को आनन-फ़ानन में मौत के मुँह में धकेलने के आरोपों की ख़बरों पर सदमे में, और कुछ मामलों में तो, फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों के सदस्यों द्वारा सामूहिक स्तर पर दर्दनाक हत्याएँ की गई हैं.

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उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों द्वारा पकड़े गए लोगों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और उनकी हत्याएँ किए जाने और शवों का असम्मान किए जाने की तस्वीरें देखना बेहद दर्दनाक और भयावह है. आम लोगों को कभी भी, सौदेबाज़ी के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.”

सामूहिक दंड देने से बचें

चार दिन पहले हमास और फ़लस्तीनी इस्लामी जिहाद द्वारा शुरू किए गए हमलों में, हज़ारों रॉकेट, इसराइल के मध्य इलाक़ों तक पहुँचे हैं. 

यूएन मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने ग़ाज़ा के विरुद्ध ताबड़तोड़ और अनुपात से अधिक कार्रवाई के ख़िलाफ़ भी आगाह किया है और इसराइली सरकार द्वारा सोमवार को ग़ाज़ा क्षेत्र की पूर्ण नाकेबन्दी किए जाने के आदेश पर चिन्ता व्यक्त की है. 

इस नाकेबन्दी के तहत बिजली, पानी, भोजन और ईंधन आपूर्ति बन्द कर दी गई है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि क्षेत्र की पूरी आबादी को सामूहिक दंड देना, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अन्तर्गत निषिद्ध है.

विशाल स्तर पर विस्थापन

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने जिनीवा में प्रैस वार्ता में, ग़ाज़ा में आम लोगों के सामने दरपेश बेहद ख़राब हालात की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया, जहाँ लगभग एक लाख 40 हज़ार विस्थापित लोग, स्कूलों में आश्रय लिए हुए हैं. 

इन स्कूलों का संचालन, फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी UNRWA करती है. 

UNRWA के प्रवक्ता तमारा अलरिफ़ाई ने पत्रकारों को बताया कि विस्थापन विशाल स्तर पर जारी है और अलबत्ता, एजेंसी को स्कूलों को आश्रय स्थलों में तब्दील करने का ख़ासा अनुभव है, मगर इस संकट का स्तर अभूतपूर्व है.

UNRWA एक जीवन रेखा

तमारा अलरिफ़ाई ने कहा कि इसराइल द्वारा किए गए हवाई हमलों में ग़ाज़ा पट्टी में, एजेंसी की 18 सुविधाओं के ध्वस्त हो जाने से एजेंसी के सहायता प्रयासों में जटिलता आई है. इन ध्वस्त इमारतों में एजेंसी द्वारा दृश्य बाधित लोगों के लिए चलाए जा रहा एक स्कूल और ग़ाज़ा शहर में एजेंसी का मुख्यालय की सुविधाएँ भी शामिल हैं.

तमारा ने अम्मान से बताया कि संयुक्त राष्ट्र की तमाम इमारतें, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत संरक्षित हैं और ग़ाज़ा में रहन वाले लगभग 17 लाख फ़लस्तीनी शरणार्थी UNRWA को भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए, एक जीवन रेखा के रूप में प्रयोग करते हैं. इनमें अधिकतर लोग निर्धनता रेखा के नीचे गुज़र-बसर करते हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि एजेंसी इस संकट का सामना करने में सहायता के लिए एक त्वरित मानवीय सहायता अपील जारी करने वाली है.

तमारा अलरिफ़ाई ने इन आरोपों का खंडन किया कि हमास के लड़ाकों ने, UNRWA के ठिकानों का प्रयोग, अपने अभियानों के लिए किया है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि समर्पित टीमें ये सुनिश्चित करने के लिए सुविधाओं का निरीक्षण करती हैं कि उनका प्रयोग, कोई युद्धरत पक्ष या सशस्त्र गुट ना करें.

“हम इसे बहुत गम्भीर मामला समझते हैं.”

मानवीय गलियारे की पुकारें

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने सोमवार को कहा कि मौजूदा टकराव शुरू होने के बाद से, ग़ाज़ा पट्टी में स्वास्थ्य सुविधाओं पर 13 हमलों की पुष्टि हुई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने पत्रकारो को बताया कि लोगों तक अति महत्वपूर्ण सहायता सामग्री पहुँचाने के लिए, एक मानवीय गलियारे की ज़रूरत है और एजेंसी, अपने साझीदारों के साथ, इस पहलू पर काम कर रही है.

विशाल मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरतें

प्रवक्ता ने इस संकट से उत्पन्न विशाल मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरतों को भी रेखांकित किया, जिनमें फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों द्वारा बन्धक बनाए गए लोगों की मनोवैज्ञानिक पीड़ा भी शामिल है.

तारिक जसारेविक ने ज़ोर देकर कहा कि भयावह अनुभवों का सामना कर रहे इन बन्धकों के लिए, इस समय रिहा किया जाना बहुत अहम बात है और उन्हें शारीरिक व मानसिक देखभाल की ज़रूरत है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने बताया है कि एजेंसी के पास ग़ाज़ा और पश्चिमी तट में मनोवैज्ञानिक समर्थन मुहैया कराने के लिए, विशेषज्ञ मौजूद हैं.

‘ग़ाज़ा और इसराइल के बच्चों की पुकारें सुनें’

प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने कहा, “अगर आप ग़ाज़ा से और इसराइल आने वाली बच्चों की चीख़-पुकारें सुनें तो उनमें डर, कष्ट और पीड़ा की निरन्तर आपबीतियाँ हैं.”

“हमें ग़ाज़ा और इसराइल के उन बच्चों की पुकारें सुननी होंगी, जो स्पष्ट रूप से और अपने आँसुओं के ज़रिए कह रहे हैं, “अब बस, बहुत हो चुका, हमें बख़्श दीजिए.”

यूनीसेफ़ के अनुसार, मौजूदा टकराव के भड़कने से पहले भी, ग़ाज़ा पट्टी और पश्चिमी तट में लगभग दस लाख बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता थी, जोकि वहाँ की बाल आबादी का लगभग आधा हिस्सा है.