सीरिया: ‘अमेरिकी अराजकता’ का विरोध, यूएन चार्टर का सम्मान किए जाने की अपील
सीरिया में विदेश मामलों के लिए उपमंत्री बस्साम सब्बाग़ ने यूएन महासभा को अपने सम्बोधन में एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की आवश्यकता को रेखांकित किया है, ताकि सर्वजन के लिए टिकाऊ विकास और अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों में सन्तुलन हासिल किया जा सके. इस क्र्म में, उन्होंने सुरक्षा परिषद समेत अन्य संस्थाओं में सुधार पर बल दिया है.
सीरियाई उपमंत्री ने कहा कि उत्तरोत्तर अमेरिकी प्रशासनों ने अपने भूराजनैतिक व स्वार्थी हितों के लिए क्षेत्र में अराजकता फैलाने की नीतियाँ अपनाई हैं, जिससे अस्थिरता व असुरक्षा बढ़ी है.
उन्होंने मंगलवार को वार्षिक उच्चस्तरीय डिबेट के अन्तिम दिन अपने सम्बोधन में कहा कि अमेरिका ने पिछले कई दशकों में दर्ज की गई प्रगतियों को ध्वस्त व बर्बाद करने के लिए अरबों डॉलर ख़र्च किए हैं. साथ ही, इससे चरमपंथ व आतंकवाद को हवा मिली है.
सीरियाई प्रतिनिधि ने कहा कि यूएन चार्टर और अन्य अन्तरराष्ट्रीय उपकरण भी, अमेरिका की इस अराजकता से नहीं बच पाए हैं.
उनके अनुसार पिछले एक दशक में यूएन चार्टर की ग़लत व्याख्या व उसके प्रावधानों को अनुचित ढंग से लागू करने का रुझान बढ़ा है, अन्तरराष्ट्रीय समझौतों व सन्धियों के साथ छेड़छाड़ हो रही है और मानवाधिकार का राजनीतिकरण किया जा रहा है.
'सम्प्रभुता का सम्मान हो'
विदेश उपमंत्री ने बताया कि यूएन चार्टर का एक अहम पहलू, सभी सदस्य देशों की सम्प्रभुता है. उन्होंने क़ाबिज़ ग़ोलान क्षेत्र में इसराइल द्वारा हनन मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी पक्ष द्वारा बल प्रयोग से किसी क्षेत्र को हथियाना, क़ब्ज़ा है.
उनके अनुसार, किसी भी सम्प्रभु राष्ट्र के क्षेत्र में ग़ैरक़ानूनी सैन्य मौजूदगी, यूएन चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है, जिसका बिना शर्त, तुरन्त अन्त किया जाना होगा.
उपमंत्री सब्बाग़ ने कहा कि इसराइल का फ़लस्तीन में अरब भूमि और सीरियाई गोलान क्षेत्र पर क़ब्ज़ा रहा है, और अब तक जनसांख्यिकी की बनावट व संस्थागत ढाँचों में बदलाव लाया गया है.
उनके अनुसार, ऐसा वहाँ रहने वाले बाशिन्दों पर इसराइली नागरिकता थोपकर किया गया, और यह भी ध्यान रखना होगा कि गोलान में प्राकृतिक संसाधनों की लूटपाट हुई और सीरियाई किसानों की भूमि को ज़ब्त किया गया.
“यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के गम्भीर उल्लंधन का सबसे जघन्य रूप है.”
उन्हंने ‘इसराइली अपराधों व हमलों’ की कठोरतम शब्दों में निन्दा की और उन देशों की चुप्पी की आलोचना की, जोकि स्वयं को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून व मानवाधिकार क़ानून के रक्षक के रूप में देखते हैं.
विदेश उपमंत्री ने कहा कि सीरिया के पास यह जायज़ अधिकार है कि क़ाबिज़ गोलान क्षेत्र में 4 जून 1967 के अनुरूप व्यवस्था को फिर से बहाल की जाए.
भूकम्प के बाद राहत कार्रवाई
विदेश मामलों के लिए सीरियाई उपमंत्री बस्साम सब्बाग़ ने कहा कि उनकी सरकार ने इस वर्ष फ़रवरी में भीषण भूकम्प की चपेट में आए लोगों तक राहत पहुँचाने के लिए प्रयास जारी रखे हैं.
इस आपदा से पहले से ही एक मानवीय संकट से जूझ रहे देश के लिए स्थिति और अधिक जटिल हो गई है.
बड़ी संख्या में इमारतों को नुक़सान पहुँचा है, बुनियादी ढाँचा बर्बाद हो गया है और हज़ारों लोग पीड़ित व बेघर हैं.
विदेश उपमंत्री ने बताया कि सीरियाई सरकार ने मानवीय राहत लेकर आने वाले क़ाफ़िलों के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ की हैं और मानवीय राहत अपील जारी किए जाने के विषय में उन्होंने यूएन का आभार प्रकट किया.