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सीरियाई अरब गणराज्य के विदेश मंत्री फ़ैसल मिकदाद, यूएन महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. 26 सितम्बर 2022).

‘सीरिया पर युद्ध नाकाम हो गया है’ विदेश मंत्री का यूएन महासभा में सम्बोधन

UN Photo/Cia Pak
सीरियाई अरब गणराज्य के विदेश मंत्री फ़ैसल मिकदाद, यूएन महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए. 26 सितम्बर 2022).

‘सीरिया पर युद्ध नाकाम हो गया है’ विदेश मंत्री का यूएन महासभा में सम्बोधन

यूएन मामले

सीरिया ने कहा है कि इस समय युद्धों से लेकर आतंकवाद के प्रसार और जलवायु जनित आपदाओं से जूझ रही एक उथल-पुथल भरी दुनिया - आधिपत्य, धनाड्यता प्रदर्शित करने वाले देशों और अन्य को अपने अधीन करने की उनकी महत्वाकांक्षाओं का परिणाम है. सीरिया के विदेश मंत्री फ़ैसल मिकदाद ने सोमवार को, यूएन महासभा के 77वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कही.

सीरिया के विदेश मंत्री फ़ैसल मिकदाद ने सोमवार को जनरल डिबेट के अन्तिम दिन अपने सम्बोधन में कहा कि आधिपत्य जमाने वाले देशों ने “गम्भीर प्रतिबन्ध लगाने वाले एजेंडा” लागू किये हैं, आतंकवाद में संसाधन निवेश किये हैं, और “अर्थव्यवस्थाओं का गला घोंटा है,” अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का कोई सम्मान किये बिना.

उन्होंने कहा, “अक्सर, वो लोकतंत्र के प्रसार और मानवाधिकारों का बहाना प्रयोग करते हैं, मगर इस दौरान देशों को तबाह किया गया है.”

‘स्मार्ट प्रतिबन्धों’ के पीछे का सत्य

सीरियाई विदेश मंत्री ने कहा, “हमारे क्षेत्र में जो कुछ हुआ है, वो अनेक में से एक उदाहरण है. यहाँ, कुछ देश आतंकवादियों को समर्थन दे रहे हैं, जिन्हें “उदार” कहा जा रहा है, जबकि वो दरअसल उन देशों को तबाह करने के औज़ार हैं जिन्हें [पश्चिमी देशों] अपने अधीन नहीं कर सकते.”

उससे भी ज़्यादा, आधिपत्य जमाने वाले कुछ देशों ने “स्मार्ट प्रतिबन्धों” की पुकार लगाई है जबकि वो जानते हैं कि इस तरह के उपाय, सामूहिक दंड और उन लोगों की हत्याओं के रूप हैं, जो “ग़लत” गृहभूमि को समर्थन दे रहे हैं.

सीरियाई विदेश मंत्री फ़ैसल मिकदाद ने कहा, “सीरिया में यही कुछ हो रहा है”, जहाँ खाद्य सामग्री, ईंधन, दवाओँ, और ऩ्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता को धक्का पहुँचा है.

सीरिया अन्य देशों का दुर्भाग्यपूर्ण मामला ये स्पष्ट करता है कि एक बहुध्रुवीय विश्व की स्थापना ही एक मात्र ज़िम्मेदार निर्णय होगा, जहाँ हर कोई यूएन चार्टर से दिशा-निर्देशित हो.

सीरिया के लिये एक ‘दर्दनाक’ दशक

उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि यहाँ हम किस बारे में बात कर रहे हैं... क्योंकि अन्ततः सीरिया पर युद्ध, दरअसल विश्व पर पश्चिम का नियंत्रण स्थापित करने का एक प्रयास था,” मगर सीरिया को व्यापक दुनिया से अलग-थलग करने और वहाँ के लोगों की इच्छाशक्ति को तोड़ देने का वो प्रयास नाकाम हो गया है.

बहरहाल, सीरिया के लोगों के लिये बीता दशक “दर्दनाक” रहा है जिन्होंने अन्य तकलीफ़ों के साथ-साथ, संगठित आतंकवाद देखा है जिसे “उस सरकार का समर्थन मिला जिसके बारे में सब अवगत हैं”, अवैध सैनिक हस्तक्षेप, देश की अर्थव्यवस्था पर हमले और “इकतरफ़ा दंडात्मक प्रतिबन्ध उपाय, क्रूर तरीक़े से लागू करना”.

 सीरियाई विदेश मंत्री ने कहा कि सीरिया में किसी भी अवैध सेना की मौजूदगी, देश की सम्प्रभुता के विरुध जाती है. उन्होंने साथ ही ज़ोर दिया कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुरूप, सीरियाई सरकार के साथ मिलकर लड़ी जानी होगी. उन्होंने अलगाववादी लड़ाकों से, क़ब्ज़ा करने वालों को समर्थन देने से बचने का आग्रह किया है.

‘आर्थिक आतंकवाद’

विदेश मंत्री ने यूएन महासभा को बताया कि पश्चिम के “आर्थिक आतंकवाद” के कारण, सीरिया को वर्ष 2011 से ही, तेल व गैस राजस्व में 107 अरब डॉलर का नुक़सान उठाना पड़ा है, जिससे और ज़्यादा आर्थिक परेशानियाँ उत्पन्न हुई हैं.

उन्होंने कहा कि सीरिया, उस राजस्व नुक़सान की भरपाई के लिये अपनी मांग जारी रखेगा, जबकि धरातल पर मानवीय स्थिति में सुधार करने के लिये, “हर सम्भव कार्रवाई”, करना जारी रखेगा.

फ़ैसल मिकदाद ने कहा कि सीरिया ने 2011 से ही, राष्ट्रीय सुलह-सफ़ाई और स्थिरता के समर्थन की ख़ातिर, आतंकवादी अपराधों को आम माफ़ी की आवाज़ बुलन्द करते हुए, संवाद की हिमायत की है. ये प्रयास जारी रहेगा क्योंकि इसने, बहुत से सीरियाई लोगों को सामान्य जीवन की तरफ़ लौटने में मदद की है.

उन्होंने अस्ताना प्रारूप के ढाँचे के अन्तर्गत बैठकों को समर्थन व्यक्त किया और तुर्कीय से इस प्रारूप के नतीजों का सम्मान करने को कहा. साथ ही, उन्होंने कहा कि वो संवैधानिक आयोग के कामकाज में भी रुचि ले रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अन्य मुद्दों पर कहा कि वैसे तो क्षेत्र में शान्ति की उम्मीद है, मगर क्षेत्र को इसके बजाय, “ऐसी और ज़्यादा इसराइली गतिविधियाँ देखने को मिली हैं जिन्होंने क्षेत्र को तनावों और अस्थिरता के अभूतपूर्व स्तरों की तरफ़ धकेल दिया है”, इनमें फ़लस्तीनी क्षेत्रों के विरुद्ध सैन्य उपायों में बढ़ोत्तरी, फ़लस्तीनी क्षेत्रों में यहूदी बस्तियों के विस्तार में वृद्धि, जबरन विस्थापन और नस्लभेद शामिल हैं.

सीरियाई विदेश मंत्री ने 1967 से ही सीरियाई गोलान पहाड़ियों पर क़ब्ज़े की तीखी आलोचना की है, और इसराइल द्वारा जनसांख्यिक बदलावों और सीरिया के राष्ट्रीय संसाधनों का दोहन किये जाने की भी निन्दा की है.