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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अनवार - उल - हक़, यूएन महासभा के 78वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए (22 सितम्बर 2023)

UNGA78: विश्व एक और शीत युद्ध (2.0) सहन नहीं कर सकता, पाकिस्तान

UN Photo/Cia Pak
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अनवार - उल - हक़, यूएन महासभा के 78वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए (22 सितम्बर 2023)

UNGA78: विश्व एक और शीत युद्ध (2.0) सहन नहीं कर सकता, पाकिस्तान

यूएन मामले

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अनवार – उल – हक़ ने, यूएन महासभा के 78वें सत्र की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा है कि नवीन और पुराने सैनिक व राजनैतिक धड़ों के बढ़ने के साथ ही वैश्विक शक्तियों के दरम्यान तनावों का बढ़ना जारी है, ऐसे में, भूराजनीति फिर से सिर उठा रही है, जबकि भू-अर्थशास्त्र, अन्तरराष्ट्रीय एजेंडा के शीर्ष पर होना चाहिए.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अनवार – उल – हक़ ने वार्षिक जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए कहा, “विश्व एक और शीत युद्ध - 2.0 का बोझ नहीं उठा सकता क्योंकि इनसानियत के सामने ऐसी बहुत सारी चुनौतियाँ दरपेश हैं जिनका सामना केवल वैश्विक सहयोग के ज़रिए ही किया जा सकता है.”

अनेकानेक झटके

उन्होंने कहा कि कोविड-19, जलवायु परिवर्तन और युद्ध जैसे बाहरी झटकों ने विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया है, दशकों की प्रगति को उलट दिया है, और उनके यहाँ खाद्य अभाव व निर्धनता के हालात बना दिए हैं.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका ख़ुद का देश भी इन झटकों का एक प्रमुख स्थल बना हुआ है.

प्रधानमंत्री अनवार – उल – हक़ ने इन चुनौतियों के मद्देनज़र, एसडीजी प्रोत्साहन पैकेज को लागू किए जाने की ज़ोरदार हिमायत की.

‘विकास शान्ति पर निर्भर’

उन्होंने विकास को आगे बढ़ाने में शान्ति की बुनियादी भूमिका पर ख़ास ज़ोर दिया और भारत सहित, तमाम पड़ोसी देशों के साथ शान्तिपूर्ण व रचनात्मक सम्बन्धों की इच्छा व्यक्त की.

प्रधानमंत्री काकड़ ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के दरम्यान शान्ति के लिए, कश्मीर कुंजी है.” इस सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि भारत ने सुरक्षा परिषद के ऐसे प्रस्तावों को लागू करने में अनदेखी की है जो जम्मू और कश्मीर की अन्तिम स्थिति के बारे में, संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में एक जनमत संग्रह के ज़रिए कराने का आहवान करते हैं.”

प्रधानमंत्री ने कहा, “सुरक्षा परिषद को कश्मीर पर इसके प्रस्तावों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना होगा, और भारत व पाकिस्तान के लिए यूएन सैन्य पर्यवेक्षक समूह को बहाल करना होगा.”

उन्होंने वैश्विक ताक़तों से, रणनैतिक व परम्परागत हथियारों पर आपसी संयम बरतने की, पाकिस्तान की पेशकश को स्वीकार करने के लिए, भारत को राज़ी करने की पुकार भी लगाई.

प्रधानमंत्री काकड़ ने ये भी कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में शान्ति, पाकिस्तान के लिए एक रणनैतिक अनिवार्यता है, और उन्होंने देश में महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की स्थिति पर चिन्ता भी व्यक्त की.

तमाम आतंकवादियों का मुक़ाबला

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने तमाम तरह के आतंकवाद का मुक़ाबला करने की अनिवार्यता पर ज़ोर दिया, जिसमें धुर-दक्षिणपंथी अतिवाद और किसी देश द्वारा समर्थिक आतंकवाद भी शामिल है. उन्होंने इस सन्दर्भ में, निर्धनता, अन्याय और विदेशी क़ब्ज़े को, आतंकवाद के मूल कारण बताया.

उन्होंने वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति के सभी चार स्तम्भों के सन्तुलित क्रियान्वयन की निगरानी के लिए, यूएन महासभा के भीतर एक समिति गठित किए जाने का प्रस्ताव रखा.

धार्मिक असहिष्णुता

प्रधानमंत्री ने इस्लाम विरोधी विचारों (Islamophobia) के बढ़ते चलन पर चिन्ताएँ भी व्यक्त कीं और इस मुद्दे का सामना करने के लिए, पाकिस्तान के साथ-साथ इस्लामी सहयोग संगठन के प्रयासों को रेखांकित किया.

उन्होंने इस्लामोफ़ोबिया का मुक़ाबला करने के लिए अनेक प्रस्ताव भी सुझाए, जिनमें एक विशेष दूत की नियुक्ति और इस्लामोफ़ोबिया डेटा केन्द्र के गठन का सुझाव शामिल है.

वैश्विक सहयोग मज़बूत करें

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन के अन्त में, संयुक्त राष्ट्र के ढाँचे के अन्तर्गत बहुपक्षवाद की महत्ता को रेखांकित किया और वैश्विक सहयोग को आगे बढ़ाने में पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को भी दोहराया.

प्रधानमंत्री काकड़ के सम्बोधन की पूर्ण प्रति यहाँ उपलब्ध है.