IOM: अमेरिका-मैक्सिको सीमा, सर्वाधिक घातक प्रवासन मार्ग
संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने मंगलवार को कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और मैक्सिको के बीच की सीमा, प्रवासियों के लिए, दुनिया का सर्वाधिक घातक ज़मीनी मार्ग है. इस रास्ते पर, गत वर्ष लोगों की मौतें और गुमशुदगी के कम से कम 686 मामले हुए.
प्रवासन संगठन का कहना है कि सीमा पर होने वाली मौतें की लगभग आधी संख्या उन लोगों की थी, जिन्होंने सोनोरन और शिहुआहुआन रेहिस्तानों को पार करने की ख़तरनाक यात्रा के दौरान, अपनी ज़िन्दगियाँ गँवा दीं.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) की, मध्य और उत्तरी अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय निदेशक मिशेल क्लीन सोलोमॉन का कहना है, “ये हतप्रभ कर देने वाले आँकड़े, इस बात के प्रबल अनुस्मारक हैं कि देशों को निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा, “आँकड़ों का बेहतर संकलन, अति महत्वपूर्ण है. अन्ततः देशों को, यह सुनिश्चित करने के लिए आँकड़ों पर कार्रवाई करनी होगी कि लोगों को प्रवासन के लिए सुरक्षित व नियमित मार्ग उपलब्ध हों.”
प्रवासन एजेंसी के अनुसार, पूरे अमेरिका क्षेत्र में, वर्ष 2022 के दौरान एक हज़ार 457 प्रवासियों की मौतों व गुमशुदगियों के मामले दर्ज किए गए थे, जोकि सर्वाधिक घातक वर्ष साबित हुआ.
सटीक आँकड़ों का अभाव
अलबत्ता, ये आँकड़े, न्यूनतम अनुमानों को दर्शाते हैं, क्योंकि बहुत से प्रवासियों की मौतें तो, आँकड़ों के अभाव में, सटीक रूप में दर्ज ही नहीं हुई हैं.
यूएन प्रवासन संगठन (IOM) ने कहा है कि इस प्रवासन रास्ते पर चलने वाले लोगों पर किए गए उसके सर्वेक्षणों के अनुसार, 25 में से औसतन एक व्यक्ति ने बताया कि उनके साथ यात्रा करने वाले लोगों में से कोई ना कोई लापता हो गए.
परिवारों पर बहुत गहर असर
दक्षिण अमेरिका के लिए IOM के क्षेत्रीय निदेशक मार्सेलो पिसानी का कहना है, “ये तथ्य कि हम अमेरिका क्षेत्र में लापता होने वाले प्रवासियों के बारे में बहुत कम जानकारी रखते हैं, अपने आप में एक स्याह वास्तविकता है.”
“पीछे रह गए परिवारों पर, लापता हुए अपने प्रियजन की अथक तलाश करते रहने का बहुत गहरा प्रभाव होता है.”
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) और यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) सहित, अनेक एजेंसियाँ, पूरे अमेरिका क्षेत्र में प्रवासन करने वाले लोगों की मानवीय और संरक्षण आवश्यकताओं के लिए जवाबी कार्रवाई करने में, सहयोगात्मक, व्यापक और क्षेत्रीय तरीक़े अपनाए जाने की हिमायत कर रही हैं.