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कोविड के दौर में, प्रवासियों की चुनौतियों के बीच मददगार चलन भी बढ़ा

रोहिंज्या शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार शरणार्थी शिविर की तरफ़ जाते हुए. (फ़ाइल फ़ोटो)
UNOCHA/David Dare Parker
रोहिंज्या शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्सेज़ बाज़ार शरणार्थी शिविर की तरफ़ जाते हुए. (फ़ाइल फ़ोटो)

कोविड के दौर में, प्रवासियों की चुनौतियों के बीच मददगार चलन भी बढ़ा

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन के बारे में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के लिये जो एक व्यापक फ्रेमवर्क – प्रवासियों के लिये ग्लोबल कॉम्पैक्ट के रूप में, देशों ने 2018 में अपनाया था, वो बहुत शानदार तरीक़े से अपनी जड़ें जमा रहा है.

यूएन प्रमुख ने मंगलवार को, प्रवासियों के लिये ग्लोबल कॉम्पैक्ट के क्रियान्वयन पर अपनी अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “ग्लोबल कॉम्पैक्ट, इनसानी सचलता के महान फ़ायदों के बारे में बढ़ी हुई वैश्विक समझ को दर्शाता है.

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लेकिन इससे ये सन्देश भी मिलता है कि अगर ख़राब तरीक़े से प्रबन्धन किया जाए तो प्रवासन के कारण विशाल चुनौतियाँ भी पैदा हो सकती हैं, इनमें ज़िन्दगियों का दुखद नुक़सान, मानवाधिकारों का उल्लंघन और सामाजिक तनाव शामिल हैं.”

महासचिव ने ये रिपोर्ट जारी करते समय अपने वीडियो सन्देश में कहा कि कोरोनावायरस ने 27 लाख से ज़्यादा प्रवासियों, ख़ासतौर से महिलाओं और लड़कियों, को नकारात्मक रूप में प्रभावित किया है, और चुनौतियाँ बहुत बढ़ा दी हैं, लेकिन साथ ही सचल लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिये नए उपाय भी सामने आए हैं.

यूएन प्रमुख ने देशों द्वारा शुरू की गई पहलों की तरफ़ ध्यान भी दिलाया जिनमें प्रवासियों को निवास और रोज़गार वाले कामकाज करने के दस्तावेज़ व बिना दस्तावेज़ों वाले प्रवासियों के दर्जे को नियमित करना, और बन्दी बनाने के बजाय, वैकल्पिक उपाय अपनाना शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “एक तरफ़ तो कुछ देशों ने, असुरक्षित परिस्थितियों के कारण, प्रवासियों की स्वदेश वापसी स्थगित कर दी है, वहीं अनेक देशों ने ये सुनिश्चित करने के उपाय किये हैं कि जो लोग स्वदेश वापिस लौट रहे हैं, या जिन्हें जबरन स्वदेश भेजा जा रहा है, उन्हें समुचित सहायता मुहैया कराई जाए.”

नफ़रत के वायरस से समाजों को बचाएँ

यूएन प्रमुख ने प्रवासियों की मदद के लिये प्रयासों का दायरा और ज़्यादा बढ़ाने का आहवान करते हए कहा, “अभी और भी ज़्यादा मदद की जा सकती है, और करनी भी चाहिये.” 

एंतोनियो गुटेरेश ने तीन सिफ़ारिशों की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हए कहा कि प्रथमतः सहयोग करने की भावना गहराई से अपनाई जाए, क्योंकि कोई भी देश, अकेले प्रवासन की चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने प्रवासी श्रम की महत्ता को उजागर किया है इसलिये देशों को उनके योगदान को सार्थक पहचान देनी होगी, जोकि निष्पक्ष व नैतिक भर्तियाँ करके, अच्छी परिस्थितियों वाला कामकाज देकर, और उन्हें बिना किसी भेदभाव के, स्वास्थ्य देखभाल व सामाजिक संरक्षा मुहैया कराकर हो सकता है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि इन उपायों के साथ ही, मेज़बान समुदायों और प्रवासियों के बीच, सामाजिक समावेश और समरसता मज़बूत की जाए, और भेदभाव की समस्याओं का सामना किया जाए.

उन्होंने आग्रह करते हुए कहा, “प्रवासियों को कलंकित ना किया जाए, और उन्हें चिकित्सा उपचार व अन्य सार्वजनिक सेवाओं से वंचित ना किया जाए. हमें अपने समाजों को, नफ़रत के वायरस का मुक़ाबला करने के लिये मज़बूत बनाना होगा.”