शरणार्थियों के पुनर्वास की संख्या बढ़ाने की अमेरिकी घोषणा का स्वागत
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी – (UNHCR) ने, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा, आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान, देश में बसाए जाने वाले शरणार्थियों की संख्या बढ़ाकर एक लाख 25 हज़ार किये जाने के प्रस्ताव का स्वागत किया है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि इस प्रस्ताव में, अमेरिकी सरकार और वहाँ के लोगों द्वारा ये सुनिश्चित करने का संकल्प झलकता है कि सर्वाधिक निर्बल शरणार्थियों को, अपना जीवन सुरक्षित हालात में फिर से सँवारने का मौक़ा मिल सके.
यूएन एजेंसी की प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइजेन द्वारा सोमवार को पेश किये गए इस प्रस्ताव के ज़रिये, देश में बसाए जाने वाले शरणार्थियों की संख्या 15 हज़ार के आँकड़े से ज़्यादा करने का उनका संकल्प पूरा होगा.
ध्यान रहे कि पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने, देश में बसाए जाने वाले शरणार्थियों की अधिकतम संख्या 15 हज़ार पर सीमित कर दी थी, जोकि 1980 में शरणार्थी अधिनियम के लागू होने के बाद से, सबसे कम थी.
प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने कहा कि अमेरिका की इस योजना में, शरणार्थियों की ज़रूरतों पर ध्यान देने और उन्हें पूरा करने में, सभी देशों की अपनी-अपनी भूमिका की महत्ता झलकती है.
व्यथित करने वाली तस्वीरें
अमेरिकी राष्ट्रपति की ये घोषणा, सोमवार को ही देश के अधिकारियों के उन वक्तव्यों के बाद आई, जिनमें कहा गया था कि हेती के छह हज़ार से ज़्यादा मूल निवासियों, व अन्य प्रवासियों को टैक्सस में डेल रियो से हटा दिया गया, और उन्हें उनके देशों को जबरन वापिस भेज दिया गया.
ध्यान रहे कि हेती में अगस्त में एक विनाशकारी भूकम्प आया था जिसके बाद समुद्री तूफ़ान ने भी भारी तबाही मचाई थी. इसके अलावा, हेती के राष्ट्रपति की हत्या हो जाने के बाद उभरे राजनैतिक संकट और बाढ़ वग़ैरा से, ये देश उथल-पुथल का सामना कर रहा है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता मार्टा हरटैडो ने कहा है, “हम परेशान प्रवासियों और शरणार्थियों की तस्वीरें देखकर बहुत व्यथित हैं, और ये देखकर भी कि इन तमाम प्रवासियों और पनाह की चाह रखने वालों को जबरन, हेती वापिस भेज दिया गया है.”
प्रवक्ता ने चिन्ता जताते हुए ये भी कहा है कि इनमें से कुछ शरणार्थियों का तो व्यक्तिगत आकलन भी नहीं किया गया लगता है, जिसके कारण, उन्हें जिस संरक्षण की ज़रूरत थी, वो उन्हें नहीं मिल सका है.
प्रवक्ता ने कहा, “आप कौन हैं, आपका प्रवासन दर्जा क्या है, इसकी परवाह किये बिना, हर किसी को, समान अधिकार और समान संरक्षण पाने का अधिकार हासिल है.”
‘नज़दीकी नज़र’
यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने भी इसी तरह की चिन्ताएँ दोहराते हुए कहा कि हेती में, जटिल सामाजिक, आर्थिक, मानवीय और राजनैतिक परिस्थितियों के कारण, पिछले एक दशक के दौरान, देश के भीतर मित्रित गतिविधियों व आवागमन की विभिन्न लहरों को जन्म दिया है.
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इनमें से कुछ लोगों के पास, अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण के लिये, दमदार अर्ज़ियाँ मौजूद हों.
प्रवक्ता ने बताया कि यूएन शरणार्थी एजेंसी लोगों के आवागमन सम्बन्धी गतिविधियों पर नज़दीकी नज़र रखे हुए जिसकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, एक ऐसे क्षेत्रीय कार्यक्रम व कार्रवाई की ज़रूरत है जिसके ज़रिये असरदार और क़ानूनी आवास का प्रबन्ध किया जा सके. इसमें उन लोगों को भी शामिल किया जाए जिन्हें अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण की ज़रूरत नहीं है.
प्रवक्ता ने कहा कि लोगों को जबरन उनके देशों को वापिस भेजे जान के मामले में, यूएन शरणार्थी एजेंसी अमेरिका – मैक्सिको की सीमा के दोनों तरफ़, स्थिति पर नज़दीकी नज़र रखे हुए है.
शरण पाने के अधिकार का सम्मान हो
यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने कहा कि मानवीय स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण बनी हुई है, और लोगों को शीर्षक 42 लोक स्वास्थ्य सम्बन्धी – शरण प्रतिबन्धों के नाम पर, निष्काषित किया जा रहा है.
प्रवक्ता ने कहा कि “पनाह मांगने का अधिकार, एक बुनियादी अधिकार है”, उन्होंने इस अधिकार का सम्मान किये जाने का आहवान किया है.
शाबिया मण्टू ने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी शुरू होने के समय से ही, यूएन शरणार्थी एजेंसी ने तमाम देशों से कहा था कि लोक स्वास्थ्य ज़रूरतों, राष्ट्रीय सुरक्षा ज़रूरतों के प्रबन्धन के भी तरीक़े हैं, मगर लोगों के - शरण मांगने के अधिकार का भी सम्मान किया जाए. ये आसानी से किया जा सकता है.
लगभग 15 लाख को पुनर्वास की ज़रूरत
यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने अमेरिकी राष्ट्रपति की इस घोषणा का सन्दर्भ लिया कि अगले वर्ष, एक लाख 25 हज़ार शरणार्थी और उनके परिवारों का पुनर्वास कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों के दौरान रिकॉर्ड कम संख्या में शरणार्थियों का पुनर्वास किया गया है.
प्रवक्ता ने बताया कि विश्व के कुल शरणार्थियों की लगभग 90 प्रतिशत संख्या को, कुछ निर्धनतम देशों में शरण मिली हुई है जोकि बहुत शाबाशी की बात है.
उन्होंने ये भी बताया कि अगले वर्ष यानि 2022 के दौरान, दुनिया भर में लगभग 14 लाख 70 हज़ार शरणार्थियों को, पुनर्वास की ज़रूरत होगी.
“पुनर्वास, एक तरह से संरक्षण सुनिश्चित करने की एक प्रणाली है,” मगर दुनिया के बहुत कम शरणार्थियों को ही ये सुविधा उपलब्ध है. ये स्थिति, शरणार्थियों को पुनर्वास कराने के लिये आगे आने वाले इच्छुक देशों की संख्या पर निर्भर करती है.