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भारत: चन्द्रयान-3 की असाधारण यात्रा और पड़ाव, वैश्विक बधाइयाँ

अपोलो 8, चंद्रमा पर पहले मानवयुक्त मिशन की तस्वीर.
NASA
अपोलो 8, चंद्रमा पर पहले मानवयुक्त मिशन की तस्वीर.

भारत: चन्द्रयान-3 की असाधारण यात्रा और पड़ाव, वैश्विक बधाइयाँ

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र ने, भारत के अन्तरिक्ष मिशन चन्द्रयान-3 के, चन्द्रमा के दक्षिणी धुव पर सफलतापूर्वक पहुँचने को, एक महत्वपूर्ण उपलब्धि क़रार देते हुए बधाई दी है.

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) ने, 14 जुलाई को चन्द्रयान-3 मिशन शुरू किया था, जो 40 दिन बाद, बुधवार 23 अगस्त को, चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरा.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की सहायक प्रवक्ता फ़्लोरेंशिया सोटो निनो ने बुधवार को, न्यूयॉर्क मुख्यालय में, पत्रकारो से बातचीत के दौरान कहा कि भारत, चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अन्तरिक्ष यान सफलतापूर्वक उतारने वाला पहला देश बन गया है.

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“यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिसे दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोगों ने देखा.”

यूएन प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की, अन्तरिक्ष से जुड़े विषयों में गहरी दिलचस्पी है, विशेष रूप से बाहरी अन्तरिक्ष के शान्तिपूर्ण उद्देश्यों के उपयोग में.

“हम अन्तरिक्ष खोज अभियान में भारत को और बड़ी सफलताएँ हासिल करने की शुभकामनाएँ देते हैं.”

एक विराट क़दम

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के लिए अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने अपने एक ट्वीट सन्देश में, चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर, चन्द्रयान-3 के ‘ऐतिहासिक पड़ाव’ पर भारत को बधाई प्रेषित की.

उन्होंने कहा कि यह भारत देश, मानवता, विज्ञान और नवाचार के लिए एक विराट क़दम है. 

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत रुचिरा काम्बोज ने चन्द्रमा मिशन की सफलता पर, न्यूयॉर्क में पत्रकारों को सम्बोधित किया.

“यह एक बेहद शानदार दिन है. और मेरे विचार में सबसे ख़ास बात यह है कि भारत, दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है, जहाँ अभी तक अनेक अन्य देश सफल नहीं हुए हैं.” 

यूएन में भारत की स्थाई प्रतिनिधि के अनुसार, भारत द्वारा किए जाने वाले हर प्रयास का, मानवता स्वत: एक हिस्सा है, जैसेकि ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का सिद्धान्त दर्शाता है.

“यह सफलता सम्पूर्ण मानवता को समर्पित है और भारत की सफलता से, वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों को ऐसा करने के लिए प्रेरणा मिलनी चाहिए.”

महिलाओं की भागेदारी

भारतीय राजदूत रुचिरा काम्बोज ने अन्तरिक्ष अभियान में महिला वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया. 

उन्होंने कहा कि चन्द्रयान-3 पर काम करने वाली टीम में एक बड़ी संख्या महिला वैज्ञानिकों की थी. 

उनके अनुसार, यह उपलब्धि भारत में महिला नेतृत्व वाले विकास के मॉडल से तो मेल खाती ही है, साथ ही, लैंगिक समानता पर संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास एजेंडा के पाँचवें लक्ष्य, एसडीजी-5 के भी अनुरूप है, जोकि लैंगिक समता पर केन्द्रित है.