भारत: युवाओं को कार्रवाई के केन्द्र में लाने की अनूठी पहल
भारत में संयुक्त राष्ट्र ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिये भारत के 35 करोड़ युवाओं को प्रेरित करने और उनका समर्थन जुटाने के लिये प्रथम 'युवाह' पैरोकार नियुक्त किये हैं.
Historic day today! The very first cohort of UN India YuWaah Advocates have been announced by UN Agencies in India today. @UNinIndia🎥Watch: https://t.co/oCnN2m9nhG#ImPactWithYouth #IYD2022 pic.twitter.com/rKawi30sfG
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यूएन इण्डिया YuWaah के ये 6 युवा पैरोकार, विविध पृष्ठभूमि और भौगोलिक क्षेत्रों से हैं, जो उच्च-स्तरीय निर्णायक मंचों पर टिकाऊ विकास लक्ष्यों की कार्रवाई प्रेरित करेंगे.
इसके लिये, इन 6 युवाओं को, सूचना, कौशल, और परामर्श प्रदान किया जाएगा, और वे संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों व साझीदारों, मशहूर पैरोकारों, राजदूतों और प्रभावकारी विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि 2030 एजेण्डा को आगे बढ़ाने के लिये, युवाओं की प्राथमिकताओं एवं दृष्टिकोण को आकार दिया जा सके.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, भारत सरकार, निजी क्षेत्र, सिविल सोसायटी और युवाओं के प्रतिनिधियों ने, युवाओं को कार्रवाई के केन्द्र में लाने के लिये प्रतिबद्धता जताते हुए, बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों को प्रभावशील व प्रासंगिक बनाने के लिये, विविधता, समावेश, समानता तथा युवाओं के साथ सार्थक भागेदारी सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
भारत में संयुक्त राष्ट्र के रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर, शॉम्बी शार्प ने इस अवसर पर कहा, “युवाओं ने बार-बार, अदभुत ऊर्जा और रचनात्मकता के साथ दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता साबित की है. मैं यूएन इण्डिया YuWaah के पैरोकारों को उनकी नियुक्ति पर बधाई देता हूँ और 2030 एजेण्डा व टिकाऊ विकास के लिये उनके समाधानों को लागू करने में मदद के लिये तत्पर हूँ."
"आज एक नई शुरुआत है, भारत में युवा लोगों और भारत में संयुक्त राष्ट्र के बीच एक अधिक न्यायपूर्ण, समावेशी एवं न्यायसंगत दुनिया के लिये साझेदारी का एक नया मंच - जहाँ किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाएगा. जब युवा भारतीयों की सबसे विशाल युवा आबादी, दुनिया का नेतृत्व करेगी, तो पूरा विश्व उसका अनुसरण करेगा."
भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री, अनुराग ठाकुर ने इस पहल का समर्थन करते हुए अपने वीडियो सन्देश में कहा, “भारत के युवा, देश की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हैं, जो देश का भविष्य निर्धारित करने के महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
भारत के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने युवाओं को प्रमुख हितधारक के रूप में मान्यता देते हुए, एसडीजी 17 के सिद्धान्तों के तहत, देश के विकास एजेण्डे में युवा भागेदारी और युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाया है.”
वहीं भारत में यूनीसेफ़ की प्रतिनिधि और YuWaah (Generation Unlimited India) बोर्ड की सह-अध्यक्ष, यासुमासा किमुरा ने कहा, “भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में एक वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है, जो दुनिया को दिखाएगा कि महामारी के बाद बेहतर पुनर्निर्माण किस तरह किया जाए और इस कार्रवाई के चालक भारत के युवा हैं."
"यूनीसेफ़, भारत में संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर, इस अद्वितीय पीढ़ी के युवाह आन्दोलन के क्षण का लाभ उठाने पर गर्व महसूस कर रहा है, जिसका उद्देश्य एक पोषण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जो युवाओं को नेतृत्व का कौशल प्रदान करके भविष्य के लिये तैयार करता है."
उन्होंने कहा कि ‘यूएन इण्डिया युवाह एडवोकेट्स’ पहल का शुभारम्भ युवाओं के साथ सार्थक साझेदारी करने और हमारे सामूहिक भविष्य के लिये निर्णय लेने तथा पैरोकारी में उनकी आवाज़ को मुख्य धारा में लाने की दिशा में एक अतिरिक्त क़दम है.
‘यूएन इण्डिया 'युवाह' एडवोकेट्स’
मोहम्मद सिराज (26 वर्ष), पश्चिम, बंगाल
• बंगाल के मोहम्मद सिराज ‘द पचान फाउण्डेशन’ के संस्थापक है. उन्होंने गंगा नदी का दूषित जल साफ़ करने की एक पहल शुरू की - 'इनसान तेरी गंगा मैली.'
• इस अभियान के ज़रिये, दो घाटों (टीटागढ़ घाट और ग्लास काल घाट) में 80 सप्ताह में, कुल 4500+ किलोग्राम से अधिक कचरा इकट्ठा किया जा चुका है.
• उनका मिशन है, एसडीजी 13,14 और 15 पर ध्यान केन्द्रित करके, पृथ्वी में निवेश करने और व्यक्तियों एवं सरकारों को सक्रिय करके, दुनिया के सबसे बड़े पर्यावरण आन्दोलन का निर्माण करना.
• मोहम्मद सिराज, यूएनवी इण्डिया के स्वयंसेवक बल में पश्चिम बंगाल समन्वयक के रूप में जुड़े हैं, और पारिस्थितिक स्थिरता पर विभिन्न गतिविधियों के आयोजन में सक्रिय रहे हैं.
भावी बराड़ (25 वर्ष), नई दिल्ली
• भावी बराड़ एक विकास पेशेवर हैं, जो युवाओं के लिये सुरक्षित स्थान बनाकर, युवा अधिकारों, एजेंसी और नेतृत्व पर काम कर रही हैं.
• वह, वर्तमान में, एक युवा विकास संगठन, ‘प्रवाह’ से जुड़ी हैं, जहाँ वह राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के साथ कार्यक्रमों का नेतृत्व करती है – जिनमें से एक कोविड के दौरान शिक्षा के नुक़सान पर केन्द्रित है, और दूसरा, समुदायों में सदभाव बनाने के लिये सम्वाद पर आधारित है.
• वह एक समावेशी, शान्तिपूर्ण और न्यायपूर्ण समाज बनाने की इच्छा रखती हैं, जहाँ युवा अहम हितधारकों के रूप में एक ऐसी दुनिया के निर्माण में भाग लें, जिसमें कोई भी पीछे न रह जाए. इसके लिये वो experiential learning journeys के ज़रिये, युवाओं को ख़ुद को बेहतर ढंग से समझने, अपनी आवाज़ बुलन्द करने, सामाजिक वास्तविकताओं से जुड़ने, और टिकाऊ सामाजिक कार्य-योजनाओं का नेतृत्व करने में मदद करती हैं.
अंकिता सहदेव (24 वर्ष), हरियाणा
• EXCEPTIONALS (यानि ‘अपवाद’) नामक अपनी पहल के ज़रिये, विकलांग और गैर-विकलांग स्वयंसेवकों को एकजुट करके, एक-दूसरे के प्रति सम्वेदनशील बनाने, विकलांग युवाओं के लिये सहयोग व सदभाव को बढ़ावा देने के प्रयासों में लगी हैं.
• हाशिये पर धकेले हुए समुदायों के साथ जागरूकता सत्रों और सम्वादात्मक गतिविधियाँ आयोजित करके, अंकिता और उनकी टीम, विकलांगों के लिये अधिक न्यायसंगत एवं सुलभ कार्यक्रमों की हिमायत करती है. उन्होंने इस विचारधारा के विरुद्ध एक ‘दान अभियान’ भी चलाया कि विकलांग व्यक्ति केवल दान ले सकते हैं, वो किसी भी तरह के योगदान में असमर्थ हैं. उन्होंने ‘स्किलअप इनिशियेटिव’ के माध्यम से, विकलांगों को तकनीकी कौशल, टाइपिंग व अंग्रेज़ी बोलने का प्रशिक्षण दिया.
• अंकिता, बदलाव लाने की अपनी मुहिम के तहत ऐसे अनेक विकलांग युवाओं से मिलीं, जो समानता और समान पहुँच के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं, और उनकी ही तरह अंकिता भी अपने सामाजिक प्रभाव क्षेत्र में समानता के लिये पैरोकारी करने के लिये प्रयासरत हैं.
• वह एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका भी हैं और उन्होंने विशेष रूप से विकलांग युवाओं पर केन्द्रित एक सौन्दर्य प्रतियोगिता भी जीती है. वह विकलांगों समेत सर्वजन के लिये, जीवन कौशल निर्माण पर काम करना चाहती हैं.
सौम्य रंजन बिस्वाल (25 वर्ष), ओडिशा
• सौम्य रंजन, शिकारियों, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से ख़तरे में पड़े ‘ओलिव रिडले’ प्रजाति के समुद्री कछुओं के संरक्षण के मिशन पर है, और मैन्ग्रोव, सॉल्ट मार्श व सैण्ड ड्यून पौधों की बहाली पर काम कर रहे हैं.
• उन्होंने भारत के ओडिशा प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में स्थाई और वैज्ञानिक आधार पर समुद्री कछुओं व अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिये लगभग 100 युवा स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया है. वह स्थानीय मछुआरा समुदायों को, अत्यधिक मछली पकड़ने के नुक़सान व समुद्री जीवन के संरक्षण को लेकर जागरूक करने में लगे हैं.
• क्षेत्र के समुद्र तटों पर 250 से अधिक समुद्र तट सफ़ाई गतिविधियों के ज़रिये उन्होंने, लोगों को एकजुट करके, अब तक लगभग 15 टन प्लास्टिक, पॉलिथीन बैग, मछली पकड़ने के जाल और अन्य ठोस कचरे को साफ़ करने में कामयाबी हासिल की है.
• वह आने वाली पीढ़ियों के कल्याण के लिये, जलवायु न्याय की भावना से प्रेरित हैं, और वर्तमान में जैव विविधता संरक्षण के लिये आदिवासी समुदाय के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु, जागरूकता कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं. उनके अभियान को ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया जा चुका है.
मानसी ठाकर (25 वर्ष), गुजरात
• यूनेप के ‘टाइड टर्नर’ प्लास्टिक चैम्पियनों में से एक, मानसी ने अपने मित्र के पर्यावरण संरक्षण क्लब के सदस्य के रूप में अपनी पर्यावरण यात्रा शुरू की. पिछले दो वर्षों में इस क्लब में महुआ क्षेत्र के 200 से अधिक सदस्य, नियमित रूप से समुद्र तट की सफ़ाई और रखरखाव के काम से जुड़ चुके हैं.
• उसके प्रयासों से गंगा की डॉल्फ़िन, और मॉस्कड बूबी, अण्डे सेने के लिये वापस लौटीं. पहले समुद्र तटों पर बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण के कारण अण्डे सेने सम्भव नहीं थे, लेकिन अब डॉल्फ़िन वापस लौटने लगीं हैं और उनकी आबादी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.
• मानसी ने महुआ के तटीय क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों को भी समुद्र तट सफ़ाई अभियान और रखरखाव में शामिल किया. मानसी और उनके क्लब ने, वन विभाग की मदद से कचरा संग्रह, पृथकीकरण और पुनर्चक्रण की एक प्रणाली स्थापित की. उन्होंने स्थानीय समुदाय के साथ पर्यावरण अनुकूल गणेश विसर्जन सुनिश्चित करने के लिये भी काम किया है.
• तटीय क्षेत्रों से प्लास्टिक हटाने एवं मछली पकड़ने के बेकार फेंके सामान इकट्ठे करने के उनके प्रयास जारी हैं.
मुरसल मोहम्मदी (23 साल), नई दिल्ली
• मुरसल मोहम्मदी को 2017 में अफ़ग़ानिस्तान से भागकर भारत आना पड़ा, जहाँ वो BOSCO (यूएनएचसीआर के एक भागीदार) के युवा क्लब की नेता बन गईं. इस क्लब में शरणार्थी युवाओं को, शैक्षिक व सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर प्रदान किये जाते हैं.
• क्लब में 200 से अधिक सदस्य हैं, जो जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, बाल विवाह और नशीली दवाओं के दुरुपयोग सहित विभिन्न विषयों पर शैक्षिक एवं सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते हैं.
• 2021 में, उन्होंने यूएनएचसीआर न्यूयॉर्क के पत्रकारिता परामर्श कार्यक्रम में भाग लिया, जहाँ उन्होंने UNHCR GLOBAL APPEL 2021 में शरणार्थियों के लिये शिक्षा के महत्व पर एक पत्र लिखा. उन्होंने यूएनएचसीआर इण्डिया के विज़ुअल स्टोरीटैलिंग कार्यक्रम में भी भाग लिया, जहाँ उन्होंने 'घर और अपनापन' विषय पर एक प्रोजेक्ट पर काम किया था, जिसे सामूहिक पुस्तक - 'होम एण्ड बिलाँगिंगनैस' के रूप में, UNHCR ने अप्रैल 2022 में प्रकाशित किया था.
• फ़िलहाल वह एक फोटोग्राफ़र और दृश्य कथाकार के तौर पर लैंगिक समानता, शरणार्थी व विस्थापन, एवं सामाजिक असमानताओं पर केन्द्रित मुद्दों पर काम कर रही हैं. वह, दृश्यों के ज़रिये अपनी कहानी बयान करने की शक्ति के ज़रिये, अपने साथी शरणार्थियों की आवाज़ बुलन्द करने की कोशिश करती हैं.
YuWaah के बारे में
YuWaah (Generation Unlimited in India) एक बहु-हितधारक मंच है, जिसका उद्देश्य युवाओं की शिक्षा को उत्पादक कार्य व सक्रियता में बदलाव के लिये तैयार करना है. इसका गठन, यूनीसेफ़ ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के भागीदारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नागरिक समाज संगठनों, संस्थानों और युवाओं के साथ मिलकर भारत में ‘जनरेशन अनलिमिटेड’ की साझेदारी के रूप में किया था.
भारत में YuWaah का लक्ष्य है कि 2030 तक:
• 10 करोड़ युवाओं के लिये आकांक्षी सामाजिक-आर्थिक अवसरों के लिये मार्ग बनाना.
• 20 करोड़ युवाओं को उत्पादक जीवन और कामकाज लिये प्रासंगिक कौशल हासिल करने में मदद करना.
• 30 करोड़ युवाओं के साथ साझेदारी करके, बदलाव का कारक बनने व उनके नेतृत्व को विकसित करने के स्थान का निर्माण करना.