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दक्षिण सूडान में गहराते खाद्य संकट को टालने के लिए, तत्काल कार्रवाई की पुकार

दक्षिण सूडान के एक बाज़ार का दृश्य, जहाँ विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) लोगों को नक़दी सहायता मुहैया कराता है, जिससे वो अपने लिए भोजन वस्तुएँ ख़रीद सकते हैं. (फ़ाइल)
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दक्षिण सूडान के एक बाज़ार का दृश्य, जहाँ विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) लोगों को नक़दी सहायता मुहैया कराता है, जिससे वो अपने लिए भोजन वस्तुएँ ख़रीद सकते हैं. (फ़ाइल)

दक्षिण सूडान में गहराते खाद्य संकट को टालने के लिए, तत्काल कार्रवाई की पुकार

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र की खाद्य सहायता एजेंसियों ने मंगलवार को आगाह करते हुए कहा है कि दक्षिण सूडान में खाद्य असुरक्षा, जलवायु चुनौतियों और असुरक्षा का हल निकालने के लिए अगर तत्काल कार्रवाई व निवेश नहीं किए जाते हैं तो, देश एक गम्भीर मानवीय संकट के बिल्कुल निकट है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के महानिदेशक क्यू डोंगयू, यूएन विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्केन, और अन्तरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) के अध्यक्ष अलवैरो लैरियो ने, दक्षिण सूडान की तीन दिन की यात्रा के दौरान, समुदायों पर भीषण मौसम सम्बन्धी घटनाओं और बुनियादी ढाँचे के अभाव के विनाशकारी प्रभाव प्रत्यक्ष देखे हैं.

सिंडी मैक्केन ने कहा है, “दक्षिण सूडान में टकराव, जलवायु परिवर्तन और आसमान छूती क़ीमतें, विश्व में सर्वाधिक उच्च स्तरों वाला खाद्य अभाव उत्पन्न कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि केवल भोजन उपलब्ध करा देना ही समाधान नहीं है.

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सिंडी मैक्केन ने ज़ोर देकर कहा, “हमें इस चक्र को तोड़ना होगा और समुदायों को आशा, अवसर व आर्थिक विकास के बीज बोने के लिए सशक्त बनाना होगा. दक्षिण सूडान, शान्ति व स्थिरता के साथ, अपार सम्भावनाओं से भरा हुआ है.”

संयुक्त राष्ट्र की इन तीन बड़ी हस्तियों की, दक्षिण सूडान की ये यात्रा ऐसे समय हुई है जब हाल ही में, विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति पर वर्ष 2023 की एक संयुक्त रिपोर्ट जारी हुई है. 

रिपोर्ट में पाया गया है कि दुनिया भर में वर्ष 2019 के बाद से, 12 करोड़ से अधिक लोगों को, दीर्घकालिक कुपोषण की तकलीफ़ों से गुज़रना पड़ रहा है.

पूर्वी अफ़्रीका की सम्भावित खाद्य टोकरी

खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार दक्षिण सूडान, एक प्रमुख खाद्य उत्पादक देश के रूप में, अपार सम्भावनाओं से भरा हुआ है, मगर वर्षों के टकराव व युद्ध के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, कमज़ोर बुनियादी ढाँचे, शिक्षा का निम्न स्तर, और उच्च बेरोज़गारी दर ने, किसी भी तरह की प्रगति को बाधित कर रखा है.

संगठन के मुखिया क्यू डोंगयू ने नई धन उपलब्धता को रेखांकित करते हुए कहा है, “दक्षिण सूडान में, पूर्वी अफ़्रीका की खाद्य टोकरी बनने की सम्भावना निहित है, मगर जलवायु संकट, निर्बल कृषि ढाँचे, अस्थिरता और आर्थिक झटकों ने कृषि और मवेशी उत्पादकता के साथ-साथ, खाद्य उपलब्धता को बाधित करना जारी रखा हुआ है.”

उन्होंने कहा, “निवेशों के साथ-साथ दीर्घकालीन खाद्य सुरक्षा, सहनशीलता और जलवायु अनुकूलन को बेहतर बनाने वाली नीतियों की तत्काल ज़रूरत है.”

व्यापक निवेश की दरकार

इन तीन यूएन एजेंसियों और सरकार व देश में मौजूद अन्य साझीदारों के बीच सहयोग व समन्वय की बदौलत, हाल के वर्षों में अकाल को टालने में मदद मिली है और किसान अपना खाद्य उत्पादन और आय बढ़ाने में समर्थ हो सके हैं.

अलबत्ता, जारी खाद्य अभाव संकट का सामना करने और अन्य झटकों को टालने व भविष्य के संकटों का असर कम करने के लिए, बड़े पैमाने पर और टिकाऊ कार्रवाई की दरकार है.