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फ़लस्तीनी इलाक़ों में इसराइली क़ब्ज़ा ख़त्म करने हेतु, अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की दरकार

इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट का एक दृश्य.
© UNRWA/Tareq Shalash
इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट का एक दृश्य.

फ़लस्तीनी इलाक़ों में इसराइली क़ब्ज़ा ख़त्म करने हेतु, अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की दरकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच झड़पों की पृष्ठभूमि में, बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है. 

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने जिनीवा में बुधवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़े में, यदि हिंसा के ख़िलाफ कार्रवाई करने में विफल रहता है, तो इसे इसराइली सरकार द्वारा अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के लगातार उल्लंघन को स्वीकार करने के जोखिम के रूप में देखा जाएगा.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा पूर्वी येरूशेलम के ग़ैरकानूनी क़ब्ज़े सहित, पश्चिमी तट और इसराइल में अनेक हिस्सों में जारी हिंसा, अन्ततः क़ब्ज़े वाले पूरे फ़लस्तीनी इलाक़े पर क़ब्ज़ा करने की सम्भावित योजना को दर्शाती है.

यूएन विशेषज्ञों ने कहा, “वर्ष 2020 में, 46 यूएन विशेषज्ञों के एक समूह ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी-तट के कुछ हिस्सों पर क़ब्जा करने के, इसराइल के इरादों के ख़िलाफ कड़ा रुख़ अपनाने का आहवान किया था. उस समय हमारा आहवान अनसुना कर दिया गया, लेकिन अब हम ख़ामोश नहीं रह सकते.”

“अवैधता और अन्याय के जाल में असमान रूप से फँसे फ़लस्तीनियों और इसराइलियों, दोनों के लिए ही ये त्रासदी जारी है. जो फ़लस्तीनी और इसराइली मानवाधिकार पैरोकार, इन उल्लंघनों की तरफ़ शान्तिपूर्ण तरीक़े से लोगों का ध्यान खींचते हैं, उन्हें बदनाम किया जा रहा है, उन्हे अपराधी ठहराया जाता है या आतंकवादी क़रार दिया जाता है.”

इसराइल के शासकीय गठबन्धन ने, फ़रवरी 2023 में, पश्चिमी तट की अधिकांश प्रशासकीय शक्तियाँ, अतिरिक्त रक्षा मंत्री को सौंप दीं, जिसे वास्तविक रूप में इसराइल के क़ब्ज़े वाले पश्चिमी-तट का प्रभावकारी गवर्नर बना दिया गया.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने बताया कि इस कार्रवाई ने, क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों को छीनने के इसराइली प्रयासों को और अधिक मज़बूत कर दिया है.

छीनने के इसराइली प्रयास जारी

यूएन विशेषज्ञों ने ज़ोर देते हुए कहा कि डराने धमकाने या बलपूर्वक तरीक़ों से, किसी क्षेत्र पर क़ब्ज़ा करना अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत पूरी तरह निषिद्ध है. यह एक आक्रामक रवैया है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है और, ये अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा करता है. 

उन्होंने कहा कि इसराइल ने क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र के अनेक हिस्सों को छीनन के लगातार प्रयास किए हैं.

“इसराइल ने, पिछले पाँच दशकों के दौरान फ़लस्तीनी भूमि और संसाधनों को ज़ब्त कर लिया है या ज़ब्त किए जाने को सही ठहराया है, जिसके परिणाम स्वरूप 270 से अधिक यहूदी बस्तियाँ बसाई गई हैं जिनमें साढ़े सात लाख इसराइली निवासी रहते हैं.”

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लिस्तीनी क्षेत्र में, इसराइली निवासियों को नागरिक और राजनैतिक अधिकारों का लाभ मिलता है, जबकि फ़लस्तीनी लोग सैन्य शासन के तहत रहने को मजबूर हैं.

यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने फ़लस्तीनी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ हिंसा के बढ़ते स्तर और इसकी क्रूर प्रकृति के बारे में चिन्ता ज़ाहिर की है. उन्होंने जीवन के अधिकार और अन्य मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को रेखांकित करते हुए, इसराइल से ये उल्लंघन रोके जाने के लिए, तत्काल कार्रवाई की मांग की है.

“हमें डर है कि जब तक शान्ति और सुरक्षा की नींव पर बने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून को बहाल नहीं किया जाता, तब तक हिंसा का ये चक्र यूँ ही जारी रहेगा.”

यूएन विशेषज्ञों ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से, इसराइल के इन अवैध कृत्यों को रोकने के लिए, तमाम उपलब्ध क़ानूनी साधनों का प्रयोग करने का आग्रह किया है.

मानवाधिकार विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति, जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद, किसी मानवाधिकार स्थिति या किसी देश की स्थिति की निगरानी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए करती है. यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं, वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं. ये पद मानद होते हैं और उन्हें उनके कामकाज के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.