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शरणार्थियों को फिर से बसाए जाने की आवश्यकताओं में वृद्धि होने की सम्भावना

रवांडा के किज़िबा शिविर में शऱणार्थियों को नॉर्वे में बसाने के लिए तैयारी की जा रही है.
© UNHCR/Lilly Carlisle
रवांडा के किज़िबा शिविर में शऱणार्थियों को नॉर्वे में बसाने के लिए तैयारी की जा रही है.

शरणार्थियों को फिर से बसाए जाने की आवश्यकताओं में वृद्धि होने की सम्भावना

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने अगले वर्ष वैश्विक स्तर पर शरणार्थियों को किसी अन्य देश में फिर से बसाए जाने की आवश्यकताओं में बड़ा उछाल आने की सम्भावना जताई है.

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युद्ध, उत्पीड़न, हिंसक टकराव समेत अन्य कारणों से अनेक शरणार्थियों के लिए अपने मूल देश वापिस लौट पाना सम्भव नहीं हो पाता है. वे जिन देशों में शुरुआत में शरण लेते हैं, वहाँ अक्सर उनकी विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता. 

ऐसी परिस्थितियों में यूएन शरणार्थी एजेंसी, शरणार्थियों को किसी तीसरे देश में बसाने (resettlement) में उनकी मदद करती है.

वर्ष 2024 के लिए, यूएन एजेंसी का आकलन Projected Global Resettlement Needs Assessment for 2024 दर्शाता है कि अगले साल 24 लाख शरणार्थियों को फिर से बसाए जाने की आवश्यकता होगी.

2023 की तुलना में यह 20 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है.

विश्व के अनेक देशों में शरणार्थी संकट गहरा रहा है, सुरक्षा हालात दरक रहे हैं, हिंसक टकराव गहन रूप धारण कर रहे हैं. 

इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपनी जान बचाकर सुरक्षित स्थानों पर आश्रय लेने वाले शरणार्थियों की सहायता के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होगी.

यूएन शरणार्थी एजेंसी के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा, “हम 2024 में, फिर से बसाए जाने की आवश्यकता वाले शरणार्थियों की संख्या में बढ़ोत्तरी की सम्भावना देख रहे हैं.”

“सबसे अधिक जोखिम का सामना कर रहे, विशिष्ट ज़रूरतों वाले लोगों को फिर से बसाया जाना, उनके लिए एक बेहद अहम जीवनरेखा है.”

इस विषय में एशिया क्षेत्र सूची में सबसे आगे है, जहाँ सात लाख 30 हज़ार शरणार्थियों को फिर से बसाने के लिए समर्थन की दरकार होगी. यह कुल शरणार्थियों की संख्या का 30 प्रतिशत दर्शाता है.

विशाल आवश्यकताएँ

सीरिया में युद्ध अब अपने 13वें वर्ष में है और विश्व में सबसे विशाल स्तर पर शरणार्थी संकट बना हुआ है. वहाँ लगातार आठवें साल, शरणार्थियों को फिर से बसाने के लिए समर्थन की ज़रूरत होगी.

बताया गया है कि साढ़े सात लाख से अधिक लोगों को तत्काल सहायता की आवश्यकता है. 

अफ़ग़ानिस्तान में भी शरणार्थियों को बड़े स्तर पर ज़रूरतें हैं, जिसके बाद दक्षिण सूडान, म्याँमार और काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) का स्थान है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने सभी सामर्थ्यवान सदस्य देशों से सतत रूप से, बहु-वर्षीय प्रतिबद्धताओं की पुकार लगाई है, ताकि शरणार्थियों को फिर से बसाने, उनके लिए सुरक्षा व संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को शरणार्थियों के लिए अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा. 

शरणार्थियों को फिर से बसने में सहायता प्रदान करके, उन्हें नए जीवन के लिए आशा प्रदान की जा सकती है और यह ख़तरों से जूझ रहे लोगों के लिए एक स्थाई समाधान हो सकता है.

साथ ही, इससे मेज़बान देशों पर दबाव में कमी लाने में मदद मिलती है और संरक्षण फ़्रेमवर्क को मज़बूती प्रदान की जा सकती है.