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हेट स्पीच: हवा के रुख़ को उलटने की दरकार

अमेरिका में प्रदर्शनकारी बढ़ती नफ़रत के विरोध में सड़कों पर उतरे हैं.
© Unsplash/Jason Leung
अमेरिका में प्रदर्शनकारी बढ़ती नफ़रत के विरोध में सड़कों पर उतरे हैं.

हेट स्पीच: हवा के रुख़ को उलटने की दरकार

संस्कृति और शिक्षा

ये कहना दुखद ही है कि नफ़रत के विनाशकारी प्रभाव कोई नए नहीं हैं. अलबत्ता इसका दायरा और प्रभाव, आज के दौर में नई संचार प्रौद्योगिकियों के कारण बहुत बड़े हो गए हैं, इतने कि हेट स्पीच यानि नफ़रत भरी भाषा, वैश्विक स्तर पर विभाजनकारी विचारधाराओं और बड़बोलेपन को फैलाने के लिए, बहुत ज़्यादा प्रयोग किए जाने वाले तरीक़ों में से एक बन गई है. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने डिजिटल मंचों पर सूचना सत्यनिष्ठा की वृद्धि के लिए तैयार की गई एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट, सोमवार को जारी करते हुए कहा है कि देशों को, ऑनलाइन मंचों पर नफ़रत और झूठ के फैलाव से उत्पन्न गम्भीर वैश्विक नुक़सान से निपटने की ज़रूरत है.

यूएन महासचिव ने कहा है कि स्वयं जनित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के त्वरित विकास से उत्पन्न सम्भावित जोखिम के बारे में ख़तरे की घंटी से, डिजिटिल प्रौद्योगिकियों द्वारा पहले ही पहुँचाई गई क्षति को कम करके नहीं आँका जा सकता.

इन प्रौद्योगिकियों ने ऑनलाइन मंचों पर नफ़रत फैलाने के साथ-साथ, दुस्सूचना और दुष्प्रचार फैलाए हैं.

इस नीति-पत्र में तर्क दिया गया है कि डिजिटल मंच, प्रयोक्ताओं द्वारा साझा की जाने वाली सूचना की शुद्धता, निरन्तरता और विश्वसनीयता बरक़रार रखने में महत्वपूर्ण कारक साबित होने चाहिए.

यूएन प्रमुख ने इस रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है, “मेरी आशा है कि ये नीति-पत्र सूचना सत्यनिष्ठा को मज़बूत करने में, दिशा-निर्देशक कार्रवाई की ख़ातिर एक स्वर्णिम मानक उपलब्ध कराएगा.”

विस्फोटक धरातल

हेट स्पीच को अगर यूँ ही मुक्त छोड़ दिया गया तो, ये शान्ति और विकास तक को भी नुक़सान पहुँचा सकती है, क्योंकि नफ़रत भरी बोली, टकरावों और तनावों के साथ-साथ मानवाधिकारों के व्यापक उल्लंघन के लिए ज़मीन तैयार करती है.

मानवाधिकारों की रक्षा और विधि के शासन को आगे बढ़ाने के लिए, नफ़रत के तमाम रूपों के ख़िलाफ़ दुनिया को सक्रिय बनाने में, संयुक्त राष्ट्र का लम्बा इतिहास रहा है. 

हेट स्पीच के प्रभाव ऐसे अनेक क्षेत्रों के प्रभावित करते हैं, जिन पर संयुक्त राष्ट्र का ध्यान रहता है, इनमें मानवाधिकार संरक्षण, और अत्याचारों की रोकथाम से लेकर टिकाऊ शान्ति, लैंगिक समानता की प्राव्ति और बच्चों व युवाओं को समर्थन मुहैया कराना शामिल हैं.

दुनिया भर में स्वयं से भिन्न लोगों व समुदायों के लिए घृणा (Xenophobia), नस्लभेद और असहिष्णुता, हिंसक स्त्रीद्वेष, यहूदी विरोधवाद और मुसलमानों के विरुद्ध नफ़रत के चिन्ताजनक बढ़ते चलन से निपटने के लिए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, 18 जून 2019 को, हेट स्पीच पर संयुक्त राष्ट्र की रणनीति और कार्ययोजना शुरू की थी.

ये कार्ययोजना हेट स्पीच को संचार का ऐसा कोई भी रूप परिभाषित करती है जिसमें मौखिक, लिखित भाषा या ऐसा बर्ताव शामिल हैं जो किसी व्यक्ति या समूह को, उनकी पहचान के आधार पर हमलों का निशाना बनाएँ, या आक्रामक या फिर भेदभावपूर्ण भाषा का प्रयोग करें. अन्य शब्दों में कहें तो, उनके धर्म, जातीय पहचान, राष्ट्रीयता, नस्ल, रंग, पृष्ठभूमि, लैंगिक या अन्य किसी पहचान कारक के आधार पर.

वैसे, अभी अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत, हेट स्पीच की कोई सार्वभौमिक भाषा निर्धारित नहीं है. इस अवधारणा पर अभी विचार-विमर्श जारी है, विशेष रूप में, मत व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ग़ैर-भेदभाव और समानता के सन्दर्भ में.

ऑनलाइन मंचों पर हेट स्पीच तो, रोकी नहीं जा सकने वाली लहर नज़र आती है, मगर देशों की सरकारें, सिविल सोसायटी, और लोग भी निजी रूप में, हेट स्पीच का मुक़ाबला करने के लिए, रणनीतियाँ अपना रहे हैं.

रोकथाम में, शिक्षा की महती भूमिका

चूँकि ऑनलाइन वातावरण, नफ़रत भरी बयानबाज़ी के भोंपू बन गए हैं, वैश्विक नागरिकता शिक्षा के हिस्से के रूप में, डिजिटल साक्षरता को मज़बूत करना, अभूतपूर्व रूप से अहम हो गया है. संयुक्त राष्ट्र के #NoToHate अभियान, इस बारे में उपयोगी बिन्दु मुहैया कराता है कि हेट स्पीच का मुक़ाबला करने से सम्बन्धित मुद्दों पर जानकारी कैसे एकत्र और साझा की जाए.

इस बारे में अधिक जानकारी यहाँ हासिल की जा सकती है.

पृष्ठभूमि

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, दुनिया भर में हेट स्पीच के असाधारण फैलाव और वृद्धि पर, वैश्विक चिन्ता को, जुलाई 2021 में रेखांकित किया था. यूएन महासभा ने हेट स्पीच का मुक़ाबला करने में, अन्तर-धार्मिक और अन्तर-सांस्कृतिक संवाद व सहिष्णुता को बढ़ावा देने पर एक प्रस्ताव पारित किया था.

इस प्रस्ताव में भेदभाव, स्वयं से भिन्न लोगों व समुदायों से नफ़र (Xenophobia) और हेट स्पीच का मुक़ाबला किए जाने की ज़रूरत को स्वीकार किया गया है. साथ ही, देशों सहित तमाम प्रासंगिक पक्षों से, इस अवधारणा से, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के अनुरूप निपटने की पुकार भी लगाई गई है.

ये प्रस्ताव के अन्तर्गत, 18 जून को, हेट स्पीच का मुक़ाबला करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया गया है, जिसका आधार, हेट स्पीच का मुक़ाबला करने के लिए, 18 जून 2019 को जारी की गई यूएन रणनीति व कार्ययोजना है.

इस दिवस के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र, देशों की सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, सिविल सोसायटी समूहों और आम नागरिकों को, हेट स्पीच की पहचान करने, उससे निपटने और उसका सामना करने वाले कार्यक्रमों व रणनीतियों को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित करता है.

सदस्य देश, निजी क्षेत्र, मीडिया और इंटरनैट कम्पनियाँ, आस्था हस्तियाँ, शिक्षा प्रसारक, सिविल सोसायटी के पैरोकार, हेट स्पीच से प्रभावित लोग या समूह, युवजन या फिर एक आम नागरिक होने के रूप में, ये हम सबकी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि हम हेट स्पीच की घटनाओं के विरुद्ध दृढ़ता के साथ अपनी आवाज़ बुलन्द करें, और इस अभिशाप का सामना करने में असरदार भूमिका निभाएँ.

हेट स्पीच का मुक़ाबला क्यों ज़रूरी है?

चूँकि नफ़रत भरी बयानबाज़ी का फैलाव, हिंसा की आशंका पर आरम्भिक चेतावनी हो सकती है – जिनमें अत्याचार भरे अपराध भी शामिल हैं – तो हेट स्पीच को सीमित करने से, इसके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है.

हेट स्पीच से कैसे निपटें

कभी-कभी ये आकलन करना कठिन हो सकता है कि किसी टिप्पणी को हेट समझा जाए या नहीं – विशेष रूप में जब ये वर्चुअल दुनिया में अभिव्यक्त किए जाएँ. स्वभाविक रूप से नफ़रत भरी सामग्री से निपटना, बहुत भारी-भरकम ज़िम्मेदारी भी महसूस हो सकती है. अलबत्ता, अगर आप स्वयं भी निजी रूप में हेट स्पीच के पीड़ित नहीं हैं तो भी ऐसे बहुत से तरीक़े हैं जिनके माध्यम से आप एक रुख़ अपना सकते हैं. और आप बहुत अहम योगदान कर सकते हैं.

#NoToHate अभियान के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करें और यहाँ उपलब्ध जानकारी को, स्वयं को और अधिक जागरूक बनाने या कक्षाओं में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयोग करें.