‘डिजिटल सेना’: ग़लत जानकारी व दुस्सूचना से निपटने के लिए मुस्तैद यूएन शान्तिरक्षक
विश्व के अनेक हिस्सों में संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा अभियानों में, स्मार्टफ़ोन, सम्पादन के लिए ऐप्स (editing apps) और नवाचारी तौर-तरीक़ों की मदद लेकर, एक "डिजिटल सेना" तैयार की जा रही है, जिसका उद्देश्य सोशल मीडिया माध्यमों और उनसे परे दुस्सूचना व ग़लत जानकारी के प्रसार से निपटना है.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा उन झूठी जानकारियों के फैलाव से मुक़ाबले के लिए उपाय विकसित किए जा रहे हैं, जोकि अक्सर तनाव, हिंसा और मौत की वजह बनती हैं.
इस क्रम में, इस बात की निगरानी की जा रही है कि जानबूझकर फैलाई जाने वाली ग़लत सूचना (दुस्सूचना), ग़लत सूचना और नफ़रत भरे सन्देश व भाषण किस प्रकार से स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्थिरता के साथ-साथ टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने की प्रगति को प्रभावित करते हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जून महीने में डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म पर सूचना सत्यनिष्ठा के विषय पर एक नीति-पत्र जारी करते हुए कहा कि, “ये स्पष्ट है कि पहले की तरह कामकाज जारी रखना अब कोई विकल्प नहीं है.”
“वैज्ञानिक रूप से स्थापित तथ्यों को कमज़ोर करने के लिए बड़े पैमाने पर जानबूझकर ग़लत सूचना फैलाने की क्षमता, मानवता के अस्तित्व के लिए ख़तरा है, और इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं और बुनियादी मानवाधिकारों के लिए जोखिम पैदा होता है.
घातक दुस्सूचना का सामना
जानबूझकर फैलाई गई ग़लत सूचना (दुस्सूचना), अनेक प्रकार से ख़तरनाक साबित हो सकती है. संयुक्त राष्ट्र मिशन कार्यालयों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में यूएन शान्तिरक्षा कामकाज को प्रभावित करने की मंशा से सोशल मीडिया पर अनेक अभियान चलाए गए हैं.
वर्ष 2019 में, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में यूएन मिशन (MONUSCO) ने, इबोला महामारी के दौरान सोशल मीडिया पर शान्तिरक्षकों के विरुद्ध हिंसा के लिए उकसाने वाले दुष्प्रचार अभियानों पर गम्भीर चिंता व्यक्त की थी.
वर्ष 2022 तक, सुरक्षा परिषद ने अपने चार सबसे बड़े शान्तिरक्षा अभियानों के शासनादेश (mandate) में बदलाव किए हैं: काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), मध्य अफ़्रीकी गणराज्य (CAR), माली और दक्षिण सूडान में यूएन मिशन.
इसके तहत, यूएन मिशन के कामकाज में अभियान की विश्वसनीयता को कम करने के मक़सद से चलाए जाने वाली दुस्सूचना मुहिम की रोकथाम के दायित्व को जोड़ा गया है. डीआरसी में यूएन मिशन (MONUSCO) की मुखिया बिन्टू केइटा ने कहा है कि ये एक युद्ध है जोकि सोशल मीडिया, रेडियो और पारम्परिक समाचार माध्यमों के ज़रिए लड़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इस नए युद्धक्षेत्र को समझने के लिए घातक दुष्प्रचार व दुस्सूचना के विरुद्ध लड़ाई एक दर्दनाक सफ़र रहा है, लेकिन मिशन अब इसके फैलाव को रोकने में मदद करने के लिए सोशल और अन्य ऑनलाइन मंचों पर सक्रिय हो गया है.
झूठी ख़बरों के विरुद्ध लड़ाई
संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षक जानबूझकर फैलाई जाने वाली ग़लत सूचना से निपटने के लिए, हर उम्र के नागरिकों के हाथों में नए उपकरण सौंप रहे हैं, जिनमें काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का समर्थन करने वाली कार्यकर्ता, 15 वर्षीय ब्लेसिंग कसासी भी हैं.
ब्लेसिंग कसासी ने हाल ही में राजधानी किन्शासा में आयोजित एक कार्यशाला में भाग लिया, जहाँ 30 युवाओं को "झूठी जानकारी" को पहचानने और सबसे शक्तिशाली उपकरण: सच्चाई का उपयोग करके उसका प्रभावी ढंग से मुक़ाबला करने के बारे में शिक्षित किया गया.
कार्यशाला के प्रशिक्षक गुइलाउम किंग-फ़ेरेल ने बताया कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में यूएन मिशन के शान्ति प्रयासों को कमज़ोर करने के लिए दुस्सूचना को एक "युद्ध उपकरण" के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
यूएन मिशन (MONUSCO) द्वारा समर्थित कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों की एक “डिजिटल सेना” को तैयार करना है, जोकि झूठी जानकारी का पता लगाने में सक्षम होगी.
इसके लिए वे स्मार्टफ़ोन और सम्पादन सॉफ़्टवेयर के इस्तमाल के ज़रिय सामग्री तैयार करेगी और फिर वस्तुनिष्ठ, विश्वसनीय सूचना को "रिले क्लब" तक पहुँचाया जाएगा, जो इन सन्देशों का अपने नैटवर्क के ज़रिये प्रसार कर सकेंगे.
कसासी ने वर्कशॉप समाप्त होने पर कहा कि सही जानकारी को फैलाने के लिए वह अपने स्मार्टफ़ोन से वीडियो बनाएंगी.
नए तौर-तरीक़ों पर बल
संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा अभियानों से जुड़े कुछ समुदाय इन नए तौर-तरीकों का स्वागत कर रहे हैं.
माली में वर्ष 2021 में सैन्य तख़्तापलट के बाद से एक संक्रमणकालीन सरकार सत्तासीन है. देश में संयुक्त राष्ट्र मिशन (MINUSMA) ने जून में अपनी तरह के एक पहले ब्लॉगर उत्सव (blogger festival) की मेज़बानी की, जिसमें लगभग 400 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.
कार्यक्रम में भाग लेने वाले एक लोकप्रिय स्थानीय ब्लॉगर ने कहा, “बढ़ती प्रौद्योगिकी के साथ, ग़लत सूचना फैलाने के लिए डिजिटल मीडिया का तेज़ी से उपयोग किया जा रहा है. ग़लत सूचना से निपटने के लिए, ऐसा उत्सव एक अभिनव रणनीति है. ये नफ़रत फैलाने वाले भाषण और झूठी ख़बरों से निपटने के लिए एक उपयोगी साधन है.”
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जून के अन्त तक माली सरकार के अनुरोध पर, यूएन मिशन का अन्त किए जाने की घोषणा की, जिसके तहत 1 जनवरी 2024 तक मिशन की देश से पूर्ण रूप से वापसी निर्धारित की गई है.
अनेक अन्य स्थानों पर भी प्रयास किए जा रहे हैं. अगस्त महीने की शुरुआत में, सूडान और दक्षिण सूडान के बीच, एबेई के विवादित क्षेत्र में, संयुक्त राष्ट्र मिशन UNISFA ने, नफ़रत फैलाने वाले भाषणों और झूठी सूचना से निपटने के उद्देश्य से एक इंटरनेट-आधारित रेडियो स्टेशन Voice of Peace आरम्भ किया.
इस बीच, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में यूएन मिशन अपनी पहल के ज़रिये दुस्सूचना से प्रभावित समुदायों तक पहुँच रहा है. इसके तहत, डिजिटल विशेषज्ञों की भर्ती की जाती है, मल्टीमीडिया उत्पादों को तैयार किया जाता है और फिर समुदायों से सम्पर्क किया जाता है, विशेष रूप से सोशल मीडिया में पारंगत युवजन से.
बताया गया है कि इन उपकरणों के साथ, यूएन मिशन MONUSCO डिजिटल मंचों पर अपनी उपस्थिति मज़बूत बनाने पर केन्द्रित है, ताकि निगरानी की अपनी क्षमता को बढ़ाया जाए. इसका उद्देश्य, केवल प्रतिक्रियात्मक रुख़ अपनाने के बजाय पहले से ही स्थिति को भांपकर उसके अनुरूप अग्रिम क़दम उठाने पर बल दिया जाता है.