माली: यूएन मिशन दल पर हमले की कठोर निन्दा, एक शान्तिरक्षक की मौत
संयुक्त राष्ट्र ने माली में यूएन मिशन (MINUSMA) में सेवारत शान्तिरक्षकों के एक गश्ती दल पर हमले की कठोर निन्दा की है. इस हमले में बुरकिना फ़ासो के एक शान्तिरक्षक की मौत हो गई है और आठ अन्य गम्भीर रूप से घायल हुए हैं.
यूएन मिशन, MINUSMA, के प्रमुख ऐल-ग़ासिम वाने ने बताया कि टिम्बकटू क्षेत्र के बेर नगर में सुरक्षा गश्ती दल पर किया गया यह हमला एक कायरतापूर्ण कृत्य है.
उन्होंने कहा कि यह त्रासदीपूर्ण हानि, उन जोखिमों का एक ज्वलंत उदाहरण है जिनका सामना यूएन शान्तिरक्षकों करते है. वे माली के लोगों के लिए स्थिरता और शान्ति स्थापना हेतु अथक प्रयास कर रहे हैं.
यूएन मिशन के अनुसार, हमले के दौरान पहले एक आईईडी विस्फोट किया गया और फिर शान्तिरक्षकों पर गोलियाँ चलाई गईं.
शान्तिरक्षकों को श्रृद्धांजलि
यूएन मिशन के प्रमुख ऐल-ग़ासिम वाने ने सरकार और मृतक शान्तिरक्षक के परिजनों के प्रति अपनी गहरी सम्वेदना व्यक्त की है और घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शान्तिरक्षकों की सुरक्षा व सलामती बड़ी प्राथमिकता है, और माली में सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, उनकी रक्षा के लिए हर प्रयास किया जाएगा.
“MINUSMA, माली के लोगों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और देश में शान्ति व स्थिरता के समर्थन में अपना मिशन जारी रखने के संकल्प को फिर से रेखांकित करता है.”
मिशन प्रमुख ने कहा कि माली प्रशासनिक एजेंसियों के साथ मिलकर, इस घटना की जाँच और दोषियों की जवाबदेही तय करने के लिए काम किया जाएगा.
ख़तरनाक मिशन
संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस हमले की निन्दा करते हुए अपनी जान गँवाने वाले शान्तिरक्षक को श्रृद्धांजलि अर्पित की.
इस वर्ष, माली में अब तक नौ शान्तिरक्षक मारे जा चुके हैं, और इसे शान्तिरक्षकों के लिए सबसे ख़तरनाक यूएन मिशन के रूप में देखा जाता है.
यूएन शान्तिरक्षा अभियानों के प्रमुख ज्याँ-पियेर लाक्रोआ ने भी इस घातक हमले की निन्दा की है और मिशन में सेवारत शान्तिरक्षकों के अथक संकल्प की सराहना की है.
माली में यूएन मिशन द्वारा, देश के केन्द्र में स्थायिकरण के लिए तीन-वर्षीय रणनीति को अपना समर्थन प्रदान किया जा रहा है, जिसके लिए मिशन और माली के सुरक्षा बलों के बीच नज़दीकी समन्वय अहम है.
असुरक्षा का इतिहास
माली के उत्तरी हिस्से में व्याप्त गहरी असुरक्षा और चरमपंथियों द्वारा सैन्य तख़्तापलट की विफल कोशिश के बाद, देश में यूएन मिशन को लगभग एक दशक पहले स्थापित किया गया था.
इसके बाद, मौजूदा सरकार और हथियारबन्द गुटों के गठबंधन के बीच वर्ष 2015 में एक शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे.
यूएन मिशन प्रमुख वाने ने इस वर्ष अप्रैल में सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए सचेत किया था कि सफल सैन्य अभियानों के बाद, अब चरमपन्थी गुटों को मजबूरन टिम्बकटू और गाओ जैसे क्षेत्रों में सीमित होना पड़ा है.
मगर, ये गुट सुरक्षा बलों की आवाजाही और गश्त में बाधा खड़ी करने के लिए अब आईईडी विस्फोटों का सहारा ले रहे हैं.
सैन्य नेतृत्व वाली माली सरकार को देश में चुनाव कराने है, और मार्च 2024 तक माली में पूर्ण संवैधानिक व्यवस्था बहाल किए जाने की समयसीमा तय की गई है.