सुरक्षा परिषद: माली में यूएन मिशन के अस्थाई शिविर पर हमले की कड़ी निन्दा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने माली में 10 फ़रवरी को यूएन शान्तिरक्षकों पर हुए हमले की कठोर निन्दा की है. माली में संयुक्त राष्ट्र मिशन (MINUSMA) पर हुए इस हमले में टोगो के एक शान्तिरक्षक की मौत हो गई थी और 27 शान्तिरक्षक घायल हुए थे. सुरक्षा परिषद ने कहा है कि शान्तिरक्षकों को निशाना बनाकर किये गए हमले को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अज्ञात तत्वों द्वारा यूएन मिशन के अस्थाई शिविर पर किये गए इस हमले की कड़ी निन्दा की है और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की पुकार लगाई है.
यूएन प्रमुख ने घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है और माली की जनता व सरकार के साथ संयुक्त राष्ट्र की एकजुटता को व्यक्त किया है.
Secretary-General @antonioguterres condemns the complex attack by unidentified armed elements against a @UN_MINUSMA temporary operating base in #Mali. One peacekeeper died and 27 others were injured in the 10 February attack. All of them are from Togo.https://t.co/EKt67ipFlZ
UN_Spokesperson
माली में संयुक्त राष्ट्र मिशन (MINUSMA) के एक अस्थाई शिविर पर यह हमला देश के अशान्त केन्द्रीय इलाक़े में हुआ. दुएन्तज़ा नगर के आसपास शान्तिरक्षक सुरक्षा अभियान चलाते रहे हैं और उसी के पास के इलाक़े में शान्तिरक्षकों को निशाना बनाया गया.
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने माली में अन्तरिम सरकार से इस हमले की तत्काल जाँच कराने और दोषियों की जवाबदेही तय करने की माँग की है.
ध्यान दिलाया गया है कि शान्तिरक्षकों को निशाना बनाकर किये गये हमलों को अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देशों ने माली में यूएन महासचिव के विशेष प्रतिनिधि और यूएन मिशन के प्रमुख महामत सालेह अनादिफ़ और माली व सहेल क्षेत्र में अन्य सुरक्षा बलों के लिये पूर्ण समर्थन दोहराया है.
आतंकवाद पर चिन्ता
सुरक्षा परिषद ने माली में सुरक्षा हालात और सहेल क्षेत्र में आतंकवाद के ख़तरे पर चिन्ता ज़ाहिर की है जिससे अनेक देश प्रभावित हैं.
माली में सभी पक्षों से शान्ति व मेलमिलाप पर समझौते को बिना देरी के पूर्ण रूप से लागू करने का आग्रह किया गया है.
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने वक्तव्य में पुरज़ोर ढंग से कहा है कि आतंकवाद अपने सभी रूपों में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिए एक ख़तरा है.
सुरक्षा परिषद ने 'निन्दनीय आतंकी कृत्य' के दोषियों, हमले में उनकी मदद करने वालों और धन मुहैया कराने वालों की जवाबदेही तय करने और सज़ा दिलाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
साथ ही सभी सदस्य देशों से अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों और सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अन्तर्गत तय हुए दायित्वों को निभाने और स्थानीय एजेंसियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने की बात कही है.
सुरक्षा परिषद ने दोहराया कि कोई भी आतंकी कार्रवाई आपराधिक है जिसे न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता, चाहे उसे किसी के भी द्वारा, किसी भी मन्तव्य से अन्जाम दिया गया हो.
सुरक्षा परिषद ने कहा है कि आतंकवादी हमलों से अन्तररराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिए ख़तरे से सभी देशों को निपटने की ज़रूरत है और यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों और मानवीय क़ानूनों के तहत की जानी चाहिए.