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सूडान संकट यूएन मानवाधिकार परिषद में गहन चर्चा

देश में चल रही हिंसा के परिणामस्वरूप आने वाले महीनों में सूडान में 20 लाख से अधिक लोगों के भूख से मरने की आशंका है.
© WFP/Peter Louis
देश में चल रही हिंसा के परिणामस्वरूप आने वाले महीनों में सूडान में 20 लाख से अधिक लोगों के भूख से मरने की आशंका है.

सूडान संकट यूएन मानवाधिकार परिषद में गहन चर्चा

मानवाधिकार

सूडान में हिंसक युद्ध भड़कने और देश में मानवीय त्रासदी उत्पन्न हो जाने की स्थिति पर गुरूवार को, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में गहन चर्चा हुई. सदस्य देशों ने जिनीवा स्थित इस संस्था का, सूडान की स्थिति पर एक आपात सत्र बुलाए जाने का आहवान किया था.

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यूएन मानवाधिकार परिषद का ये सत्र, सूडान में लैफ़्टिनेंट जनरल अब्देल-फ़त्ताह अल-बुरहान के नेतृत्व में देश के सशस्त्र बलों (SAF) और लैफ़्टिनेंट जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के नेतृत्व वाले त्वरित समर्थन बल (RSF) के बीच लगभग तीन सप्ताह पहले भड़के हिंसक युद्ध के सन्दर्भ में आयोजित किया गया.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) वोल्कर टर्क ने बैठक की शुरुआत करते हुए, इस क्रूर और बेमानी हिंसा की निन्दा की, जिसने सूडानी लोगों को और ज़्यादा भुखमरी, अभाव और विस्थापन में धकेल दिया है, जबकि दोनों युद्धरत पक्षों ने, “अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की धज्जियाँ उड़ाई हैं”.

‘आशा की किरण’ से लेकर मानवीय त्रासदी तक

वोल्कर टर्क ने परिषद को याद दिलाया कि सूडान में उमर अल बशीर की तीन दशकों से जारी तानाशाही का, वर्ष 2019 में ख़ात्मा होने पर आशा की किरण नज़र आई थी. वो तानाशाही ऐसे व्यापक प्रदर्शनों की वजह से ख़त्म हो सकी जिनमें महिलाएँ और युवजन “सबसे आगे” थे.

उन्होंने छह महीने पहले सूडान की यात्रा का भी ज़िक्र किया, जब एक नागरिक शासन की तरफ़ पहुँच नज़दीक नज़र आ रही थी. यूएन मानवाधिकार प्रमुख के रूप में, किसी देश का ये उनका पहला मिशन था.

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने उस समय दोनों प्रतिद्वन्द्वी गुटों के सैन्य नेतृत्व के साथ अपनी बैठकों को याद करते हुए कहा कि उनका सन्देश, जवाबदेही और मानवाधिकारों पर ज़ोर देने पर था, जो भविष्य के किसी भी समझौते के लिए अनिवार्य तत्व हैं.

मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने उस समय दोनों प्रतिद्वन्द्वी गुटों के सैन्य नेतृत्व के साथ अपनी बैठकों को याद करते हुए कहा कि उनका सन्देश, भविष्य के किसी भी समझौते में, जवाबदेही और मानवाधिकारों को अनिवार्य तत्व बनाए जाने पर था.

वोल्कर टर्क ने कहा, "आज, विशाल नुक़सान हुआ है जिसने लाखों लोगों की आशाओं और अधिकारों को ध्वस्त कर दिया है."

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अभी तक युद्ध के कारण 600 से अधिक लोग मारे गए हैं, एक लाख 50 हज़ार से अधिक लोग सूडान से पलायन कर चुके हैं, और सात लाख से अधिक लोग, देश के भीतर विस्थापित हो चुके हैं. आने वाले महीनों में, देश में भुखमरी रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने की सम्भावना है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने एक मानवीय युद्धविराम और मानवाधिकार हनन को रोके जाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया.

मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने ध्यान दिलाया कि अफ़्रीकी संघ, विकास पर अन्तर-सरकारी प्राधिकरण (IGAD), अरब देशों की संगठन और संयुक्त राष्ट्र के "गहन" राजनयिक प्रयासों के बावजूद SAF और RSF के नेता, युद्ध समाप्त करने पर चर्चा करने के लिए सहमत नहीं हुए हैं.

वोल्कर टर्क ने युद्धरत पक्षों से "एक समावेशी राजनैतिक प्रक्रिया व शान्ति के लिए तत्काल प्रतिबद्धता" दिखाने का आहवान किया.

भारी तकलीफ़ें, मानवाधिकार हनन

यूएन मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया की समन्वय समिति की प्रमुख और स्वास्थ्य के अधिकार पर विशेष रैपोर्टेयर त्लालेंग मोफ़ोकेंग ने, गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा जारी वक्तव्य का सन्दर्भ देते हुए, उन “भारी तकलीफ़ों” को रेखांकित किया जिनका सामना, सूडान के लोगों को करना पड़ रहा है.

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने “तमाम उम्र के आम लोगों” द्वारा भुगते जा रहे मानवाधिकार हनन की कड़ी निन्दा की, जिनमें यौन हमले और लिंग आधारित हिंसा, और भोजन, पानी व स्वास्थ्य देखभाल की क़िल्लत शामिल हैं.

विशेषज्ञों ने देश की राजधानी ख़ारतूम में विकलांग लड़कियों के लिए एक आश्रय स्थल पर गोलाबारी के साथ-साथ, स्वास्थ्य सेवाओं, मानवीय सहायता कर्मियों और मानवाधिकार रक्षकों पर, अन्य हमलों पर विशेष चिन्ता व्यक्त की है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ और विशेष रैपोर्टेयर, यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.