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कोविड-19 एक वैश्विक स्वास्थ्य आपदा के रूप में समाप्त घोषित

सियेरा लियोन में, कुछ नर्सें एक कोविड-19 टीकाकरण क्लीनिक पर काम करते हुए.
© WHO/Michael Duff
सियेरा लियोन में, कुछ नर्सें एक कोविड-19 टीकाकरण क्लीनिक पर काम करते हुए.

कोविड-19 एक वैश्विक स्वास्थ्य आपदा के रूप में समाप्त घोषित

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने शुक्रवार को, कोविड-19 महामारी की, वैश्विक स्तर की एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा के रूप में समाप्ति की घोषणा की है. हालाँकि उन्होंने वृहद आशा व्यक्त करते हुए ये भी ज़ोर दिया है कि ये महामारी अब भी एक वैश्विक ख़तरा बनी हुई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ने शुक्रवार को जिनीवा स्थित मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा, “गत सप्ताह, कोविड-19 के कारण हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो रही थी – और ये केवल वो मौतें हैं जिनके बारे में हमें जानकारी है.”

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संगठन के कोरोनावायरस सूचना पट के अनुसार, अभी तक इस महामारी से प्रभावित लोगों की संख्या 76 करोड़, 52 लाख, 22 हज़ार 932 है जिनमें लगभग 70 लाख लोगों की मौत हुई है. ये सूचना पट महामारी के शुरुआती दिनों से ही नवीनतम जानकारी मुहैया कराता रहा है.

30 अप्रैल तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार, दुनिया भर में कोविड-19 से बचाने वाली वैक्सीन के 13.3 अरब से ज़्यादा टीके लगाए जा चुके थे.

‘अब भी जानलेवा, अब भी रूपान्तर’

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि ये वायरस अभी कुछ समय तक यूँ ही मौजूद रहने वाला है. ध्यान रहे कि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने कोरोनावायरस महामारी को, 30 जनवरी 2020 को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया था.

उन्होंने शुक्रवार को कहा, “ये अब भी जानलेवा है और ये अब भी अपने रूप बदल रहा है. इस वायरस के नए वैरिएंट्स उभरने का जोखिम अब भी बरक़रार है जिनसे संक्रमण मामलों और मौतों में बढ़ोत्तरी होती है.”

स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने कहा कि ये निर्णय हल्केपन के साथ नहीं लिया गया है. एजेंसी के नेतृत्व वाली आपदा कमेटी, पिछले एक वर्ष के दौरान, अलार्म का स्तर नीचे करने के लिए उपयुक्त समय के मुद्दे पर, आँकड़ों का सावधानी के साथ आकलन करती रही है.

उन्होंने बताया कि पिछले 12 महीनों के दौरान, महामारी का रुख़ नीचे की ओर रहा है. इसमें उच्च प्रभावशीलता वाली वैक्सीन के कारण बढ़ी स्वास्थ्य क्षमता का भी बड़ा हाथ रहा है. मृत्यु संख्या कम हुई है और स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ भी कम हुआ है.

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि नीचे जाने वाले इस रुख़ की बदौलत, अनेक देश, कोविड-19 के पहले के समय की तरह ही, सामान्य जीवन बहाल करने में सक्षम हो सके हैं.

दुष्प्रचार के तूफ़ान

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस.
UN Photo/Evan Schneider

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ने हालाँकि ज़ोर देकर ये भी कहा कि महामारी ने “देशों के भीतर और देशों के बीच, राजनैतिक कमज़ोर दृष्टिकोण उजागर कर दिए हैं. इसने लोगों, सरकारों और संस्थानों के दरम्यान भरोसा कम किया है, जिसमें दुष्प्रचार और झूठ के फैलाव ने ईंधन झोंका है.”

डॉक्टर टैड्रॉस ने ध्यान दिलाया कि वायरस ने वैश्विक जीवन के तमाम पहलुओं पर भारी भरकम नुक़सान पहुँचाया है, जिनमें भारी भरकम आर्थिक उथल-पुथल भी शामिल है जिसमें सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से खरबों डॉलर की रक़म का नुक़सान शामिल है. साथ ही यात्रा और व्यापार क्षेत्र को भी बुरी तरह प्रभावित किया जिसमें कारोबार तबाह हो गए और करोड़ों लोग निर्धनता के गर्त में धँस गए.

उन्होंने याद दिलाया कि बिल्कुल इस समय भी दुनिया भर में हज़ारों लोग, सघन चिकित्सा कक्षों में, अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और लाखों अन्य लोग भी निकट भविष्य तक, कोविड-19 महामारी की परिस्थितियों से उत्पन्न कष्टकारी प्रभावों में जीवन व्यतीत करेंगे.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि एक स्तर पर तो, कोविड-19 महामारी को एक वैश्विक स्वास्थ्य आपदा के रूप में समाप्ति की घोषणा, एक उत्सवकारी पल है, मगर उन्होंने इस मौक़े पर, दुनिया भर में स्वास्थ्य और देखभाल कर्मियों के असाधारण कौशल और निस्वार्थ समर्पण के लिए भी विशेष आभार व्यक्त किया.

ग़लतियों से सबक

मगर एक अन्य स्तर पर, ये आत्ममन्थन करने का एक समय था, क्योंकि कोविड हमारी दुनिया पर लगातार गहरे घाव छोड़ रहा है.

उन्होंने कहा, "इन घावों को ये याद रखने के लिए अनुस्मरण के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए कि बहुत घातक परिणामों वाले, नए वायरसों के उभरने की सम्भावना मौजूद है."

बहुत सारी ग़लतियाँ हुई हैं, जिनमें तालमेल, समता और एकजुटता का अभाव शामिल है, जिसका मतलब है कि वायरस का मुक़ाबला करने के लिए, मौजूदा उपकरण और प्रौद्योगिकियों का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग नहीं किया गया.

उन्होंने कहा, "हम ख़ुद से, अपने बच्चों से और आने वाली पीढ़ियों से ये वादा करें कि, हम इस तरह की ग़लतियाँ नहीं दोहराएंगे."

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि इस अनुभव से सबक सीखकर हम सभी को, बेहतर की ख़ातिर बदलना होगा. "इस स्थिति से हम सपने को साकार करने के लिए और ज़्यादा दृढ़ संकल्पित हों जो देशों ने 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की स्थापना करते समय देखा था - सर्वोत्तम सम्भव मानकों वाला स्वास्थ्य, सर्वजन की लिए."