मांस, अंडे और दूध,'पोषक तत्वों के आवश्यक स्रोत', FAO रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UNFAO) ने मंगलवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि कुछ उपभोक्ता भले ही किसी भी तरह के पशु जनित उत्पाद से रहित शाकाहार (veganism), या केवल मछली युक्त मांसाहारी आहार (pescatarian diet) का चयन करते हों, लेकिन मांस, अंडे और दूध ही उन अति-आवश्यक पोषक तत्वों का महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जिनका पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों से प्राप्त होना आमतौर पर मुश्किल होता है.
'Contribution of terrestrial animal source food to healthy diets for improved nutrition and health outcomes' नामक इस अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था और स्तनपान, बचपन, किशोरावस्था एवं वृद्धावस्था जैसे जीवन के अहम चरणों के दौरान यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ़एओ) के अनुसार, यह पशु स्रोत से उपलब्ध खाद्य पदार्थों के उपभोग के लाभों एवं जोखिमों का अभी तक का सबसे व्यापक विश्लेषण है, और 500 से अधिक वैज्ञानिक लेखनों व लगभग 250 नीति दस्तावेज़ों के आँकड़ों व साक्ष्यों पर आधारित है.
एफ़एओ के मुताबिक़, एक गिलास दूध के साथ सूअर के मांस (bacon) और अंडे की एक प्लेट, प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट्स जैसे महत्वपूर्ण "मैक्रो-पोषक तत्व" प्रदान कर सकती है, साथ ही इनसे वे सूक्ष्म पोषक तत्व भी मिलते हैं, जिनका "आवश्यक गुणवत्ता और मात्रा में" पौधों से मिल पाना मुश्किल है.
उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, कई आवश्यक फ़ैटी-एसिड समेत आयरन, कैल्शियम, ज़िंक, सेलेनियम, विटामिन बी12, कोलीन और बायोएक्टिव कम्पाउंड जैसेकि कार्निटीन, क्रिएटिन, टॉरिन - खेत व अन्य मवेशियों से प्राप्त खाद्य पदार्थों से मिलते हैं, और स्वास्थ्य एवं विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में सबसे ज़्यादा आयरन और विटामिन ए, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है, विशेषकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में.
‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, स्कूल जाने से पहले की उम्र के हर दो में से एक बच्चों में (लगभग 37.2 करोड़) और बच्चे पैदा करने की उम्र की एक अरब 20 करोड़ से अधिक महिलाएँ, तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों में से कम से कम एक की कमी से पीड़ित हैं: आयरन, विटामिन ए या फिर ज़िंक.
इनमें से तीन चौथाई बच्चे दक्षिण और पूर्वी एशिया, प्रशान्त और सब-सहारा अफ़्रीका में हैं.
क्षेत्रीय भिन्नताएँ
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में पशु-आधारित भोजन की ख़पत, व्यापक तौर पर अलग-अलग है. उदाहरण के लिए, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में एक व्यक्ति, एक वर्ष में औसतन केवल 160 ग्राम दूध का उपभोग करता है, जबकि एक मोंटीनेग्रो निवासी, प्रतिवर्ष औसतन 338 किलो दूध का उपभोग करता है.
दक्षिण सूडान में एक व्यक्ति प्रति वर्ष औसतन 2 ग्राम अंडों का उपभोग करता है, जबकि हाँगकाँग में यह आँकड़ा प्रति व्यक्ति औसतन 25 किलोग्राम है. यूएन एजेंसी के अनुसार, बुरुंडी में प्रति व्यक्ति मांस की ख़पत, वर्ष में औसतन तीन किलो है, जबकि हाँगकाँग में यह प्रति व्यक्ति 136 किलो है.
एसडीजी के लिए मांस और पेय-पदार्थ
एफ़एओ के अनुसार, एक उपयुक्त आहार के हिस्से के रूप में सेवन करने पर पशुओं से प्राप्त खाद्य पदार्थ, विश्व स्वास्थ्य सभा और टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) द्वारा समर्थित पोषण लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं.
इनसे पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में नाटेपन व अल्पपोषण, जन्म के समय कम वज़न, प्रजनन आयु की महिलाओं में रक्त की कमी और वयस्कों में मोटापा व गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) का समाधान हो सकता है.
हालाँकि एफ़एओ की उप महानिदेशक, मारिया हेलेना सेमेदो और मुख्य अर्थशास्त्री, मैक्सिमो टोरेरो कलन ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में स्पष्ट किया है कि इसके साथ-साथ, मवेशी सैक्टर को विविध प्रकार की चुनौतियों से भी निपटना होगा.
इनमें पर्यावरण से सम्बन्धित मुद्दे शामिल हैं, जैसेकि वनों की कटाई, CO2 उत्सर्जन, ग़ैर-टिकाऊ जल एवं भूमि उपयोग, और प्रदूषण. साथ ही पशु स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दे, जैसेकि रोग व रोगाणुरोधी प्रतिरोध क्षमता और मवेशियों से जुड़े मुद्दों जैसेकि पशु-जनित बीमारियों तथा खाद्य जनित रोग जोखिमों से भी निपटना होगा.
‘लाल मांस’ सम्बन्धित चेतावनी
रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि प्रसंस्कृत लाल मांस (रेड मीट) के बहुत कम सेवन से भी मृत्यु की सम्भावना और पुरानी बीमारी के बढ़ने का ख़तरा हो सकता है, जिसमें हृदय रोग और कोलोरेक्टल कैंसर जैसे रोग शामिल हैं.
हालाँकि, सामान्य मात्रा में प्रसंस्करण रहित लाल मांस खाने में जोखिम कम होता है, और पुरानी बीमारियों के मामले में भी इसे अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है.
एफ़एओ के मुताबिक़, स्वस्थ वयस्कों द्वारा दूध, अंडे और पोल्ट्री का सेवन और कोरोनरी हृदय रोग, स्ट्रोक एवं उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के बीच कोई भी सम्बन्ध, दूध के मामले में अनिर्णायक और अंडे व पोल्ट्री के मामले में मामूली पाया गया.