माँ पृथ्वी दिवस: प्रकृति के विरुद्ध 'बेतुके' युद्ध का अन्त किए जाने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार, 22 अप्रैल, को ‘अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस’ पर अपने सन्देश में सर्वजन की भलाई के लिए पृथ्वी की रक्षा करने और प्राकृतिक जगत के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध बहाल किए जाने का आहवान किया है.
महासचिव गुटेरेश ने इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस को, मानवता के सबसे महत्वपूर्ण रिश्ते, प्राकृतिक जगत के साथ उसके सम्बन्ध पर चिन्तन का एक अवसर बताया है.
पर अपने सन्देश में ध्यान दिलाया है कि साँस लेने के लिए वायु से लेकर पीने के लिए जल और भोजन उगाने के लिए मृदा तक, मानवता का स्वास्थ्य, माँ पृथ्वी के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है.
इसके बावजूद, हम इसे तबाह करने पर तुले हुए हैं. “हमारे कृत्यों से वन, जंगल, खेती योग्य भूमि, आर्द्रभूमि, महासागर, प्रवाल भित्तियाँ, नदियाँ और झील बर्बाद हो रही हैं.”
“जैवविविधता ध्वस्त होती जा रही है और दस लाख प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं.”
“हमें प्रकृति पर छेड़े गए इन अनवरत और बेतुके युद्धों का अन्त करना होगा.”
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इसके लिए हमारे पास उपकरण, ज्ञान व समाधान हैं, मगर उन्हें प्रयोग में लाने की गति को बढ़ाया जाना होगा.
त्वरित कार्रवाई पर बल
उन्होंने वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए जलवायु कार्रवाई में तेज़ी लाने का आहवान किया है, जिसके लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में त्वरित कटौती की आवश्यकता होगी.
इसके अलावा, जलवायु अनुकूलन और सहन-सक्षमता निर्माण प्रयासों में भी विशाल निवेश किया जाना होगा, विशेष रूप से सर्वाधिक निर्बल समुदायों और जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से सम्वेदनशील उन देशों के लिए जो इस संकट के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं.
“स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र – महासागरों से लेकर नदियों, जंगलों और घास के मैदानों तक – भी जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण हैं.”
इस क्रम में, यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक जैवविविधता समझौते को अमल में लाए जाने की पुकार लगाई है, जिसमें वर्ष 2030 तक, पृथ्वी पर 30 प्रतिशत भूमि व जल की रक्षा सुनिश्चित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है.
सर्वजन की भूमिका
महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि इन लक्ष्यों की दिशा में प्रयासों के लिए, देशों की सरकारों को अगुवाई करनी होगी, लेकिन कॉरपोरेशन, संस्थाओं और नागरिक समाज की भी अहम भूमिका है.
इसके साथ-साथ, आदिवासी लोगों द्वारा सहेजे गए ज्ञान, बुद्धिमता और नेतृत्व क्षमता से भी सीखा जाना होगा, जिन्होंने हज़ारों सालों से पर्यावरण को संरक्षित किया है, और जिनके पास वैश्विक जलवायु व जैवविविधता संकट से निपटने के लिए अनेक समाधान हैं.
यूएन प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय माँ पृथ्वी दिवस पर हर स्थान पर व्यक्तियों से, अपने स्कूलों, कार्यस्थलों, पंथ समुदायों में व सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ बुलन्द करने और अपने नेताओं से प्रकृति के साथ समरसता स्थापित किए जाने की मांग करने का आहवान किया है.
उन्होंने कहा कि पृथ्वी और आमजन की भलाई के लिए सभी को अपने और भावी पीढ़ियों के इस साझा घर की रक्षा के लिए भूमिका निभानी होगी.