अफ़्रीकी देशों में हैज़ा संक्रमण के मामलों में भीषण उछाल से उभरी चिन्ता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरूवार को आगाह किया है कि अफ़्रीकी देशों में हैज़ा संक्रमण के मामलों में भीषण उछाल दर्ज किया गया है, जिसके मद्देनज़र संगठन ने 10 सर्वाधिक प्रभावित देशों को ज़रूरी सहायता प्रदान करने के लिए अपने प्रयास तेज़ किए हैं.
इस साल जनवरी महीने में ही, पिछले वर्ष अफ़्रीका में इस बीमारी के कुल मामलों की तुलना में, 30 प्रतिशत से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
अधिकाँश नए संक्रमण और मौतें मलावी में हुई हैं, जोकि पिछले दो दशकों में इस बीमारी के सबसे गम्भीर प्रकोप का सामना कर रहा है.
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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, अफ़्रीका में 10 देश हैज़ा से प्रभावित हैं. इस जलजनित बीमारी के कारण बार-बार दस्त या मितली हो सकती है, जिसका उपचार आसानी से उपलब्ध है, मगर हालत बिगड़ने के कारण मौत भी हो सकती है.
मलावी से इतर, पड़ोसी देशों, मोज़ाम्बीक़, ज़ाम्बिया, बुरुंडी, कैमरून, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य और नाइजीरिया में इस बीमारी के मामलों का पता चला है.
इथियोपिया, केनया और सोमालिया में भी इस बीमारी के मामलों में उछाल दर्ज किया गया है. हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका का क्षेत्र ऐतिहासिक सूखे से पीड़ित है, यहाँ लाखों लोगों को मानवीय राहत की आवश्यकता है, और इस बीमारी ने स्थिति को और अधिक विकट बना दिया है.
अफ़्रीका के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर मातशिदिसो मोएती ने बताया कि इस समय अफ़्रीका में एक चिन्ताजनक परिदृश्य दिखाई दे रहा है, और हिंसक टकराव व चरम जलवायु घटनाओं के कारण हैज़ा की स्थिति बद से बदतर हो रही है और आमजन की पीड़ा बढ़ रही है.
29 जनवरी तक, यूएन एजेंसी के अनुसार 26 हज़ार मामले दर्ज किए गए हैं, और 10 प्रभावित देशों में 660 लोगों की मौत हो चुकी है.
संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहे, तो हैज़ा के मामले वर्ष 2021 में दर्ज किए मामलों को पीछे छोड़ सकते हैं, जोकि अफ़्रीका के लिए पिछले एक दशक में हैज़ा संक्रमण के लिए सबसे ख़राब साल था.
बताया गया है कि हैज़ा के मामलों और उसके कारण होने वाली मौतों का अनुपात तीन प्रतिशत है, जोकि 2022 के 2.3 प्रतशित से अधिक है, जबकि इस दर के स्वीकार्य स्तर, एक फ़ीसदी से भी कम से यह बहुत अधिक है.
डॉक्टर मोएती ने कहा कि अफ़्रीकी देशों को पुख़्ता तैयारियाँ करनी होंगी, ताकि जल्द से जल्द मामलों का पता लगाना और फिर स्थिति के अनुरूप व्यापक व सामयिक कार्रवाई की जा सके.
विश्व स्वास्थ्य संघठन ने सरकारों को इस स्वास्थ्य चुनौती पर पार पाने के लिए मदद प्रदान की है, जिसके तहत बीमारी की निगरानी, रोकथाम व उपचार व्यवस्था को मज़बूती प्रदान की गई है.
सामुदायिक स्तर पर भी इस बीमारी से बचाव के लिए रक्षा उपायों को साझा किया जा रहा है.
अब तक 65 विशेषज्ञों को पाँच देशों में तैनात किया गया है, जिनमे से 40 केवल मलावी में उपस्थित हैं.
पिछले वर्ष मार्च से अब तक, यहाँ 29 ज़िलों में हैज़ा के 37 हज़ार से अधिक मामले और एक हज़ार 210 मौतों की पुष्टि हो चुकी है.
इसके अतिरिक्त, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने हैज़ा उपचार के लिए किट व अन्य सामग्री की व्यवस्था की है, ताकि शरीर में पानी की कमी होने से रोका जा सके.
इसके अलावा, एंटीबायटिक दवाओं, तत्काल निदान, परीक्षण किट, निजी बचाव सामग्री, टैंट व बिस्तर प्रदान किए गए हैं.
संगठन ने सम्वेदनशील हालात का सामना करने वाले समुदायों में, क़रीब 50 स्थानों पर जल आपूर्ति की व्यवस्था के अलावा, देश भर में अनेक चिकित्सकों, नर्सों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की भर्ती की गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलावी, केनया और मोज़ाम्बीक़ में आपात राहत प्रयासों के लिए, वैक्सीन पर एक अन्तरराष्ट्रीय साझेदारी के ज़रिये 60 लाख डॉलर वितरित किए हैं.
विश्व भर में हैज़ा संक्रमणों में आए उछाल से बीमारी के उपचार में दी जाने वाली मौखिक वैक्सीन की उपलब्धता पर असर हुआ है.
अक्टूबर में वैक्सीन पर केन्द्रित अन्तरराष्ट्रीय समन्वय समूह ने वैक्सीन की दो ख़ुराक के बजाए एक ख़ुराक की सिफ़ारिश की थी, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में लोगों तक पहुँचा जा सके.
मगर, हैज़ा मामलों में वृद्धि के कारण अब इस वैक्सीन की क़िल्लत पर और अधिक असर पड़ने की आशंका है.
डॉक्टर मोएती ने कहा कि हैज़ा के कारण होने वाली हर मौत को टाला जा सकता है. उनके अनुसार, बेहतर साफ़-सफ़ाई व्यवस्था, सुरक्षित जल सुलभता के साथ-साथ, हैज़ा पर नियंत्रण व उसके अन्त के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल में भी निवेश किया जाना होगा.