वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

हिंसक टकरावों से निपटने और शान्ति की स्थापना में, बहुपक्षवाद की अहमियत रेखांकित

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में दक्षिण अफ़्रीका के महिला शान्तिरक्षक गश्त लगा रहे हैं.
MONUSCO/Michael Ali
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में दक्षिण अफ़्रीका के महिला शान्तिरक्षक गश्त लगा रहे हैं.

हिंसक टकरावों से निपटने और शान्ति की स्थापना में, बहुपक्षवाद की अहमियत रेखांकित

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में बहुपक्षवाद पर आयोजित एक बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा है कि हिंसक टकराव, आतंकवाद, सामूहिक सुरक्षा में दरार समेत, यूएन के समक्ष आज भी वही चुनौतियाँ मौजूद हैं, जोकि 76 वर्ष पूर्व संगठन की स्थापना के समय में थीं. महासचिव ने अगले वर्ष वह शान्ति के लिये एक नए एजेंडा को प्रस्तुत करने की बात कही है, जोकि स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय, विविध प्रकार की नई व पुरानी सुरक्षा चुनौतियों पर केन्द्रित होगी.

भारत, दिसम्बर महीने के लिये सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष देश है, और 14 दिसम्बर को, ‘सुधारित बहुपक्षवाद’ के मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र में मौजूदा बहुपक्षीय तंत्र में सुधार पर चर्चा को आगे बढ़ाना था.

यूएन प्रमुख ने वैश्विक सहयोग और  ‘हमारा साझा एजेंडा’ रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि वैश्विक चुनौतियों पर पार पाने के लिये बहुपक्षवाद को मज़बूती प्रदान करना, यूएन महासचिव के तौर पर उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है.

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महासचिव ने ध्यान दिलाया कि शीत युद्ध के बेहद अंधकारमय दौर में भी, सुरक्षा परिषद में सामूहिक निर्णय-निर्धारण और सम्वाद के ज़रिये एक कामचलाऊ, सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रख पाना सम्भव हुआ, भले ही वो प्रणाली आदर्श नहीं थी.

“दूसरे विश्व युद्ध के बाद स्थापित की गई अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के ज़रिये, बड़ी शक्तियों के बीच एक सैन्य टकराव की रोकथाम करने में सफलता मिली है.”

“परमाणु हथियार सम्पन्न देशों ने उनकी संख्या में कटौती, प्रसार की रोकथाम और एक परमाणु विनाश को टालने के लिये सहयोग किया.”

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि जिस तरह से युद्ध लड़े जाते हैं, जिनके द्वारा और जहाँ लड़े जाते हैं, उनमें बुनियादी बदलाव आया है.

“जानलेवा हथियार सस्ते हैं और पहले से कहीं अधिक परिष्कृत हैं. मानवता के पास स्वयं का पूरी तरह विनाश करने की क्षमता है.”

उन्होंने चिन्ता जताई कि जलवायु संकट इन टकरावों को गम्भीर बना रहा है और डिजिटल टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के दुष्परिणामों का प्रसार हो रहा है.

“साइबर जगत, सप्लाई चेन, प्रवासन, सूचना, व्यापार एवं वित्तीय सेवाओं और निवेशों का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.”

“वैश्विक सहयोग के लिये फ़्रेमवर्क में इन क्रमिक बदलावों के अनुरूप फेरबदल नहीं किया गया है. हमारे औज़ारों, मानदंडों और तौर-तरीक़ों में संशोधन की आवश्यकता है.”

शान्ति एजेंडा

महासचिव गुटेरेश ने बताया कि यूएन स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ पर जारी घोषणापत्र में उनसे विविध प्रकार के ख़तरों से निपटने के लिये ठोस अनुशंसाओं को प्रस्तुत करने के लिये कहा गया था. भूमि एवं समुद्र में, अन्तरिक्ष में और साइबर जगत में.

इसके मद्देनज़र, मैंने ‘हमारा साझा एजेंडा’ नामक हमारी रिपोर्ट में शान्ति के लिये एक नए एजेंडा का प्रस्ताव दिया, जिसे 2023 में सदस्य देशों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाए.

शान्ति के लिये नए एजेंडा में नए व पुराने, स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अन्तरराष्ट्रीय, सभी सुरक्षा चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.

इस एजेंडा में मध्यस्थता, शान्तिरक्षा, शान्तिनिर्माण और आतंकवाद-निरोधक हमारे मौजूदा उपायों में आवश्यकता अनुरूप बदलाव करने के लिये रास्तों की पड़ताल की जाएगी.  

उन्होंने कहा कि इस एजेंडा में शान्ति व सुरक्षा पर संगठन के कामकाज को पेश किया जाएगा और रोकथाम के व्यापक उपायों पर बल दिया जाएगा, जिसमें टिकाऊ विकास, शान्ति, जलवायु कार्रवाई और खाद्य सुरक्षा को आपस में जोड़ा जाएगा.

इसके अलावा, बहुपक्षीय समाधानों को मज़बूती प्रदान करने, भूराजनैतिक प्रतिस्पर्धा का सामना करने, नए मानदंडों, नियामन और जवाबदेही तंत्रों की पुकार लगाने और ग़ैर-सरकारी पक्षों के साथ सम्पर्क व बातचीत के उपायों की तलाश करने में सदस्य देशों को साथ लेकर चला जाएगा.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश सुरक्षा परिषद को सम्बोधित कर रहे हैं. उनके पास भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर बैठे हैं.
UN Photo/Loey Felipe
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश सुरक्षा परिषद को सम्बोधित कर रहे हैं. उनके पास भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर बैठे हैं.

नवाचारी समाधान

यूएन के शीर्षतम अधिकारी के अनुसार ‘काला सागर अनाज निर्यात पहल’ दर्शाती है कि वैश्विक चुनौतियों के समाधान ढूँढने में संयुक्त राष्ट्र की एक अनूठी, महत्वपूर्ण भूमिका है.

“हमें ऐसे नवाचारी तौर-तरीक़ों को संवारने और उनका विस्तार करना होगा.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस वर्ष, यूएन महासभा ने अनेक अहम प्रस्तावों को पारित किया है, जिनमें यूक्रेन में युद्ध, स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार और सुरक्षा परिषद में वीटो के इस्तेमाल समेत अन्य प्रस्ताव हैं.

बहुपक्षवाद के सन्दर्भ में, यूएन प्रमुख ने आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC), जी20 समूह के राष्ट्राध्यक्षों व सरकार प्रमुखों, यूएन प्रमुख और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की प्रस्तावित द्विवार्षिक शिखर बैठक की ओर ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने कहा कि यह वैश्विक शासन व्यवस्था के लिये बेहतर समन्वय और मौजूदा दुनिया की आवश्यकताओं के अनुरूप एक वैश्विक वित्तीय प्रणाली की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम होगा.

अहम क्षण

संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख कसाबा कोरोनी ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया एक ऐतिहासिक चौराहे पर खड़ी है.

“जिन अन्तरराष्ट्रीय नियमों, मानदंडों, उपकरणों, और संस्थाओं ने पिछले 75 वर्षों से अधिक समय से सम्बन्धों को दिशा दिखाई है, वे गहरे, अस्तित्व व प्रासंगिकता से जुड़े सवालों से जूझ रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि दुनिया कोविड-19 से उभर रही और जलवायु संकट, कर्ज़ के बोझ और खाद्य व ऊर्जा आपात स्थिति खिंचती जा रही है.

महासभा प्रमुख के अनुसार यह स्पष्ट है कि इन वैश्विक चुनौतियों का अपने बूते सामना करना, किसी एक देश के बस की बात नहीं है.

“हमारी एकमात्र आशा, सदैव एक बहुपक्षवादी समाधान की तलाश करना है.”

यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिये अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने सुरक्षा परिषद में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा पर बुलाई गई बैठक को सम्बोधित किया, जोकि सुधारित बहुपक्षवाद पर केन्द्रित थी.
UN Photo/Loey Felipe
यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिये अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने सुरक्षा परिषद में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा पर बुलाई गई बैठक को सम्बोधित किया, जोकि सुधारित बहुपक्षवाद पर केन्द्रित थी.

समाधानों पर बल

मगर, उनके अनुसार अकर्मण्यता और तीखे भूराजनैतिक विभाजनों ने सुरक्षा परिषद में प्रगति का रास्ता रोका है.

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए पूछा कि सुरक्षा परिषद द्वारा सभी की भलाई के लिये और यूएन चार्टर को सर्वोपरि रखने के लिये प्रयास किये जाने की अपेक्षा है, “मगर क्या इन दरारों से अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा बनाए रखने की सामूहिक क्षमता को प्रभावित होने दिया जा सकता है?”

कसाबा कोरोसी के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र को अपनी प्रासंगिकता साबित करने के लिये, समाधान प्रदान करने होंगे.

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में वीटो के इस्तेमाल ने रचनात्मक सहयोग व जवाबदेही के नए रूपों के लिये दरवाज़े को खोला है – जब निर्णयों में बाधा डाली जाती है, तो महासभा पर आगे बढ़ने का दायित्व है.  

महासभा अध्यक्ष ने सुरक्षा परिषद में वीटो के इस्तेमाल पर वर्ष 2023 में महासभा की एक बैठक बुलाने की बात कही है, जिसका उद्देश्य, शान्ति व समृद्धि के समर्थन में यूएन के दोनों अंगों को एक साथ लाना और तय दायित्वों को पूरा करना होगा.

कसाबा कोरोसी ने अपनी समापन टिप्पणी में राजदूतों से आग्रह किया है कि सम्वाद व कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी, समाधानों को ढूँढने के लिये राजनैतिक मतभेदों को दरकिनार करके राजनैतिक इच्छाशक्ति दर्शानी होगी, और हमें एक साथ जोड़ने वाले मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा.