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सत्ता संघर्ष से सूडान का भविष्य ख़तरे में, टकराव की आँच सीमा-पार पहुँचने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, सूडान के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक आपातकालीन सत्र को सम्बोधित किया.
UN Photo/Manuel Elias
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, सूडान के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक आपातकालीन सत्र को सम्बोधित किया.

सत्ता संघर्ष से सूडान का भविष्य ख़तरे में, टकराव की आँच सीमा-पार पहुँचने की आशंका

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने आगाह किया है कि सूडान के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के बीच जारी सत्ता संघर्ष से ना केवल देश का भविष्य ख़तरे में है, बल्कि देश की "सीमाओं के पार भी विस्फोटक स्थिति" पैदा होने की आशंका है, जिससे आम लोगों को आने वाले कई वर्षों तक पीड़ा झेलनी पड़ सकती है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद के एक आपातकालीन सत्र को सम्बोधित करते हुए सूडानी सशस्त्र बल (SAF) के नेता, फ़त्ताह अल-बुरहान के वफ़ादार सैन्य बलों और अर्द्धसैनिक गुट, त्वरित समर्थन बल (RSF) के नेता, मोहम्मद हमदान डागलो "हेमेदती" के बीच टकराव का अन्त करने की अपील की है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि, "सूडानी नेताओं का यह दायित्व है कि वो अपने लोगों के हितों को सर्वोपरि रखें."

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महासचिव गुटेरेश ने अपने सम्बोधन की शुरुआत में उन सभी सूडानी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने इस संघर्ष में अपनी जान गंवा दी या फिर घायल हो गए हैं.

युद्धक्षेत्र कोई समाधान नहीं

महासचिव ने कहा कि इस टकराव के पूरी तरह से युद्ध में तब्दील हो जाने के बारे में “सोचना भी असहनीय” है, ख़ासतौर पर इसलिए क्योंकि सूडान की सीमा से सात देश सटे हैं, जोकि पिछले एक दशक में हिंसक संघर्ष या गम्भीर अशान्ति से पीड़ित रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र में पहले से ही ग़रीबी और भुखमरी व्याप्त है.

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि इस संघर्ष को, सूडान के बच्चों, महिलाओं और पुरुषों के शवों पर, युद्ध के मैदान में सुलटाए जाने से रोका जाना होगा.

लम्बे समय तक सूडान की बागडोर सम्भालने वाले पूर्व राष्ट्रपति ओमार अल-बशीर को, चार वर्ष पहले सत्ता से हटाने के बाद दोनों युद्धरत पक्षों ने एक साथ मिलकर काम किया.

वर्ष 2021 में एक साझा अभियान में सैन्य तख़्तापलट को अंजाम दिया गया, जिससे सेना और नागरिकों द्वारा सत्ता साझा किए जाने पर हुए समझौते का अन्त हो गया था. इससे सूडान में शान्ति एवं नागरिक शासन का एक नए युग आरम्भ होने की उम्मीदें जगी थीं.

मगर, चुनाव और लोकतांत्रिक भविष्य की ओर सकारात्मक क़दम उठाने के मुद्दे पर, दोनों धड़ों में मतभेद उभरे और नागरिक सरकार के गठन की योजना पर सहमति नहीं बन पाई. उसके बाद, सूडान सेना और अर्द्धसैनिक बलों में लड़ाई भड़क उठी.

यूएन महासचिव ने कहा कि सूडान के लोगों ने, “अपनी इच्छाओं को बहुत स्पष्ट कर दिया है. वे लोकतंत्र की ओर बदलाव के ज़रिए, शान्ति एवं नागरिक शासन की बहाली चाहते हैं."

उन्होंने शान्ति बहाल करने की आकाँक्षा रखने वाले सभी हितधारकों और प्रभावी व्यक्तियों से सैन्य नेतृत्व पर तुरन्त वार्ता की राह पर वापिस लौटने का दबाव डालने का अनुरोध किया है.

सूडान में रहने के लिए प्रतिबद्ध

उन्होंने दोहराया कि यूएन कर्मचारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिए, उन्हें अस्थाई तौर पर स्थानान्तरित किया गया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र "यहीं रहकर सूडान के लोगों को सहायता प्रदान करने" के लिए प्रतिबद्ध है.”

उन्होंने कहा कि विशेष प्रतिनिधि, वोल्कर पर्थेस, अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ देश में ही मौजूद रहेंगे: "हम पोर्ट सूडान में एक केन्द्र स्थापित कर रहे हैं, ताकि शान्ति के पक्ष में खड़े अपने सहयोगियों के साथ मिलकर, मानवीय पीड़ा कम करने का काम जारी रख सकें."

महसाचिव ने कहा, "हम सूडान के लोगों के साथ खड़े हैं."

विशाल 'मानवीय तबाही'

विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस ने सूडान से वीडियो लिन्क के ज़रिये, परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता से, सोमवार को शुरू हुआ 72 घंटे का संघर्षविराम, "कुछ हद तक सफल भी रहा था".

लेकिन परस्पर विरोधी सशस्त्र बलों ने, एक-दूसरे पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाना जारी रखा. वहीं, ख़ारतूम में टकराव जारी रहा और बढ़ा.

उन्होंने कहा, "SAF और RSF प्रतिष्ठानों के पास स्थित आवासीय क्षेत्रों पर लगातार हमले हुए हैं. स्कूलों, दुकानों, मस्जिदों, अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं सहित कई नागरिक क्षेत्रों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है - कुछ अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं."

स्थानीय नागरिकों, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों, मानवीय कार्यकर्ताओं और राजनयिकों के घरों व कारों पर हमले हुए हैं, और दुकानों व चौकियों पर लूटपाट हुई है.

अपराध में बढ़ोत्तरी

उन्होंने क़ैदियों को रिहाई की ख़बरों के मद्देनज़र कहा, “हमें यौन उत्पीड़न की कोशिशों की चिन्ताजनक रिपोर्टें भी मिली हैं. हवाई हमलों में सप्लाई चेन टूटने व नष्ट होने से, अपराध बढ़ने का डर बढ़ रहा है.”

विशेष प्रतिनिधि ने दारफ़ूर में अस्थिर स्थिति और युद्धविराम के प्रयासों पर मिली-जुली प्रतिक्रियाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि बढ़ती क़ीमतों व सशस्त्र डकैती की ख़बरों के कारण, हज़ारों लोग लड़ाई से बचने के लिए पलायन कर रहे हैं.

"सूडान में लड़ाई से मानवीय तबाही की स्थिति पैदा हो गई है, जिसका ख़ामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है."

वोल्कर पर्थेस ने कहा कि कम से कम 450 लोग मारे जा चुके हैं, और 3,700 से अधिक घायल हुए हैं.

उन्होंने कहा कि मानवीय राहतकर्मियों को स्थानांतरित किए जाने के बाद, आशा की एक किरण के रूप में, नागरिक समाज और ज़मीनी स्तर पर सक्रिय संगठन, इस शून्य को भरने की कार्रवाई में जुट गए हैं.

उन्होंने कहा कि हाल में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुए संघर्षविराम के प्रयास पूरी तरह से निष्फल नहीं रहे थे, और संक्षिप्त ठहरावों के दौरान मानवीय कार्रवाई के लिए कुछ समय मिलने से, "थोड़ी राहत" प्राप्त हुई थी, जिससे संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को सुरक्षित पोर्ट सूडान पहुँचने में मदद मिली.

उन्होंने चेतावनी दी कि दारफ़ूर में, कुछ कबीलों और सशस्त्र आंदोलनों द्वारा, इस सत्ता संघर्ष में दाख़िल होने की खबरें "ख़तरनाक थीं और सूडान के पड़ोसी देशों को इस संघर्ष में लपेट सकती हैं. मैं सभी समुदायों से अपनी तटस्थता बनाए रखने और पक्ष लेने से बचने का अपना आहवान दोहराता हूँ.”

सूडान में हिंसा के कारण, हज़ारों शरणार्थी देश की सीमा पार करके चाड में शरण ले रहे हैं.
© UNHCR/Aristophane Ngargoune

'ग़लत अनुमान'

वोल्कर पर्थेस ने कहा कि हिंसा के लिए ज़िम्मेदार दोनों सैन्य नेतृत्वों ने आरोपों का सिलसिला जारी रखा है और इलाक़ों पर अपने नियंत्रण के प्रतिस्पर्धी दावे किए हैं. "दोनों ओर से गम्भीर वार्ता के लिए कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहा है,जिससे लगता है कि दोनों ही यह मानकर चल रहे हैं कि दूसरे पर सैन्य जीत सम्भव है.”

विशेष प्रतिनिधि और सूडान में यूएन मिशन UNITAMS के प्रमुख वोल्कर पर्थेस ने बतयाा कि, "यह अनुमान एकदम ग़लत है. लड़ाई जारी रहने से क़ानून व्यवस्था दरक जाएगी व नियंत्रण समाप्त होता जाएगा. इससे सूडान तेज़ी से विखंडित हो सकता है, जिसका इस क्षेत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा."

तीन प्रमुख प्राथमिकताएँ

उन्होंने महासचिव के आश्वासन को दोहराते हुए कहा कि "हमारे स्थान बदलने व बाहर निकलने का मतलब यह नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र सूडान छोड़कर जा रहा है." उनके अनुसार, फ़िलहाल संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों के सामने तीन तात्कालिक प्राथमिकताएँ हैं.

सबसे पहले, निगरानी तंत्र के साथ सतत युद्धविराम. दूसरा, राजनैतिक वार्ता की मेज़ पर वापसी, और अन्त में, "मानव पीड़ा का निवारण."

विशेष प्रतिनिधि ने कहा, "हमारे सूडानी मित्रों, राष्ट्रीय कर्मचारियों और साझेदारों का साहस और सहनसक्षमता हमें प्रेरित करती है. सम्पूर्ण संयुक्त राष्ट्र परिवार, सूडान में हिंसा को समाप्त करने और बेहतर भविष्य की उम्मीद बहाल करने की दिशा में अथक प्रयास जारी रखेगा."

संयुक्त राष्ट्र की आपातकालीन राहत के लिए उपसमन्वयक, जॉयस मसूया ने बताया कि 15 अप्रैल से शुरू हुई घटनाएँ "आम नागरिकों और सहायता कर्मियों के लिए एक दुःस्वप्न" समान रही हैं.

आवश्यकताएँ पहले से ही रिकॉर्ड ऊँचाई पर थीं, 1 करोड़ 58 लाख लोग किसी न किसी रूप में मानवीय सहायता पर निर्भर थे, और 37 लाख लोग पहले से ही आन्तरिक रूप से विस्थापित थे. उन्होंने कहा कि अब "मानवीय चुनौतियों की पूर्णत: नई लहर" का सामना होने की सम्भावना है.

उन्होंने सूडान के लोगों और सभी मानवतावादियों की "उनके साहसिक प्रयासों और दूसरों की मदद करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए" सराहना की.

सहायता कर्मियों के घरों पर हमले, पिटाई और बंदूक की नोक पर रखने की घटनाओं पर उन्होंने बताया,"हमने अपने पाँच लोगों को खो दिया है."

राहत उपप्रमुख ने कहा, "स्थिति बेहद ख़तरनाक और भयावह है." लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि लोगों के प्रति संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता, "पूर्णत: बनी रहेगी."

राहत प्रयास

"हमारे स्थानीय भागीदारों व सहायताकर्मियों के समर्पण के कारण, जहाँ सम्भव हो सकता है, मानवीय राहत कार्य जारी हैं. साथ ही, विशेष रूप से स्वास्थ्य एवं पोषण क्षेत्रों में, जब भी, जहाँ भी हो सके, हम वितरण जारी रखे हुए हैं.”

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब अपने राहत भंडारों में आपूर्ति फिर से सुनिश्चित करने के उपाय तलाश रहा है, ताकि “सुरक्षित होने पर” पोर्ट सूडान और अन्य जगहों पर सहायता पहुँचाई जा सके.”

उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश केनया में एक केन्द्र को सक्रिय किया जा रहा है, जिससे आवश्यकतानुसार, तेज़ी से राहत कार्रवाई की जा सके.

उन्होंने राजदूतों से कहा, “सूडान के लोगों को जो चाहिए, हमें उन तक पहुँचने के लिए हमें जिस चीज़ की ज़रूरत है, वो है तत्काल युद्धविराम और संकट का स्थाई समाधान. हम इसके लिए आपके अथक प्रयासों पर भरोसा कर रहे हैं."