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जनसंहार का ख़तरा अब भी वास्तविक, यूएन प्रमुख

रवांडा में जातीय जनसंहार के दौरान कुछ लोगों ने शवों के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई थी.
UNICEF/UNI55086/Press
रवांडा में जातीय जनसंहार के दौरान कुछ लोगों ने शवों के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई थी.

जनसंहार का ख़तरा अब भी वास्तविक, यूएन प्रमुख

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दुनिया भर में बढ़ती हेट स्पीच और भेदभाव से निपटने के प्रयासों के तहत, तमाम देशों से, अल्पसंख्यकों और जनसंहार के जोखिम का सामना कर रहे अन्य समुदायों की सुरक्षा के लिये ठोस क़दम उठाने का आग्रह किया है.

यूएन प्रमुख ने ये अपील, जनसंहार के अपराधों के पीड़ितों की गरिमा की स्मृति और इस अपराध की रोकथाम के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में की है. ये दिवस शुक्रवार, 9 दिसम्बर को मनाया गया.

उन्होंने कहा, “जनसंहार को रोकने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी देशों पर ही है, मगर धार्मिक व सामुदायिक नेतागण, सिविल सोसायटी, निजी क्षेत्र और सोशल मीडिया मंचों सहित, सम्पूर्ण मीडिया की भी अहम भूमिका है.”

रोकथाम में नाकामी की समीक्षा

यूएन महासचिव की नज़र में, ये दिवस, दुनिया भर में जनसंहारों की चपेट में आए मृतकों को याद करने और जीवित बचे लोगों को समर्थन देने का एक अवसर है.

उन्होंने कहा, “ये दिवस अतीत में इस अपराध को रोकने में सामूहिक नाकामी की पुनः समीक्षा करने का एक अवसर है, और साथ ही वर्तमान व भविष्य के लिए रोकथाम प्रयास दोगुने करने का एक मौक़ा भी.”

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा जनसंहार की रोकथाम और दंड पर कन्वेन्शन को अपनाए जाने के 70 वर्ष बाद भी, दुनिया के अनेक क्षेत्रों में, जनसंहार का ख़तरा अब भी मौजूद है.

पूर्व चेतावनी के संकेतों में वृद्धि

यूएन प्रमख ने कहा, “भेदभाव और हेट स्पीच, जोकि जनसंहार के पूर्व चेतावनी संकेत हैं, उनमें हर जगह बढ़ोत्तरी हो रही है.”

“इन ख़तरनाक रुझानों के विरुद्ध मज़बूत राजनैतिक नेतृत्व और ठोस कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए, हमें और ज़्यादा प्रयास करने होंगे. हमें, मानवता को जनसंहार के अभिशाप से मुक्त कराने के अपने संकल्प पर खरा उतरने के लिये और ज़्यादा कार्रवाई करनी होगी.”

रोकथाम व उन्मूलन

एंतोनियो गुटेरेश ने प्रत्येक सदस्य देश से, अल्पसंख्यकों सहित ख़तरों का सामना कर रहे तमाम समुदायों की सुरक्षा की ख़ातिर ठोस क़दम उठाने और भेदभाव व उत्पीड़न का सामना करने का आहवान किया है.

उन्होंने कहा, “इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर मैं, तमाम हितधारकों से, इस अपराध की रोकथाम व समाप्ति के लिये, उनके पास उपलब्ध तमाम उपायों व साधनों का प्रयोग करने का आग्रह करता हैं.”

घृणापूर्ण वातावरण पर लगाम की ज़रूरत

जनसंहार की रोकथाम पर यूएन महासचिव की विशेष सलाहकार ऐलिस न्देरितू ने भी वैश्विक कार्रवाई की ज़रूरत को रेखांकित किया.

उन्होंने इस अत्याचार की रोकथाम में खेलकूद की भूमिका की जाँच-पड़ताल के लिये, न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि इतिहास ने ‘हेट स्पीच’ के ख़तरों, को उजागर किया है, और ये भी दिखा दिया है कि हेट स्पीच का मुक़ाबला नहीं किया जाए, तो इसके क्या विनाशकारी प्रभाव होते हैं.

उन्होंने कहा, “हेट स्पीच, जनसंहार के अत्याचारपूर्ण अपराधों, युद्धापराधों और मानवता के विरुद्ध अपराधों के जोखिम का एक संकेत और उसका ‘ट्रिगर’ दोनों हो सकती है.”

“हमने हॉलोकास्ट और रवांडा में तुत्सियों के विरुद्ध व सेरेब्रेनीत्सा में जनसंहार के मामलों में ऐसा ही होते देखा है, जहाँ ‘अन्य लोगों’ के बारे में घृणा फैलाने, उन्हें अमानवीय बताने, उनका उन्मूलन किए जाने की ज़रूरत बताने, उन्हें कलंकित करने, उनके विरुद्ध भेदभाव करने, उन्हें अलग-थलग करने, उनके ख़िलाफ़ नफ़रत भरे अपराध करने और जनसंहार सहित अत्यधिक गम्भीर अत्याचारों वाले अपराध करने के लिये घृणापूर्ण वातावरण बनाया गया.”