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रवांडा में तुत्सी समुदाय के जनसंहार से 'मानवता को मिले कई सबक'

रवांडा में तुत्सी समुदाय के जनसंहार के पीड़ितों की स्मृति में यूएन महासभा में समारोह.
UN News/Elizabeth Scaffidi
रवांडा में तुत्सी समुदाय के जनसंहार के पीड़ितों की स्मृति में यूएन महासभा में समारोह.

रवांडा में तुत्सी समुदाय के जनसंहार से 'मानवता को मिले कई सबक'

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रवांडा में तुत्सी समुदाय के जनसंहार को मानव इतिहास का एक काला अध्याय करार दिया है. रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे की उपस्थिति में यूएन महासभा में आयोजित एक समारोह में ऐसी त्रासदियों को फिर न होने देने के लिए संकल्प को मज़बूत करने की अपील की.

1994 में हुए इस जनसंहार में तीन महीनों के भीतर करीब दस लाख से ज़्यादा लोगों को सुनियोजित ढंग से मौत के घाट उतार दिया गया जिनमें बड़ी संख्या तुत्सी समुदाय के लोगों की थी लेकिन जनसंहार को विरोध करने वाले और हुतू समुदाय के मध्यमार्गी लोगों को भी नहीं बख़्शा गया.

इस साल जनसंहार को 25 साल पूरे होने पर मृतकों को सम्मान दिया जा रहा है और उन लोगों की पीड़ा और दृढ़ता भरी आवाज़ों पर मनन हो रहा है जिनकी जान बच गई. महासचिव गुटेरेश ने कहा कि आज वह रवांडा की जनता के साथ एकजुट हैं. 

उन्होंने कहा कि ऐसे समय जब इन अत्याचारों को फिर न होने देने का संकल्प लिया जा रहा है,  विदेशियों के प्रति नापसंदगी, नस्लभेद और असहिष्णुता के बढ़ते ख़तरनाक रूझान चिंताजनक हैं. 

"नफ़रत भरे और हिंसा के लिए उकसाने वाले भाषणों का बढ़ता इस्तेमाल और प्रसार चिंताजनक है. ये हमारे मूल्यों पर चोट है जो मानवाधिकारों, सामाजिक स्थिरता और शांति को ख़तरे में डालती है. 

“आज यह स्मृति दिवस हमें एक अवसर प्रदान करता है कि हम नस्लभेद, विदेशियों को नापसंद करने, असहिष्णुता, सामाजिक और जातीय भेदभाव, मुस्लिम विरोधी नफ़रत और ग़ैर यहूदीवाद की भावनाओं के विरूद्ध अपनी आवाज़ उठाएं.“

काली गहराइयों से बेहतर भविष्य की ओर

यूएन प्रमुख ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दुष्ट कार्य करने की क्षमता हर समाज में होती है लेकिन यही बात समझ, दयालुता, न्याय और मेलमिलाप के लिए भी कही जा सकती है.

दुखद इतिहास से उभरते हुए विकास की ओर कदम बढ़ाने की यात्रा पर उन्होंने कहा, “रवांडा के अनुभवों से मिलाय यह एक गहरा सबक है. देश का उबर पाना गर्व करने का विषय है और सरकार और जनता के लिए मरहम का भी.”

अंतरराष्ट्रीय समुदाय में रवांडा द्वारा उत्कृष्ट भूमिका निभाए जाने पर उन्होंने बधाई दी. संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा अभियानों में योगदान देने वाला चौथा सबसे बड़ा देश रवांडा है. “यह उल्लेखनीय है कि एक राष्ट्र जिसने बदतर अत्याचार सहन किए हों वो अपने सैनिकों को जोखिम में डाल रहा है ताकि ऐसे अत्याचार कहीं और न होने पाएं.”

रवांडा में जातीय नरसंहार के दौरान कुछ लोगों ने शवों के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई.
UNICEF/UNI55086/Press
रवांडा में जातीय नरसंहार के दौरान कुछ लोगों ने शवों के नीचे छिपकर अपनी जान बचाई.

विकास पथ पर रवांडा की यत्रा की भी उन्होंने प्रशंसा की. “लिंग आधारित और बयान न की जा सकने वाली हिंसा को सहन करने के बाद आज महिलाओं की संसद में 60 सीटों पर भागीदारी है – यह एक और उदाहरण है जिसे रवांडा दुनिया के साथ साझा कर सकता है.”

पर्यावरण के क्षेत्र में भी किगाली ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए एक बार इस्तेमाल में लाई जाने वाले प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल बंद कर दिया है और धरती पर सबसे स्वच्छ देशों में एक है. 

महासचिव ने कहा कि पिछले 25 सालों में रवांडा काली गहराईयों से उठकर, टिकाऊ भविष्य के लिए देश एक उदाहरण बन कर उभरा है. “इस स्मृति दिवस पर, आइए हम साथ मिलकर सभी लोगों के लिए सभी स्थानों पर एक समरसता पूर्ण भविष्य के निर्माण की प्रतिज्ञा लें.”

रवांडा में 25 साल पहले जो लाखों लोग त्रासदपूर्ण ढंग से मारे गए उन्हें सम्मान देने का यही सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा है.

यूएन महासभा में आयोजित समारोह में मुख्य वक्ता रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कगामे ने संघर्ष करने के देश के जज़्बे को याद करते हुए कहा, “हम पीड़ितों का सम्मान करते हैं. हम बच गए लोगों के साहस का सम्मान करते हैं. और जिस ढंग से रवांडा के लोग देश का पुनर्निर्माण करने के लिए साथ आए, उसका भी सम्मान करते हैं.”

राष्ट्रपति कगामे ने कहा कि सच्चाई से मुंह मोड़ना और उसकी गंभीरता कम करना जनसंहार की नींव में है और इसीलिए ऐसी कोशिशों का विरोध होना चाहिए ताकि इस चक्र को तोड़ा जा सके और घटनाओं को दोहराए न जा सके.

शांतिरक्षा अभियानों में रवांडा के योगदान का ज़िक्र करते हुए उन्हें कहा कि त्रासदी भरे इतिहास से जो मूल्य मिले हैं उन्हीं के साथ देश अपने सैनिकों और पुलिसकर्मियों का योगदान करता है.