वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19, नफ़रत व भेदभाव को एकजुट होकर हराना होगा - यूएन प्रमुख

मध्य अफ्रीकी गणराज्य में कुछ लोग नस्ल व धर्म के आधार पर होने वाली नफ़रत व भेदभाव के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलन्द करते हुए. (2017)
OCHA/Yaye Nabo Séne
मध्य अफ्रीकी गणराज्य में कुछ लोग नस्ल व धर्म के आधार पर होने वाली नफ़रत व भेदभाव के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलन्द करते हुए. (2017)

कोविड-19, नफ़रत व भेदभाव को एकजुट होकर हराना होगा - यूएन प्रमुख

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 फैलने के बाद से दुनिया भर में फैले और बढ़ते नस्लवाद और नफ़रत के ख़िलाफ़ आगाह किया है. उन्होंने 22 अगस्त को धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हिंसा के पीड़ितों की याद में मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर ये चेतावनी दी है.

महासचिव ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि महामारी फैलने के साथ-साथ कलंकित करने की मानसिकता व समुदायों को बदनाम करने की नस्लवादी मानसिकता और दोष मढ़ने का चलन भी बहुत बढ़ा है. 

यूएन प्रमुख ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव के कुछ परेशान करने वाले उदाहरणों का ज़िक्र करते हुए कहा कि लोगों व धार्मिक स्थलों पर हमले, और कुछ आबादियों को उनके धर्म व आस्थाओं के कारण नफ़रत भरे हमलों व ज़्यादतियों का निशाना बनाया जा रहा है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश मिस्र की राजधानी काहिरा में अल अज़हर मस्जिद में बोलते हुए. उन्होने इस्लामोफ़ोबिया का मुक़ाबला करने और एकजुटता का आहवान किया. (2 अप्रैल 2019)
UN Photo/Mahmoud Abd ELLatiff
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश मिस्र की राजधानी काहिरा में अल अज़हर मस्जिद में बोलते हुए. उन्होने इस्लामोफ़ोबिया का मुक़ाबला करने और एकजुटता का आहवान किया. (2 अप्रैल 2019)

महासचिव ने इस भेदभाव का मुक़ाबला करने के लिये असहिष्णुता और भेदभाव मूलभूत कारणों पर ध्यान देने का आहवान किया. साथ ही समावेश और विविधता का सम्मान करने को बढ़ावा देने और धर्म व जातीयता का आधार पर नफ़रत फैलाने वालों की जवाबदेही तय करना भी बहुत ज़रूरी है. 

धर्म की स्वतन्त्रता एक मानवाधिकार

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “धार्मिक स्वतन्त्रता या आस्था का अधिकार अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून में बहुत गहराई से गुथा हुआ है और समावेशी, समृद्ध और शान्तिपूर्ण समाजों के लिये महत्वपूर्ण पड़ाव है.”

उन्होंने कहा कि लोगों के धार्मिक व आस्था की स्वतन्त्रता के अधिकार की हिफ़ाज़त करना देशों की ज़िम्मेदारी है.

देशों के लिये ये ज़िम्मेदारी पूरी करने के लिये बहुत से कार्यक्रम व पहल शुरू किये हैं, जिनमें मानवाधिकारों के लिये कार्रवाई करने की पुकार, हेट स्पीच यानि नफ़रत पर रणनीति और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिये कार्रवाई योजना शामिल हैं. 

दुनिया भर में बढ़ती असहिष्णुता और इन्सानों के ख़िलाफ़ उनके धर्म या आस्था के आधार पर हिंसा बढ़ने के माहौल को देखते हुए ये अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाने के लिये मई 2019 में पारित किये गए यूएन प्रस्ताव के ज़रिये व्यवस्था की गई थी. अक्सर ये असहिष्णुता व हिंसा आपराधिक प्रकृति के होते हैं. 

महासचिव गुटेरेश ने नफ़रत भाषा पर हमला बोलने के लिये जून 2019 में अपनी रणनीति शुरू करते हुए कहा था कि, “नस्लवाद, ख़ुद से अलग लोगों को शत्रु के रूप में पेश करना, असहिष्णुता, स्त्री जाति से हिंसक बैर, यहूदी विरोध और मुस्लिम विरोध पूरी दुनिया में बढ़ता देखा गया है.”

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि कुछ स्थानों पर तो ईसाइयों पर भी व्यवस्थित रूप से हमले किये गए हैं. 

इस रणनीति का उद्देश्य समाजों पर नफ़रत भाषा के प्रभावों का मुक़ाबला करने के लिये यूएन को कार्रवाई करने अवसर मुहैया करात है.

यूएन महासचिव ने कहा कि इस रणनीति में नफ़रत भाषा का विरोध करने वाले लोगों और समूहों को एक साथ लाकर, परम्परागत व सोशल मीडियो का साथ मिलकर काम करके और संचार के माध्यम से दिशा-निर्देश तैयार करके नफ़रत का सामना करने की बात कही गई है.