यूक्रेन: शरणार्थी घर वापसी के लिये इच्छुक, मगर पहले शान्ति व बेहतर सुरक्षा हालात ज़रूरी
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) का एक नया सर्वेक्षण दर्शाता है कि यूक्रेन में युद्ध के कारण अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर अधिकांश शरणार्थी जल्द से जल्द अपने घर वापिस लौटना चाहते हैं. मगर, क़रीब दो-तिहाई शरणार्थी सुरक्षा हालात बेहतर होने और टकराव में कमी आने तक शरण प्रदान करने वाले देशों में ही रहने के इच्छुक हैं.
बुधवार को प्रकाशित, 'Lives on Hold: Profiles and Intentions of Refugees from Ukraine,' नामक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध जारी रहने की वजह से शरणार्थी अपने भविष्य के प्रति चिन्ता व्यक्त करते हैं, जिससे उनकी दीर्घकालीन योजनाओं पर भी असर पड़ा है.
देश में हिंसक संघर्ष जारी रहने के कारण उनके लिये दीर्घकालीन योजनाएँ बनाना कठिन साबित हो रहा है.
Lives on hold: new report says refugees from Ukraine want to go home ASAP, but need peace before they'll consider return.https://t.co/ciyAVKLhFc
Refugees
मई और जून में कराए गए इस सर्वेक्षण के लिये, यूएन शरणार्थी एजेंसी और साझीदारों ने चैक गणराज्य, हंगरी, मोल्दोवा गणराज्य, पोलैण्ड, रोमानिया और स्लोवाकिया में चार हज़ार 900 यूक्रेनी शरणार्थियों से बात की.
इस सिलसिले में उनकी पृष्ठभूमि और भविष्य के लिये उनकी मंशाओं को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास किया गया.
आँकड़े बताते हैं कि अगले दो महीनों में, क़रीब 16 फ़ीसदी शरणार्थी, यूक्रेन वापिस लौटने की योजना बना रहे हैं. 15 प्रतिशत शरणार्थी अस्थाई तौर पर रहकर अपने परिवारजन से मिलना चाहते हैं, ज़रूरी सामग्री जुटाना चाहते हैं या फिर अपने सगे-सम्बन्धियों को भी सुरक्षित स्थान तक ले जाना चाहते हैं.
यूक्रेन वापिस आने के इच्छुक लोगों में से 40 फ़ीसदी, अगले महीने ही ऐसा करना चाहते हैं.
सर्वेक्षण के अनुसार, वापिस लौटने या अपने मौजूदा शरण स्थल पर बने रहने के विषय में, शरणार्थियों की इच्छा अनेक बातों पर निर्भर करती है.
जैसेकि उनका मूल स्थान, विस्थापन के बाद और फिर मेज़बान देशों में बिताया गया समय.
यूक्रेन के पूर्व और उत्तर की तुलना में, राजधानी कीयेव और पश्चिमी हिस्से से आने वाले शऱणार्थियों का एक बड़ा हिस्सा, देश वापसी की योजना बना रहा है.
ज़रूरतमन्दों के लिये सहायता प्रयास
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, प्रभावित क्षेत्र में शरणार्थियों और यूक्रेन की सीमाओं के भीतर जबरन विस्थापन का शिकार हुए लोगों की सहायता के लिये प्रयासरत है.
इस क्रम में, स्थानीय सरकारों, और साझीदार ग़ैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर प्रयास किये जाते हैं.
ज़रूरतमन्दों के लिये नक़दी सहायता, क़ानूनी परामर्श व जानकारी प्रावधान, राहत सामग्री वितरण, सुरक्षित स्थलों का प्रबन्धन, और सर्वाधिक निर्बलों के लिये आवश्यकता अनुरूप राहत का इन्तेज़ाम किया जाता है.
इस वर्ष फ़रवरी महीने के बाद से अब तक, यूएन एजेंसी ने यूक्रेन में 15 लाख से अधिक लोगों तक सहायता पहुँचाई है.
युद्ध से सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में संरक्षण, आवास और सहायता कार्यक्रमों का दायरा बढ़ाया गया है, और अगले कुछ महीनों में सर्दी के मौसम के आगमन से पहले भी तैयारी की जा रही है.
यूएन एजेंसी ने बताया है कि अब तक 200 सहायता केन्द्रों के लिये समर्थन सुनिश्चित किया गया है, 74 हज़ार से अधिक बिस्तरों की व्यवस्था की गई है, और आवास क्षमता को बढ़ाने के भी प्रयास किये जा रहे हैं.
यूएन एजेंसी संसाधन उपलब्ध होने की स्थिति में, ज़रूरतमन्द परिवारों के लिये मकान के किराए और क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत के लिये भी सहायता प्रदान करेगी, विशेष रूप से अपने घर लौटने वाले लोगों को इससे लाभ पहुँचने की आशा है.
मगर, यूएन एजेंसी ने स्पष्ट किया गया है कि केवल मानवीय राहत सहायता से सर्दी के दौरान पेश आने वाली मुश्किलों से नहीं निपटा जा सकता है. और ना ही आजीविका के लिये अवसर व आर्थिक पुनर्बहाली सुनिश्चित की जा सकती है, जिसकी सख़्त ज़रूरत है.
संगठन ने ज़ोर देकर कहा है कि देश में रहने वाले और लौटने की योजना बना रहे लोगों के लिये सुरक्षित आवास व्यवस्था और आर्थिक अवसरों के सृजन के लिये यूक्रेन की सरकार को समर्थन प्रदान किया जाना अहम है.