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हिंसा, भड़काऊ बयानबाज़ियों और नफ़रत भरी भाषा से, अत्याचारों व अपराधों को बढ़ावा

यूक्रेन के उत्तरी शहर ख़ारकीफ़ में दो बच्चे, एक अस्थाई बचाव शिविर में बैठे हुए जो सुरक्षा की ख़ातिर एक भूमिगत कार पार्क में बनाया गया है.
© UNICEF/Aleksey Filippov
यूक्रेन के उत्तरी शहर ख़ारकीफ़ में दो बच्चे, एक अस्थाई बचाव शिविर में बैठे हुए जो सुरक्षा की ख़ातिर एक भूमिगत कार पार्क में बनाया गया है.

हिंसा, भड़काऊ बयानबाज़ियों और नफ़रत भरी भाषा से, अत्याचारों व अपराधों को बढ़ावा

मानवाधिकार

जनसंहार की रोकथाम के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में यौन हिंसा व तस्करी का जोखिम बढ़ने के प्रति आगाह किया है, जिससे महिलाओं व बच्चों के सर्वाधिक प्रभावित होने की आशंका है.

24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद संयुक्त राष्ट्र के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस सम्बन्ध में अपनी चिन्ताएँ व्यक्त की हैं.

विशेष सलाहकार वैरिमू न्डेरिटू ने सदस्य देशों को हालात से अवगत करते हुए कहा कि बढ़ते टकराव, हिंसा और भेदभाव से जो माहौल पनप रहा है, उसका समाजों पर विनाशकारी असर हो सकता है.

उन्होंने सचेत किया कि “हमने यह हॉलोकॉस्ट से पहले होते देखा, 1994 में फिर रवाण्डा में,” और जातीयता के आधार पर बोसनिया में मुसलमान, सर्ब और क्रोएट्स समुदायों के बीच हिंसक टकराव के दौरान.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि युद्धों का अन्त करने के लिये सतत क़दम उठाये जाने की आवश्यकता होती है, जिनमें भड़काऊ बयानबाज़ियों, ऑनलाइन व ऑफ़लाइन नफ़रत भरे सन्देशों व भाषा के इस्तेमाल और ज़िन्दगियों व आजीविकाकों को प्रभावित करने वाले अधिकारों का हनन है. 

यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने जनसंहार के अपराध की रोकथाम और दण्ड पर सन्धि (Convention on the Prevention and Punishment of the Crime of Genocide) का उल्लेख किया, जोकि वर्ष 1948 में हॉलोकॉस्ट की छाया से बाहर उभरी थी.

इस सन्धि में जनसंहार करने की साज़िश, जनसंहार के लिये लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से भड़काने, जनसंहार की कोशिश और उसमें संलिप्तता को दण्डनीय अपराध माना गया है.

“यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के अतिआवश्यक अधिकारों के प्रति पूर्ण सम्मान को ध्यान में रखकर किया गया है, जैसी अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत व्यवस्था है.”

वैरिमू न्डेरिटू ने यूक्रेन में मानवीय संकट की पृष्ठभूमि में मानव क्षेत्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों की अहम भूमिका को रेखांकित किया, और सभी देशों से अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और अन्तरराष्ट्रीय मानव कल्याण अधिकारों का अनुपालन करने का आग्रह किया.

यूक्रेन में चिन्ताजनक हालात

विशेष सलाहकार ने क्षेत्र में यूएन महासचिव की यात्रा का ध्यान दिलाया, जब उन्होंने टकराव में कमी लाने अन्तर-सामुदायिक सम्वाद को सहारा देने की पुकार लगाई थी. 

वैरिमू न्डेरिटू के अनुसार हालात लगातार बिगड़ रहे हैं, और इसलिये उन्होंने धार्मिक नेताओं से धार्मिक नेताओं से अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए समाधान ढूँढने का आग्रह किया है.

उन्होंने आगाह किया कि राष्ट्रीय, नस्लीय, और धार्मिक नफ़रत को बढ़ावा देना, भेदभाव, शत्रुता और हिंसा भड़काने के रूप में देखा जा सकता है, जिस पर अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत प्रतिबन्ध है.

यूक्रेन में जनसंहार और युद्धापराधों की आशंका के आरोपों पर, उन्होंने कहा कि यह कोर्ट के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में आता है और वहीं इस पर निर्णय लिया जा सकता है. 

यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि उनका कार्यालय, मौजूदा और अतीत के मामलों में, कोई आपराधिक जाँच नहीं करता है, और विशेष सलाहकार की भूमिका रोकथाम के लिये है, निर्णयादेश के लिये नहीं है.  

उन्होंने सुरक्षा परिषद व सम्बद्ध देशों से एक ऐसी समावेशी दूरदृष्टि पेश करने और रोडमैप सुझाने का आग्रह किया है, जोकि अन्याय से बेपरवाह ना हो. 

“हर किसी के द्वारा संकल्प लिये जाने से समाधान सम्भव है, मगर हर बार देरी होते जाने से मानव पीड़ा का बढ़ना भी जारी रहेगा.”