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यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष, आम लोगों पर पड़े क़हर की भर्त्सना

यूक्रेन के बूचा में, एक माँ ने अपने बेटे के शव को 450 अन्य मृतकों के साथ दफ़नाया है.
© UNICEF/Diego Ibarra Sánchez
यूक्रेन के बूचा में, एक माँ ने अपने बेटे के शव को 450 अन्य मृतकों के साथ दफ़नाया है.

यूक्रेन युद्ध का एक वर्ष, आम लोगों पर पड़े क़हर की भर्त्सना

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने क्षोभ प्रकट किया है कि यूक्रेन में जारी 'बेतुके युद्ध' की आम नागरिकों ने एक बड़ी मानवीय क़ीमत चुकाई है और अब इसका अन्त किया जाना होगा. 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण का एक वर्ष पूरा हो रहा है, और इस दौरान अब तक आठ हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो गई है और 13 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.

मानवाधिकार कार्यालय प्रमुख ने मंगलवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा, “ये संख्या, जिन्हें हम आज प्रकाशित कर रहे हैं, पिछले साल 24 फ़रवरी को रूसी सैन्य हमले की शुरुआत के बाद से अब तक, लोगों को पहुँची पीड़ा व नुक़सान को उजागर करती है.”

“मैंने दिसम्बर में यूक्रेन यात्रा के दौरान इस पीड़ा को प्रत्यक्ष रूप से देखा, और हमारे आँकड़े हिमशिला का केवल एक छोटा सा सिरा हैं. आम लोगों के लिए यह एक असहनीय बोझ है.”

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यूक्रेन में बिजली और जल की क़िल्लत के कारण सर्दी के महीनों के बीच, एक करोड़ 80 लाख लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

हिंसा के कारण एक करोड़ 40 लाख लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं.

मानवाधिकार प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि इस बेतुके युद्ध के प्रभाव, विश्व भर में महसूस किए गए हैं.

“खाद्य वस्तुओं और ईंधन की ऊँची क़ीमतों के परिणामस्वरूप, वैश्विक स्तर पर विपत्ति गहरी हुई है, विशेष रूप से, पहले से ही निर्बलों के लिए.”

वोल्कर टर्क ने बताया कि बहुत छोटी उम्र के बच्चों से लेकर वृद्धजन तक, सभी इस युद्ध से प्रभावित हुए हैं.

“छात्रों ने शैक्षणिक केन्द्रों पर हमलों के कारण अपनी शिक्षा में रुकावट या व्यवधान आते देखा है, जबकि वृद्धजन और विकलांगजन के लिए विशाल चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं.”

कुछ घटनाओं के दौरान, प्रभावित लोग बमबारी से बचने के लिए सुरक्षित स्थान पर शरण लेने में असमर्थ थे, या फिर उन्हें भूमिगत स्थलों में लम्बी अवधि तक रहना पड़ा, जिससे उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ा.

हिंसक टकराव से प्रभावित क्षेत्रों में अधिकांश आबादी वृद्धजन की है, जोकि अक्सर ख़तरनाक इलाक़ों से कहीं ओर जाने में असमर्थ या अनिच्छुक होते हैं.

यूएन कार्यालय प्रमुख ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार और मानव कल्याण क़ानून के हनन के मामले जब तक जारी रहते हैं, तब तक बढ़ती पीड़ा और विध्वंस से हटकर शान्ति की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता कठिन होता जाएगा.

हताहतों की बड़ी संख्या

यूक्रेन में यूएन कार्यालय के निगरानी मिशन के अनुसार, हताहत वयस्क आबादी में पुरुषों का अनुपात 61 प्रतिशत और महिलाओं का 39 प्रतिशत है.

यूएन निगरानी मिशन वर्ष 2014 से यूक्रेन में आम नागरिकों के हताहत होने के सम्बन्ध में आँकड़े जुटा रहा है, और उसके अनुसार, हताहतों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है.

रिपोर्ट बताती है कि कम से कम 487 बच्चों की मौत हुई है और 954 घायल हुए हैं. हताहत लोगों के 90 प्रतिशत से अधिक मामलों के लिए, बड़े इलाक़े को अपनी चपेट में लेने वाले विस्फोटक हथियार ज़िम्मेदार हैं, जिनमें गोलाबारी, क्रूज़ व प्रक्षेपास्त्र मिसाइल और हवाई हमले हैं.

यूएन कार्यालय ने बताया कि बारूदी सुरंग और युद्ध के विस्फोटक अवशेषों की वजह से, 632 आम लोग हताहत हुए हैं जिनमें, 219 लोगों की की मौत हुई व 413 घायल हुए हैं.

इसके अतिरिक्त, कार्यालय को रूसी महासंघ के क्षेत्र में 160 लोगों के हताहत होने, 30 की मौत और 130 घायल, की सूचना प्राप्त हुई है, मगर फ़िलहाल इनका सत्यापन सम्भव नहीं हो पाया है.

बहुत से आम नागरिकों की मौत तब हुई जब वे अपने घरों में मौजूद थे या फिर पानी भरने या भोजन ख़रीदने के लिए जाने जैसी अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में जुटे थे.  

यूक्रेन में युद्ध से हुई तबाही के एक स्थल से गुज़रती हुई एक महिला.
© UNICEF/Diego Ibarra Sánchez

विशाल मानवीय क़ीमत

इनमें 67 वर्षीय ओल्हा भी हैं, जो ख़ारकीव में अपने घर से कुछ ही मीटर की दूरी पर, दूध लेने के लिए जाते समय एक मिसाइल हमले की चपेट में आ गईं थी.

60 वर्षीय सेरही ने अपने आँसू पोंछते हुए बताया कि अप्रैल 2022 में ख़ेरसॉन के पास स्थित एक गाँव में उनका घर गोलाबारी की ज़द में था, और इस हमले में उनकी छह वर्षीय पोती को अपना पाँव खोना पड़ा.

वोल्कर टर्क ने बताया कि ओल्हा और सेरही समेत अन्य की व्यथा कथा, उन आम लोगों की पीड़ा को दर्शाती है, जिन्होंने इस युद्ध की एक भयावह क़ीमत चुकाई है और चुका रहे हैं.

उच्चायुक्त ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन मामलों के लिए जवाबदेही और न्याय स्थापित किए जाने के प्रयासों में तेज़ी लाई जानी होगी.

उनके अनुसार यह ज़रूरी है कि भुक्तभोगियों की मुआवज़े तक पहुँच हो, और उन्हें औपचारिक क़ानूनी प्रक्रियाओं के नतीजों की प्रतीक्षा किए बिना, वो व्यवहारिक सहायता मिले, जिसकी उन्हें सख़्त ज़रूरत है.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने यूक्रेन में युद्ध को यूएन चार्टर और हर स्थान पर आमजन की रक्षा के लिए बनाए गए अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों का खुला उल्लंघन बताया है, जिस पर अब विराम लगाया जाना होगा.