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यूक्रेन का विश्व अदालत में आरोप: रूस ने जनसंहार निरोधक कन्वेन्शन को बनाया 'मज़ाक'

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में सैन्य अभियानों में बुरी तरह ध्वस्त इमारत मलबा हटाते हुए एक महिला.
© UNICEF/Anton Skyba for The Globe and Mail
यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में सैन्य अभियानों में बुरी तरह ध्वस्त इमारत मलबा हटाते हुए एक महिला.

यूक्रेन का विश्व अदालत में आरोप: रूस ने जनसंहार निरोधक कन्वेन्शन को बनाया 'मज़ाक'

शान्ति और सुरक्षा

यूक्रेन ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत (ICJ) में, रूस के इन दावों को “निरा झूठ” क़रार देते हुए ख़ारिज किया कि देश के पूर्वी हिस्सों में जनसंहार को अंजाम दिया गया है. यूक्रेन के प्रतिनिधि ने विश्व अदालत में अपनी बात रखते हुए, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को रोकने के लिये आपातकालीन उपाय किये जाने का भी आहवान किया.

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में यह घटनाक्रम सोमवार को, यूक्रेन में संकट के 12 वें दिन हुआ, जिसके दौरान, 15 लाख से अधिक लोगों ने सुरक्षा की ख़ातिर देश की सीमाओं के पार शरण मांगी है. ध्यान रहे कि यूक्रेन में अनेक शहर रूसी सेना से घिरे हुए हैं और नागरिक अन्धाधुन्ध गोलाबारी की चपेट में हैं.

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यूक्रेन के राष्ट्रपति के स्थाई प्रतिनिधि एण्टॉन कोरिनेविच ने विश्व अदालत में अपनी बात शुरू करते कहा, “आइये हम सभ्य राष्ट्रों की तरह अपने विवाद सुलझाएँ. "अपने हथियार डालो और अपने सबूत सामने रखो."

उन्होंने कहा, "यूक्रेन इस अदालत का सम्मान करता है और उसके आदेशों का पालन करता है. रूस को भी ऐसा ही करना चाहिये.”

"लेकिन अगर रूस अपने आप अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में वापस नहीं आएगा, तो अदालत के पास कार्रवाई करने की शक्ति है. सम्मान के साथ, अदालत की ये जिम्मेदारी है कि वह कार्रवाई करे."

अन्तरराष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन

अन्तरराष्ट्रीय वकीलों ने हेग स्थित विश्व अदालत में यूक्रेन का प्रतिनिधित्व करते हुए तर्क दिया कि रूसी आक्रमण, 1948 के जनसंहार कन्वेन्शन का सीधा उल्लंघन है- और इसकी कार्रवाइयों ने इस कन्वेन्शन पर रूस के हस्ताक्षर के बावजूद, इस वैश्विक सन्धि को मज़ाक में तब्दील कर दिया है.

उन्होंने कहा कि रूस का ये दावा बेतुका है कि डोनेत्स्क और लूहान्स्क में लोगों के नरसंहार को रोकने के लिये हस्तक्षेप करना उसका कर्तव्य था.

उन्होंने ख़ाली पड़ी रूसी सीटों की एक पंक्ति की तरफ़ देखते हुए कहा कि रूस ने अपने इन आरोपों के समर्थन में, कोई सबूत नहीं दिये हैं कि डोनेत्स्क और लूहान्स्क में रूसी भाषी लगभग 40 लाख लोगों के खिलाफ़ जनसंहार हुआ है.

निराधार डोनबास आरोप

विश्व न्यायालय को, 2014 में यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों में हुई हिंसा का हवाला देते हुए बताया गया कि अन्तरराष्ट्रीय निगरानी मिशनों ने हाल के वर्षों में हताहतों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की है.

यूक्रेन के लिये अन्तरराष्ट्रीय वकील डेविड ज़ॉयण्ट्स ने कहा, "यह कहना भी कम होगा कि रूस ने इस संघर्ष के दौरान जनसंहार के अपने दावों के समर्थन में, कोई सबूत नहीं दिये हैं."

"राष्ट्रपति पुतिन ने जनसंहार के अपने आरोपों को स्पष्ट करने के लिये जो निकटतम तर्क दिये हैं, वो हैं जब उन्होंने इस वर्ष के 21 फरवरी को कहा था, और मैं उद्धृत करता हूँ, 'एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब डोनबास समुदायों पर गोलाबारी का हमला न हो', उद्धरण समाप्त. यह एक और खुला झूठ है, जिसके लिये रूस ने कोई सबूत नहीं दिये हैं."

डेविड ज़ॉयण्ट्स ने ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में, 10 न्यायाधीशों के पैनल को सम्बोधित करते हुए, ज़ोर देकर कहा कि रूस की बात "जालसाज़ी, नक़ली और विकृतियों पर आधारित है... परिणाम हैं अकारण आक्रामकता, घेराबन्दी की चपेट में शहर, गोलीबारी में फँसे नागरिक, एक मानवीय तबाही और जाने बचाने के लिये भागते लोग."

ख़तरे की घण्टी

यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के हालात से प्रभावित शरणार्थी, पोलैण्ड की सीमा में प्रवेश करते हुए.
© UNICEF/John Stanmeyer VII Photo
यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई के हालात से प्रभावित शरणार्थी, पोलैण्ड की सीमा में प्रवेश करते हुए.

ICJ के सामने यह भी कहा गया कि यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त निगरानी मिशनों ने किस तरह, मई 2014 में पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक सशस्त्र समूहों के बारे में ख़तरे की घण्टी बजाई थी.

डेविड ज़ॉयण्ट्स ने यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निगरानी मिशन (HRMMU) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रूस समर्थक सशस्त्र समूह,  पूर्वी यूक्रेन में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिये "डराने, उत्पीड़न और हत्याओं में वृद्धि" व "डराने और आतंक के शासन" के लिये जिम्मेदार थे. 

उन्होंने आगे कहा, "इसलिये, अब, जबकि रूस की आक्रामकता झूठ पर आधारित है, अलबत्ता, सम्पर्क रेखा के दोनों तरफ़ हर एक नागरिक की मौत एक त्रासदी है, फिर भी यह दावा कि यूक्रेन नागरिकों को लक्षित करता है, तथ्यों को विकृत करना है."

"अगर नागरिकों पर हमले हुए जो जनसंहार के स्तर तक बढ़े, जिसके लिये, कथित तौर पर एक सशस्त्र आक्रमण की आवश्यकता थी, तो किसी के भी दिमाग़ में ये विचार अवश्य आएगा कि कम से कम हाल के समय में, नागरिक हताहतों की संख्या में भारी वृद्धि हुई होगी. मगर जैसा नज़र आता है, ऐसी कोई बात नहीं है.”

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय, ‘जनसंहार के अपराध की रोकथाम और सज़ा पर कन्वेन्शन’ के तहत यूक्रेन के जनसंहार के आरोपों पर, रूस की प्रतिक्रिया मंगलवार, 8 मार्च को सुनेगा. यह कार्यवाही सुबह 10 बजे (CET) से शुरू होगी और इसे यूएन वैब टीवी पर (webtv.un.org) देखा जा सकता है.