मीडिया कर्मियों की स्वतंत्रता के लिये दिनोंदिन बढ़ते जोखिम, यूएन प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार, 3 मई, को ‘विश्व प्रैस स्वतंत्रता दिवस’ के अवसर पर जारी अपने सन्देश में पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की आज़ादी पर बढ़ते ख़तरों के प्रति आगाह किया है. यूएन प्रमुख ने कहा है कि वैश्विक स्वास्थ्य से लेकर जलवायु संकट, भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के हनन तक, पत्रकारों को अपने काम के बढ़ते राजनीतिकरण व विभिन्न पक्षों की तरफ़ से ख़ामोश कराने के प्रयासों का सामना करना पड़ रहा है.
महासचिव गुटेरश ने प्रैस की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि पत्रकार और अन्य मीडियाकर्मी सत्ता में बैठे लोगों की पारदर्शिता और जवाबदेही पर ज़ोर डालते हैं, वो भी अक्सर बड़े व्यक्तिगत जोखिम का सामना करते हुए.
“कोविड-19 महामारी के दौरान, बहुत से मीडियाकर्मी, नीति-निर्माताओं को जानकारी देकर, जीवन बचाने योग्य सटीक, विज्ञान-आधारित रिपोर्टिंग करते हुए, अग्रिम पंक्ति में रहे हैं.”
साथ ही, जलवायु, जैव-विविधता और प्रदूषण जैसे मुद्दों की कवरेज करने वाले पत्रकार, इस तिहरे ग्रह संकट पर पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहे हैं.
मगर, उन्होंने सचेत किया कि वैश्विक स्वास्थ्य से लेकर जलवायु संकट, भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के हनन तक, उनके कार्य का राजनीतिकरण बढ़ रहा है और विभिन्न पक्षों द्वारा उन्हें ख़ामोश कराये जाने की कोशिशें भी हो रही हैं.
डिजिटल जगत में चुनौतियाँ
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि डिजिटल तकनीक ने सूचना तक पहुँच को लोकतांत्रिक बना दिया है. लेकिन इसने गम्भीर चुनौतियाँ भी पैदा की हैं.
“सोशल मीडिया मंचों के बहुत से बिज़नेस मॉडल, सटीक रिपोर्टिंग तक पहुँच बढ़ाने पर नहीं, बल्कि सम्वाद बढ़ाने पर आधारित हैं - जिसका अर्थ अक्सर आक्रोश भड़काना और झूठ फैलाना होता है.”
महासचिव के अनुसार, युद्ध क्षेत्रों में मीडिया कर्मियों को न केवल बम और गोलियों से, बल्कि भ्रान्तियाँ और दुष्प्रचार के हथियारों से भी ख़तरा है, जो आधुनिक समय में युद्ध का एक प्रतिरूप बन गए हैं.
“उन्हें दुश्मन मानकर, उनपर हमला किया जाता है, जासूसी का आरोप लगाया जाता है, हिरासत में लिया जाता है या मार दिया जाता है, वो भी केवल इसलिये कि वे अपना काम ईमानदारी से कर रहे थे.”
यूएन प्रमुख ने बताया कि डिजिटल तकनीकों से सेंसरशिप और भी ज़्यादा आसान हो जाती है.
दुनिया भर में बहुत से पत्रकारों और सम्पादकों के सामने, लगातार अपने कार्यक्रमों एवं रिपोर्ट्स को ऑफ़लाइन कर दिये जाने का ख़तरा बना रहता है.
मीडिया कर्मियों का उत्पीड़न
डिजिटल तकनीक से उत्पीड़न व दुरुपयोग के नए तरीक़े सामने आते हैं. महिला पत्रकारों को ऑनलाइन उत्पीड़न और हिंसा का विशेष ख़तरा रहता है.
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने पाया है कि हर चार में से लगभग तीन महिलाओं ने उनके प्रश्नों के उत्तर में ऑनलाइन हिंसा का अनुभव करने की हामी भरी थी. हैकिंग और अवैध निगरानी भी पत्रकारों को अपना काम करने से रोकती है.
महासचिव ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि वे लोग और समाज, जो कल्पना और तथ्यों में अन्तर करने में असमर्थ हैं, भयानक तरीक़ों से भ्रमित किये जाते हैं.
“प्रैस की स्वतंत्रता के बिना, कोई समाज वास्तव में लोकतांत्रिक नहीं हो सकता. प्रैस की स्वतंत्रता के बिना आज़ादी बेमानी है.”
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र, हर स्थान पर पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के साथ सहयोग करने के लिये प्रयासरत है.
महासचिव ने बताया कि दस साल पहले, पत्रकारों की सुरक्षा पर एक कार्य योजना, Plan of Action on the Safety of Journalists, शुरू की गई थी, ताकि मीडिया कर्मियों की रक्षा की जा सके और उनके ख़िलाफ़ किये गए अपराधों के लिये दण्ड-मुक्ति न मिल सके.
इस क्रम में, उन्होंने सत्ता के सामने सच बोलने, झूठ का पर्दाफ़ाश करने और मज़बूत, सहनसक्षम संस्थानों व समाजों के निर्माण में मीडिया की आवश्यक भूमिका का सम्मान किये जाने का आग्रह किया है.
यूएन प्रमुख ने देशों की सरकारों, मीडिया संगठनों और प्रौद्योगिकी कम्पनियों का आहवान किया है कि वो हर जगह, इन महत्वपूर्ण प्रयासों में संगठन का साथ दें.