विश्व स्वास्थ्य दिवस: जलवायु कार्रवाई करें, एक दूसरे का ख़याल रखें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरूवार को विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौक़े पर, स्वास्थ्य संरक्षण और जलवायु संकट के असर को कम करने की आपात पुकार लगाई है.
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कार्रवाई पुकार के तहत गत सोमवार को एक हृदय विदारक रिपोर्ट जारी की है जिसमें ध्यान दिलाया गया है कि दुनिया की लगभग 99 प्रतिशत आबादी अस्वस्थ वायु में साँस ले रही है, जोकि मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन को जलाने का परिणाम है.
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WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है, “जलवायु संकट, दरअसल स्वास्थ्य संकट है: जो ग़ैर-टिकाऊ विकल्प हमारे पृथ्वी ग्रह का दम घोंट रहे हैं, वही दरअसल लोगों को भी मार रहे हैं.”
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि धीरे-धीरे गरम होती दुनिया में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियाँ ज़्यादा दायरे में और ज़्यादा तेज़ गति से फैल रही हैं, अभूतपूर्व रूप में.
और अत्यन्त चरम मौसम घटनाएँ, जैव विविधता हानि, भूमि क्षरण और पानी की क़िल्लत, लोगों को विस्थापित कर रहे हैं और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं, जबकि दुनिया के सबसे गहरे समुद्रों में और सबसे ऊँचे पहाड़ों पर मौजूद प्रदूषण व प्लास्टिक - खाद्य पदार्थों और रक्त धमनियों में अपना रास्ता बनाते व बढ़ाते जा रहे हैं.
उससे भी ज़्यादा, उच्च प्रसंस्कृत, अस्वस्थ भोज्य पदार्थ और पेयजल बनाने वाली प्रणालियाँ मोटापे की एक लहर आगे बढ़ा रही हैं, कैंसर, दिल की बीमारियाँ बढ़ा रही हैं जबकि वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई हिस्सा भी उत्पन्न कर रही हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ये स्वास्थ्य व सामाजिक संकट, लोगों को अपने स्वास्थ्य व ज़िन्दगी पर अपना नियंत्रण या मर्ज़ी चलाने की सामर्थ्य कमज़ोर कर रहे हैं.
कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में असमानता की दोषपूर्ण रेखाओं को उजागर कर दिया है जिससे, टिकाऊ और स्वस्थ समाजों के निर्माण की तात्कालिकता भी उजागर होती है जिनसे पारिस्थितिकी सीमाओं का उल्लंघन ना हो.
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी लोगों को जीवनरक्षक और जीवन गुणवत्ता बढ़ाने वाले उपकरण, प्रणालियाँ, नीतियाँ और वातावरण उपलब्ध हों.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मैनीफ़ेस्टो में कहा गया है कि महामारी से स्वस्थ और हरित तरीक़े से उबरने के लिये, प्रकृति की, मानव स्वास्थ्य के एक प्राथमिक स्रोत के रूप में, संरक्षा और सुरक्षा करनी होगी.
इस दस्तावेज़ में एक त्वरित और स्वस्थ ऊर्जा परिवर्तन सुनिश्चित करने; स्वस्थ और टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने; स्वस्थ और रहने योग्य शहर बनाने; और कर दाताओं का धन प्रदूषण वृद्धि में जाने से रोकने की ख़ातिर, स्वास्थ्य सेवाओं में पानी और स्वच्छता से लेकर, स्वच्छ ऊर्जा तक जैसी अनिवार्य सेवाओं में संसाधन निवेश करने की हिमायत की गई है.
बेहतर रहन-सहन के लिये जिनीवा चार्टर में ये रेखांकित भी किया गया है कि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिये, समान स्वास्थ्य और सामाजिक परिणाम हासिल करने की ख़ातिर, किन वैश्विक संकल्पों की ज़रूरत है, और वो भी हमारे पृथ्वी ग्रह का स्वास्थ्य बिगाड़े बिना.
बढ़े तनावों और भंगुरता के हालात में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपना संस्थापना दिवस – Our Plant, Our Health अभियान जारी करके मना रहा है जिसमें ज़्यादा स्वस्थ समाजों के निर्माण की ख़ातिर, संसाधनों की पुनर्कल्पना और पुनर्प्राथमिकता शामिल है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया ने ज़ोर देकर कहा, “हमें दुनिया को जीवाश्म ईंधनों के प्रयोग की लत से छुटकारा दिलाने के लिये परिवर्तनशील समाधानों की ज़रूरत है, जिनमें लोगों के रहन-सहन पर केन्द्रित अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के बारे में नए सिरे से सोचा जाए. साथ ही पृथ्वी ग्रह के स्वास्थ्य की रक्षा सुनिश्चित की जाए, जिसपर मानव स्वास्थ्य टिका हुआ है.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने विश्व स्वास्थ्य दिवस अभियान के ज़रिये, तमाम देशों की सरकारों, संगठनों, विशाल कम्पनियों और नागरिकों से ऐसी कार्रवाइयाँ साझा करने को कहा है जो वो, पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य की हिफ़ाज़त के लिये कर रहे हैं.