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‘ओलिम्पिक भावना की, अब कहीं ज़्यादा दरकार’ यूएन प्रमुख

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (बाएँ), अन्तरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बैश के साथ, बीजिंग शीतकालीन ओलिम्पिक खेलों के दौरान मुलाक़ात करते हुए.
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यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (बाएँ), अन्तरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बैश के साथ, बीजिंग शीतकालीन ओलिम्पिक खेलों के दौरान मुलाक़ात करते हुए.

‘ओलिम्पिक भावना की, अब कहीं ज़्यादा दरकार’ यूएन प्रमुख

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चीन की राजधानी बीजिंग में, शुक्रवार को शीतकालीन ओलिम्पिक खेल शुरू होने के मौक़े पर एक वीडियो सन्देश में कहा है कि न्यायसंगत खेल और एकजुटता जैसी – ओलिम्पिक को चरितार्थ करने वाली गुणवत्ताएँ, पूरे खेलों और उससे भी आगे चमकती रहनी चाहिये.

यूएन प्रमुख ने इन खेलों में शिरकत करने वाले खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा कि वो शान्ति, आपसी सम्मान, और समझदारी की ओलिम्पिक भावना की मशाल थामे हुए हैं.

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एक मानव परिवार

उन्होंने कहा, “ये मेरी प्रबल आशा है कि ये भावना, इन ओलम्पिक खेलों से भी आगे तक जारी रहे – हर एक जन – प्रतिभागी और दर्शक – सबको याद दिलाने के लिये, कि हम सभी का सम्बन्ध एक ही मानव परिवार से है.”

“जब हम साथ मिलकर काम करते हैं तो हमारी उपलब्धियों की कोई सीमा नहीं है – शान्ति के लिये, मानवाधिकारों के लिये, और स्वस्थ जीवन व हर किसी के लिये बेहतर रहन-सहन.”

एंतोनियो गुटेरेश बीजिंग के दौरे पर हैं जहाँ उन्होंने शुक्रवार को, अन्तरराष्ट्रीय ओलिम्पिक कमेटी (IOC) के अध्यक्ष थॉमस बैश से मुलाक़ात की.

महासचिव ने इस मौक़े पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि वैश्विक एकता और एकजुटता के ओलिम्पिक सन्देश की ज़रूरत, अतीत से कहीं ज़्यादा अभी है.

दुनिया को एकजुट करना

यूएन प्रमुख ने कहा कि ऐसे दौर में, जब हम लोकलुभावनवाद, नस्लभेद, ख़ुद से भिन्न लोगों के लिये नफ़रत, यदूही-विरोधवाद, मुस्लिम विरोधी नफ़रत की इतनी सारी अभिव्यक्ति देखते हैं, ऐसे समय में यहाँ इन शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में; और भिन्न संस्कृतियों, देशों, नस्लीय पृष्ठभूमियों और विभिन्न धर्मों से आए प्रतिभागियों के बीच मौजूद होना, एक अदभुत सन्देश है.

यूएन महासचिव ने कहा कि ज़रूरी नहीं है कि प्रतिस्पर्धा का मतलब शत्रुता ही हो, क्योंकि इस तरह के अवसर, कोविड-19, जलवायु परिवर्तन, विषमता और अन्य तरह की वैश्विक चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिये, देशों को एकजुट कर सकते हैं, जिसके लिये एकता व एकजुटता से कहीं ज़्यादा प्रयासों की दरकार है.

यूएन प्रमुख ने, ये खेल शुरू होने से पहले, सदियों से चली आ रही ओलम्पिक सुलह की अपील बुलन्द करते हुए, इथियोपिया में युद्धरत पक्षों से लड़ाई तुरन्त बन्द करने की पुकार लगाई.

उन्होंने कहा, “जब हम दुनिया भर में इतने सारे संघर्ष व लड़ाइयाँ देखते हैं, तो हम ओलिम्पिक खेलों की व्यापक प्रासंगिकता देखते हैं, जिनमें सभी देशों का प्रतिनिधित्व होता है - उन सभी को यहाँ देखना और ये दिखाना कि शान्ति सम्भव है, कि एकता मुमकिन है और एकजुटता सम्भव है. दुर्भाग्य से उनमें से कुछ देश युद्ध की स्थिति में हैं.”

“ये स्थिति, अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति को समर्थन देने के, संयुक्त राष्ट्र के संकल्प को पूरी तरह जायज़ ठहराती है.”

बीजिंग शीतकालीन ओलम्पिक शुक्रवार, 4 फ़रवरी को शुरू होकर 20 फ़रवरी तक चलेंगे, जिनमें लगभग 90 देशों के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं.

ट्रैक सूट में ‘डिप्लोमैट’

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद भी शीतकालीन ओलम्पिक खेलों के लिये, बीजिंग में हैं और उन्होंने शुक्रवार को ओलिम्पिक मशाल दौड़ में भी हिस्सा लिया.

उन्होंने बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए, इस अनुभव को, एक महान अवसर और महान विशेषाधिकार क़रार दिया. 

उन्होंने कहा कि ओलिम्पिक में सर्वश्रेष्ठ मानवता की झलक नज़र आती है.

यह पूछे जाने पर कि ओलिम्पिक समिति और संयुक्त राष्ट्र के मूल्य किस तरह मेल खाते हैं, अब्दुल्ला शाहिद ने कहा कि दोनों ही संगठन शान्ति के इर्द-गिर्द केन्द्रित हैं.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाए रखने के लिये गठित किया गया था, जबकि ओलिम्पिक समिति एक ऐसा मंच मुहैया कराती है जहाँ तमाम लोग, अपनी आस्थाओं और मतभेदों की परवाह किये बिना, एक साथ इकट्ठा होते हैं.

अब्दुल्ला शाहिद ने कहा, “वो ट्रैक सूट पहनते हैं, मगर दरअसल वो हमारी पसन्द वाले डिप्लोमैट हैं -  युवा, ऊर्जावान, महिलाएँ और पुरुष – एक साथ, एक मंच पर, एक दूसरे के साथ बातचीत करते हुए; और ऐसी ऊर्जा दिखाते हुए जिसकी हमें शान्ति को बढ़ावा देने के लिये बहुत ज़रूरत है.”