खेलों के ज़रिये 'शान्ति संस्कृति' के निर्माण हेतु, 'ओलिम्पिक सुलह' की पुकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दुनिया से, खेल की ताक़त के ज़रिये "शान्ति की संस्कृति का निर्माण" करने का आग्रह किया है. उन्होंने सभी राष्ट्रों से, पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित ‘ओलिम्पिक सुलह’ प्रस्ताव का पालन करने का आहवान किया.
उन्होंंने, बढ़ते संघर्ष और तनाव के सन्दर्भ में याद दिलाया कि ओलिम्पिक सुलह अपील में, सभी पक्षों से आगामी शीतकालीन खेलों के दौरान युद्धविराम का पालन करने का आहवान किया गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि "आपसी समझ, कड़ी मेहनत और निष्पक्ष खेल" की भावना के साथ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले, दुनिया भर के खिलाड़ियों के लिये, यह "रोमांचकारी इतिहास से दो-चार होने का समय है."
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अपने सन्देश में, सभी को ओलिम्पिक के आदर्शों पर चलने के लिये प्रोत्साहित करते हुए कहा, "कुछ दिनों में, हमारा मानव परिवार ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक शीतकालीन खेलों के लिये बीजिंग में एकजुट होगा",
उन्होंने कहा, "यह भावना हम सभी को प्रेरित करती है."
यूएन महासचिव ने कहा कि ओलिम्पिक सुलह "मतभेदों को दूर करने और स्थाई शान्ति का रास्ता खोजने का अवसर" पेश करता है.
जैसेकि दुनिया कोविड-19 महामारी को समाप्त करने का प्रयास कर रही है, उन्होंने सभी से "सभी के लिये एक सुरक्षित, अधिक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य हेतु एकजुट होने" का आग्रह किया.
यूएन प्रमुख ने हाल ही में एक प्रैस वार्ता के दौरान, "आज की दुनिया में एकता की सम्भावना की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति", एवं विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और जातियों के बीच आपसी सम्मान और सहयोग के साधन के रूप में, खेलों की सराहना की थी.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, "मुझे लगता है कि ओलिम्पिक आदर्श कुछ ऐसी धरोहरक है, जिसे संजोना ज़रूरी है, और यही कारण है कि मैं वहाँ जाऊंगा...और इसका चीन के जनवादी गणराज्य की विभिन्न नीतियों को लेकर मेरी राय से कोई सम्बन्ध नहीं है."
ओलिम्पिक सुलह का इतिहास 3000 साल पुराना है, जब प्राचीन यूनानियों ने ग्रीस के राज्यों के सभी खिलाड़ियों और दर्शकों को, ओलिम्पिक खेलों में भाग लेने की अनुमति देने के लिये, ‘एकेचिरिया’ के पवित्र युद्धविराम की स्थापना की थी, जो अन्यथा हमेशा एक-दूसरे के साथ संघर्ष में लिप्त रहते थे.
यूएन महासभा के अध्यक्ष, अब्दुल्ला शाहिद ने सभी सदस्य देशों से ओलिम्पिक सुलह के लिये अपनी प्रतिबद्धता ज़ाहिर करने और "शान्ति एवं सदभाव की संस्कृति को बढ़ावा व मज़बूती देने के लिये, स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर ठोस कार्रवाई करने" की अपील की.
उन्होंने कहा, "मैं दुनिया भर में मौजूदा सशस्त्र संघर्षों के सभी युद्धरत पक्षों से, ओलिम्पिक सुलह की अवधि के लिये, सच्चे आपसी संघर्ष विराम हेतु साहसपूर्वक सहमत होने का आहवान करता हूँ. इससे विवादों को शान्तिपूर्वक निपटाने का अवसर प्राप्त होगा."
संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव 76/13 - "खेल और ओलिम्पिक आदर्श के ज़रिये एक शान्तिपूर्ण और बेहतर दुनिया का निर्माण" को, 173 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने सह-प्रायोजित किया था, और इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया था.
इसमें, 2022 बीजिंग खेलों के दौरान, 4 फ़रवरी को ओलिम्पिक खेल शुरू होने से सात दिन पहले, और पैरालिम्पिक की समाप्ति के सात दिन बाद तक, संघर्ष विराम का पालन करने का आहवान किया गया है.
इसके तहत, सभी सदस्य देशों को "ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक खेलों की अवधि के दौरान और उसके बाद संघर्ष के क्षेत्रों में शान्ति, सम्वाद और सुलह को बढ़ावा देने के लिये, एक संसाधन" के रूप में खेलों का उपयोग करने में, अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) के साथ सहयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया.
आईओसी के अध्यक्ष, थॉमस बाक ने इस प्रस्ताव को, "दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को शान्तिपूर्ण प्रतिस्पर्धा में एकजुट करने और किसी भी राजनैतिक विवाद से ऊपर उठने" के खेलों के मिशन के लिये "एक महान मान्यता" क़रार दिया.
उन्होंने कहा, "यह तभी सम्भव है जब ओलम्पिक खेल, राजनैतिक रूप से तटस्थ हों और राजनैतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का हथियार ना बनें."