कोविड-19: संकट काल में मानसिक तनाव में कमी लाने में शतरंज है सहायक

ऐसे समय में जबकि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान दुनिया भर में खेलकूद आयोजनों पर विराम लग गया है, सोमवार को ‘विश्व शतरंज दिवस’ (World Chess Day) के अवसर पर शतरंज को एक ऐसे खेल के रूप में पेश किया गया है जिसे सामाजिक दूरी बरतते हुए घरों के भीतर या ऑनलाइन खेला जा सकता है और जिससे बेचैनी कम करने व मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिल सकती है.
विश्व शतरंज दिवस पहली बार मनाया जा रहा है. वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित करके हर साल 20 जुलाई को विश्व शतरंज दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी.
Games & sports can help get through times of crisis like #COVID19 by reducing anxieties & improving mental health. Monday is the first-ever #WorldChessDay. https://t.co/g8R2BnWLXU pic.twitter.com/xdlgG5thNU
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संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कम्युनिकेशन्स विभाग की अवर महासचिव मेलीसा फ़्लेमिंग ने सोमवार को एक वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा, “आज एक ऐसे बौद्धिक खेल के समारोह का दिवस है जो सदियों से दुनिया भर में लाखों लोगों का मनोरंजन करता, उन्हें प्रेरित करता और कभी-कभी उलझाता आया है.”
“आज इस दिवस को मनाते समय हम ख़ुद को ध्यान दिलाते हैं कि भयावह कोविड-19 महामारी के दौरान शतरंज जैसे खेल का अनेक लोगों के लिये विशेष मूल्य है.”
संयुक्त राष्ट्र के संचार विभाग की प्रमुख मेलीसा फ्लेमिंग ने अपने मुख्य सम्बोधन में बताया कि महामारी एक शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक संकट को दर्शाती है.
इस बीमारी के कारण हर व्यक्ति पर पाबन्दियाँ लग गई हैं और ऑनलाइन या सुरक्षित शारीरिक दूरी बरतते हुए खेले जाने वाले खेल पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं.
“इस बदलाव से खेल के प्रति हमारी जीवन-पर्यन्त भावना को बल मिलता है...हमारे उत्साह और जोश को पोषण मिलता है...हमारा मस्तिष्क और शरीर तरोताज़ा हो जाता है...परेशानियों से हमारा ध्यान हटता है और बेचैनियाँ कम होती हैं.”
रिपोर्टों के मुताबिक विश्वव्यापी महामारी के कारण शतरंज की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी हुई है और बड़ी संख्या में लोग ऑनलाइन शतंरज खेलने का लुत्फ़ उठा रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि खेलकूद, कला और शारीरिक गतिविधि के ज़रिये धारणाएँ, पूर्वाग्रह और व्यवहारों को बदला जा सकता है और नस्लीय व राजनैतिक अवरोधों को तोड़ने में भी मदद मिल सकती है.
खेलकूद आयोजन से स्थानीय, क्षेत्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भेदभाव को दूर करने, टकराव टालने, और शिक्षा, टिकाऊ विकास, शान्ति व सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है.
यूएन का कहना है कि शतरंज को खेलकूद, वैज्ञानिक नज़रिये और कलात्मक प्रवृत्तियों के मिश्रण को समेटने वाले एक प्राचीन बौद्धिक खेल के रूप में देखा जाता है.
यह किफ़ायती व समावेशी है और इसे भाषा, उम्र, लिंग, शारीरिक क्षमता व सामाजिक दर्जे की बाधाओं से परे कहीं भी खेला जा सकता है.
शतरंज के ज़रिये निष्पक्षता और आपसी सम्मान को बढ़ावा मिलता है और इसी वजह से लोगों व राष्ट्रों में सहिष्णुता व समझदारी के वातावरण के निर्माण में इससे मदद मिल सकती है.
टिकाऊ विकास एजेण्डा को लागू करने में भी शतरंज महत्वपूर्ण अवसर पेश करता है.
यूएन कम्युनिकेशन्स विभाग की प्रमुख मेलीसा फ़्लेमिंग ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र खेलकूद के क्षेत्र में नई पहल विकासित करने व उन्हें शान्ति सम्बन्धी कामकाज की मुख्यधारा में शामिल कर रहा है. यह टिकाऊ विकास लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक हासिल करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है.”
शिक्षा को मज़बूती प्रदान करके, लैंगिक समानता को सम्भव बनाकर और महिलाओं व लड़कियों के सशक्तिकरण के ज़रिये इस लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि लोग अब मानने लगे हैं कि खेलकूद से टिकाऊ विकास, शान्ति व सामाजिक समावेशन के लिये सामर्थ्यवान माहौल बनाने में मदद मिल सकती है.
कार्यक्रम का संचालन कर रहे और आर्मीनिया के दूत म्हेर मारगारयान ने इस मौक़े पर कहा कि शतरंज आर्मीनिया की संस्कृति का एक अहम हिस्सा है. तीस लाख की आबादी वाले इस देश के पास शतरंज में ओलम्पिक व विश्व चैंपियन का ताज़ है.
अन्तरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) के प्रमुख अरकाडी द्वोरकोविच ने अपने सम्बोधन में कहा कि वह शतरंज को एक ऐसे औज़ार के रूप में विकसित करना चाहते हैं जिससे दुनिया को बेहतर बनाया जा सके.
इस आयोजन में शतरंज के महारथियों ने भी शिरकत की जिनमें भारत के ग्रैंडमास्टर और विश्व विजेता विश्वनाथन आनन्द ने शतरंज को रणनीति का उत्कृष्ट खेल बताते हुए उसके लम्बे इतिहास पर प्रकाश डाला.