वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सीरिया: संदिग्ध आइसिल लड़ाकों को जेल से छुड़ाए जाने के बाद, सुरक्षा हालात पर चिन्ता

सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में बहुत से परिवारों को लगातार युद्ध और लड़ाई वाले हालात का सामना करना पड़ा है. (फ़ाइल)
© UNICEF/Beshar Keder
सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में बहुत से परिवारों को लगातार युद्ध और लड़ाई वाले हालात का सामना करना पड़ा है. (फ़ाइल)

सीरिया: संदिग्ध आइसिल लड़ाकों को जेल से छुड़ाए जाने के बाद, सुरक्षा हालात पर चिन्ता

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने (OHCHR) ने, सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आइसिल/दाएश) के आतंकवादियों द्वारा एक कारागार से अपने साथियों को छुड़ाने के लिये, योजनाबद्ध ढंग से किये गए हमलों के चार दिन बाद, हिरासत केन्द्र और अल-हसकाह शहर में सुरक्षा हालात पर गहरी चिन्ता जताई है.  

जेल तोड़ने की यह कोशिश गुरूवार, 20 जनवरी को शुरू हुई और आइसिल के संदिग्ध लड़ाकों को छुड़ाने के लिये सुनियोजित तरीक़े से कार बम हमले किये गए.

Tweet URL

इससे दाएश लड़ाकों और कुर्द नेतृत्व वाले सीरियाई सुरक्षा बलों के बीच हिंसा शुरू हो गई, जिनका कारागार और अल-हसकाह शहर के रिहायशी इलाक़ों पर नियंत्रण है.

यूएन मानवाधिकार मामलों की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस घटनाक्रम पर चिन्ता जताई है. 

“हम ख़बरों से ख़ास तौर पर परेशान हैं जिनके अनुसार, बड़ी संख्या में लड़कों को, सम्भवत: सैकड़ों की संख्या में वहाँ रखा गया है, और उनकी सुरक्षा व कल्याण के प्रति बेहद चिन्तित हैं.”

“हमेशा की तरह, बच्चों को हिरासत में रखा जाना, एक अन्तिम उपाय के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाना चाहिये, और वो भी जितना सम्भव हो, उतनी कम उपयुक्त अवधि के लिये.”

ग़वीरान कारागार, सीरिया के पूर्वोत्तर हिस्से में, सबसे बड़े हिरासत केन्द्रों में हैं, जहाँ क़रीब पाँच हज़ार पुरुष बन्दियों को रखा जाता है.

इनमें से अनेक बन्दी मुक़दमे की कार्रवाई शुरू होने से पहले हिरासत में रखे गए हैं और इनमें बड़ी संख्या में इराक़ और सीरिया से पकड़े गए संदिग्ध आइसिल लड़ाके हैं. 

सुरक्षा बलों के मुताबिक़, जेल से फ़रार होने वाले कई क़ैदियों को फिर से हिरासत में ले लिया गया है, मगर अनेक अन्य, अल-हसकाह शहर में छिपे हुए बताए गए हैं.

बंधक बनाए जाने की आशंका

जेल से मिली ख़बरों के अनुसार, इस घटना में क़रीब 300 लोगों की मौत होने की आशंका है, जिनमें अधिकतर बन्दी हैं. 

सुरक्षा बलों ने अपने नियंत्रण वाले सभी इलाक़ों में करफ़्यू लगा दिया है, और अन्तरराष्ट्रीय बलों के हवाई समर्थन से, कारागार को घेर लिया है.  

ख़बरों के अनुसार, अनेक बन्दियों, जिनमें से अनेक के आइसिल का सदस्य होने की आशंका है, उन्होंने कारागार की मुख्य इमारत को अपने नियंत्रण में ले लिया है, और जेल के कुछ कर्मचारियों को बन्धक बना लिया है.

आइसिल द्वारा और हमले किये जाने की आशंका के बीच, हज़ारों स्थानीय लोग, अपने घर छोड़कर चले गए हैं.  

मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने सभी युद्धरत पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत तय दायित्वों का निर्वहन करने और आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. 

बदतर परिस्थितियों में बन्दी

ये घटना ऐसे समय में हुई है, जब सीरिया के अनेक हिस्सों में बदतरीन हालात में हज़ारों क़ैदियों को हिरासत में रखे जाने पर चिन्ता जताई जाती रही है. 

यूएन मानवाधिकार मामलों की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने ध्यान दिलाया कि सीरियाई सुरक्षा बलों द्वारा संचालित बेहद गन्दे और असुरक्षित हालात वाले हिरासत केन्द्रों के बारे में, पहले भी चेतावनी जारी की गई है. 

“यहाँ बन्दियों को भीड़भाड़ भरे माहौल में हिरासत में रखा जाता है, उन्हें उपयुक्त चिकित्सा देखभाल मुहैया नहीं है और वे अपने परिवारों से भी नहीं मिल सकते हैं.”

यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने बताया कि अनेक बार दंगे हो चुके हैं, जिन्हें आइसिल से जुड़े बन्दी भड़काते रहे हैं और हिरासत केन्द्रों पर भी हमले किये गए हैं.

प्रवक्ता ने, इसके अलावा, उन हज़ारों सीरियाई, इराक़ी और अन्य राष्ट्रीयता के लोगों के लिये उत्पन्न हालात पर गहरी चिन्ता जताई है, जिनके आइसिल सदस्यों के साथ पारिवारिक सम्बन्ध हैं. 

इन्हें सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े अल-होल और अल-रोज में विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविरों में रखा गया है, जहाँ बहुत भीड़ है और रहने के लिये सीमित स्थान. 

इन शिविरों में रहने वाले बाशिन्दे, हिंसक कृत्यों का सामना करने और विकट हालात में जीवन गुजारने के लिये मजूबर हैं.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने इसके मद्देनज़र, ऐसे बन्दियों के मूल देशों की सरकारों से, अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुसार, उन्हें देश वापस बुलाने की मांग दोहराई है, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को. 

हिरासत में बच्चे

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र की एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ फ़ियोनाला नी एओलेन ने जेल में बन्द, लगभग 700 बच्चों के कल्याण के प्रति गहरी चिन्ता व्यक्त की है.

उन्होंने कहा है कि इनमें से कुछ बच्चों की उम्र 12 वर्ष है, और उन्हें जेल में फैली अफ़रा-तफ़री और बन्दियों की मौत के बीच वहाँ रहना पड़ रहा है.

आतंकवाद से मुक़ाबला किये जाने के दौरान मानवाधिकारों के प्रसार व रक्षा के मुद्दे पर विशेष रैपोर्टेयर फ़ियोनाला नी एओलेन ने, देशों से, सीरिया में हिरासत में रखे गए अपने युवा नागरिकों को तत्काल वापिस बुलाए जाने का आग्रह किया है. 

उन्होंने कहा कि इन युवा बन्दियों की, उनके अपने देश उपेक्षा कर रहे हैं, जोकि त्रासदीपूर्ण है, जबकि उनकी अपनी कोई ग़लती नहीं है, सिवाय इसके कि वे उनके बच्चे हैं, जिनके चिन्हित आतंकी गुटों से सम्बन्ध हैं.