‘दाएश के ख़िलाफ़ लड़ाई, लम्बी अवधि का अभियान’

संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक मामलों के प्रमुख व्लादिमीर वोरोन्कोफ़ ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि आइसिल आतंकवादी गुट – दाएश और उसके सहयोगी आतंकवादी गुटों द्वारा दरपेश ख़तरे का सामना करने वाली वैश्विक लड़ाई, एक लम्बे समय तक चलने वाला “खेल” है जिसका कोई तात्कालिक या छोटी अवधि का हल नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यालय के अवर महासचिव व्लादिमीर वोरोन्कोफ़ ने कहा कि दाएश (आइसिल या आइसिस के लिये, अरबी भाषा में यही शब्द प्रयोग होता है), सीरिया और इराक़ में अब भी बहुत बड़ा ख़तरा पेश करता है, जहाँ इस गुट के छह से 10 हज़ार तक लड़ाके मौजूद हैं. ये लड़ाके अब भी घात लगाकर हमले करते हैं, सड़कों के किनारे हमले करते हैं और भाग निकलते हैं.
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उन्होंने दाएश के लड़ाकों द्वारा सीरिया के अल हसाकाह नगर में, हाल ही में एक जेल पर धावा बोले जाने की घटना का भी विवरण दिया जिसमें झड़पें भी हुईं, और ये घटना, बच्चों सहित स्थानीय आबादी के लिये एक मानवीय संकट साबित हुआ.
उन्होंने इस घटनाक्रम को, इस आतंकवादी गुट द्वारा अति क्रूर हिंसा की दहला देने वाली चेतावनी क़रार दिया.
इन घटनाओं के बाद, अमेरिकी विशेष बलों के एक कथित हमले में, दाएश के मुखिया अबू इब्राहीम अल हाशिमी अल क़ुरैशी की मौत हो गई, जिसे इस गुट के नेतृत्व के लिये एक भारी नुक़सान बताया गया.
अलबत्ता, अवर महासचिव ने आगाह करते हुए ये भी कहा कि दाएश पुनर्संगठित करने की अपनी सामर्थ्य और यहाँ तक कि बहुत बड़ी हार के बाद भी, अपनी गतिविधियाँ सघन करने के लिये जाना जाता है.
उन्होंने कहा, “हमने पिछले दो दशकों के दौरान ये सीखा है कि आतंकवाद का मुक़ाबला करना एक लम्बी अवधि का खेल है और ये भी कि इसमें बहुत जल्दी कोई नतीजा नहीं मिल सकता.”
उन्होंने आतंकवाद निरोधक सैन्य अभियानों के साथ-साथ, रोकथाम उपायों पर ध्यान केन्द्रित करने वाले ज़्यादा वृहद उपाय करने की ज़रूरत भी रेखांकित की.
व्लादिमीर वोरोन्कोफ़ ने इस पृष्ठभूमि में, सामाजिक भरोसा फिर से बनाने और मानव गरिमा बहाल करने के लिये नए सिरे से प्रयास किये जाने की पुकार भी लगाई.
ये काम सीरिया और इराक़ में विस्थापन शिविरों और बन्दीगृहों में, बदहाल परिस्थितियों में बेहतरी लाने के साथ शुरू होना चाहिये, जहाँ दाएश के सदस्यों के साथ पारिवारिक सम्बन्ध रखने वाले हज़ारों लोग मौजूद हैं, जिनमें बहुत से बच्चे भी हैं, जबकि इन लोगों का कोई दोष नहीं है.
उन्होंने इन लोगों के अतिवादी गतिविधियों के चंगुल में फँस जाने के जोखिम का ज़िक्र करते हुए, उन सदस्य देशों के प्रयासों का स्वागत किया जिन्होंने विदेशी लड़ाकों और उनके परिजनों को अपने यहाँ बुला लिया है.
अलबत्ता, ये काम वांछित तात्कालिकता के साथ नहीं हो रहा है, इन लोगों के संरक्षण, पुनर्वास और स्थानीय जीवन में इनका एकीकरण सुनिश्चित करने के लिये, और ज़्यादा प्रयासों की ज़रूरत है.
अवर महासचिव ने दाएश का नैटवर्क और इसके सहयोगियों का दायरा, सीरिया व इराक़ से आगे बढ़ने के बारे में भी जानकारी दी, जो उनके अनुसार, चिन्ताजनक पैमाने और गति के साथ जारी है.
इस गुट की गतिविधियों का मुख्य केन्द्र, अब अफ़्रीका महाद्वीप बनता नज़र आ रहा है, जहाँ मध्य व पश्चिम अफ़्रीका में आतंकवादी गतिविधियाँ गहरा रही हैं, विशेष रूप से बुर्कीनी फ़ासो, कैमेरून, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, माली, निजेर और नाइजीरिया जैसे देश प्रमुख हैं.