जलवायु परिवर्तन: ग्रीनलैण्ड की हिम चादरों का पिघलना, लगातार 25वें वर्ष भी जारी रहा
संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 लगातार ऐसा 25वाँ वर्ष रहा जिस दौरान ग्रीनलैण्ड की महत्वपूर्ण हिम चादर को, पिघलाव के मौसम के दौरान और ज़्यादा नुक़सान हुआ, हालाँकि, उसके बाद सर्दियों के मौसम में कुछ बेहतरी भी हुई.
डेनिश आर्कटिक निगरानी सेवा – पोलर पोर्टल के आँकड़े दर्शाते हैं कि जून में असाधारण रूप से भारी बर्फ़बारी के कारण, गर्मियों का मौसम शुरू में कुछ ठण्डा और गीला रहा, जिसने पिघलाव का मौसम शुरू होने में कुछ देरी की.
ये आँकड़े संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी – WMO की “जलवायु की स्थिति पर वार्षिक रिपोर्ट” का भी हिस्सा हैं.
अलबत्ता, उस सबके बाद, जुलाई के अन्त में आई एक गर्म लहर, हिम चादर के पिघलाव का एक बड़ा कारण बनी.
कुल नुक़सान द्रव्यमान सन्तुलन या औसत के नज़रिये से कहा जाए तो अगस्त 2021 तक समाप्त हुए, 12 महीनों के दौरान, हिम चादर को लगभग 166 अरब टन की हानि हुई.
जलवायु परिवर्तन
इन आँकड़ों का मतलब है कि इस वर्ष को एक औसत वर्ष समझा जा सकता था, मगर पोलर रिपोर्ट में दिखाया गया है कि तेज़ी से होते जलवायु परिवर्तन के कारण, परिदृश्य किस तरह से बदल गया है.
उदाहरण के लिये, वर्ष 1990 के अन्त में, इन आँकड़ों को, बहुत कम सतही द्रव्यमान सन्तुलन या औसत वाला वर्ष कहा जा सकता था.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि गर्मियों के मौसम में शुरुआती दिनों में ठण्ड पड़ने की परिस्थितियाँ, कैनेडा के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से के ऊपर और अमेरिका के पश्चिमोत्तर इलाक़े के ऊपर की परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुई होंगी.
इन इलाक़ों में एक महाविशाल उच्च दबाव वाली व्यवस्था वजूद में आई थी जिसका आकार ग्रीक अक्षर ओमेगा (Ω) की तरह था.
इस तरह का रुझान क्षोभ मण्डल में नियमित रूप से देखा गया है, मगर ये पूर्व में इतना शक्तिशाली कभी नहीं देखा गया.
रिपोर्ट के अनुसार, विश्व मौसम के एक आकलन में दिखाया गया है कि इस स्थिति को, केवल मानव गतिविधि द्वारा वातावरण में उत्पन्न हुई तापमान वृद्धि के परिणाम के रूप में ही परिभाषित किया जा सकता है.
उल्लेखनीय वर्ष
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 अनेक कारणों से उल्लेखनीय रहा.
इसी वर्ष के दौरान, सम्मिट स्टेशन पर, बारिश के रूप में वर्षण दर्ज किया गया. ये सम्मिट स्टेशन समुद्री सतह से 3200 मीटर की ऊँचाई पर हिम चादर के शीर्ष पर स्थित है.
इस वर्ष, सरमेक़ खुजाल्लेक़ ग्लेशियर (हिमनद) पर हिम हानि में तेज़ी देखी गई है, जहाँ अनेक वर्षों से हिम हानि स्थिर रही है.
सर्दियों के दौरान होने वाली बर्फ़बारी भी, वर्ष 1981 और 2010 के बीच की अवधि में औसत रही है जोकि एक अच्छी ख़बर है. क्योंकि सर्दियों में कम बर्फ़बारी और गर्मियों के मौसम में ज़्यादा गर्मी होने के मिश्रण के परिणामस्वरूप, बहुत बड़ी मात्रा में हिम हानि हो सकती है, जैसाकि वर्ष 2019 में देखा गया था.