2021 में 55 पत्रकारों ने गँवाई अपनी ज़िन्दगी, अतीत के अनसुलझे मामलों पर चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के अनुसार, वर्ष 2021 में दुनिया भर में 55 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों ने अपनी जान गवाँई है. वर्ष 2006 के बाद से पत्रकारों के मारे जाने की कुल घटनाओं में के, 87 फ़ीसदी अब भी अनसुलझी हैं.
पिछले एक दशक में किसी एक साल में जान गँवाने वाले पत्रकारों की यह संख्या सबसे कम है, मगर, यूएन एजेंसी ने चिन्ता जताई है कि पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को निशाना बनाए जाने वाले अपराधों के लिये दण्डमुक्ति व्यापक स्तर पर व्याप्त है.
पत्रकारों को अपने कामकाज के दौरान विशाल जोखिमों का सामना अब भी करना पड़ रहा है.
Threats against journalists are threats against fundamental freedoms.More must be done to #EndImpunity for crimes against journalists.https://t.co/cdZ8yTLTtM via @UNESCO pic.twitter.com/UDOXTn3YU9
UN
यूएन एजेंसी की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने कहा कि एक बार फिर, वर्ष 2021 में, बड़ी संख्या में पत्रकारों ने सच्चाई को प्रकाश में लाने के लिये एक भारी क़ीमत चुकाई है
“इस समय, दुनिया को स्वतंत्र, तथ्यात्मक जानकारी की पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है. हमें यह सुनिश्चित करने के लिये और ज़्यादा प्रयास करने होंगे कि जो इसके लिये अथक काम कर रहे हैं, वे बिना किसी भय के ऐसा कर सकें.”
‘UNESCO Observatory of Killed Journalists’ नामक एक कार्यक्रम ने वर्ष 2021 में जान गँवाने वाले 55 पत्रकारों के सम्बन्ध में तथ्य जुटाए हैं.
इनमें से दो-तिहाई पत्रकार उन देशों में मारे गए हैं, जोकि फ़िलहाल सशस्त्र संघर्ष या टकराव के दौर से नहीं गुज़र रहे हैं. मौजूदा हालात, वर्ष 2013 से पूरी तरह उलट हैं, जब दो-तिहाई से अधिक पत्रकारों ने हिंसाग्रस्त देशों में अपनी जान गँवाई थी.
यूएन एजेंसी ने कहा है कि ये दर्शाता है कि ग़लत कृत्यों को उजागर करने के काम में जुटे, पत्रकार निरन्तर जोखिमों का सामना कर रहे हैं.
पिछले साल अधिकतर पत्रकारों ने एशिया-प्रशान्त (23 मौतें) और लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र (14 मौतें) में अपनी जान गँवाई हैं.
यूनेस्को का कहना है कि जान गँवाने वाले पत्रकारों की संख्या में कमी आने के बावजूद, इन अपराधों के लिये दण्डमुक्ति चिन्ताजनक ढंग से व्याप्त है.
आँकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2006 के बाद से पत्रकारों के मारे जाने की कुल घटनाओं में 87 फ़ीसदी मामले अब भी अनसुलझे हैं.
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने हाल ही में, म्याँमार में एक सैन्य हमले के दौरान गोलीबारी में, साइ विन आँग नामक पत्रकार की मौत होने की निन्दा की थी.
मृतक पत्रकार, कायिन प्रान्त में रह रहे शरणार्थियों की व्यथा पर, फ़ेडेरल न्यूज़ जर्नल के लिये रिपोर्टिंग कर रहे थे. यूनेस्को ने कुछ ख़बरों का हवाला देते हुए बताया कि कथित रूप से म्याँमार के सशस्त्र बलों द्वारा की गई घातक गोलाबारी में वह गम्भीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
विश्व भर में पत्रकारों को बन्दी बनाए जाने, शारीरिक हमले होने, डराए-धमकाए जाने, प्रताड़ित किये जाने जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से विरोध-प्रदर्शनों की कवरेज करने वाले पत्रकारों को.
महिला पत्रकार विकट हालात में काम करती हैं, जहाँ उन्हें ऑनलाइन माध्यमों पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.
यूनेस्को ने अप्रैल 2021 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जो दर्शाती है कि एक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली तीन-चौथाई महिलाओं ने कामकाज के सम्बन्ध में ऑनलाइन हिंसा का अनुभव करने की बात स्वीकार की थी.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी, यूनेस्को पर, विश्व में अभिव्यक्ति की आज़ादी और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दायित्व है.
यूनेस्को, पत्रकारों की सुरक्षा और दण्डमुक्ति के मुद्दे पर यूएन की कार्ययोजना को लागू किये जाने में समन्वयक की भूमिका भी निभाता है. वर्ष 2022 में इस कार्ययोजना की दसवीं वर्षगाँठ है.
संगठन व्यवस्थागत ढंग से हर पत्रकार के मारे जाने की घटना की निन्दा करता है और सम्बद्ध प्रशासन से पूर्ण जाँच की मांग की जाती है.
यूनेस्को द्वारा पत्रकारों और न्यायिक पक्षकारों के लिये प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जाता है और देशों की सरकारों के साथ मिलकर समर्थक नीतियाँ व क़ानून विकसित किये जाते हैं.
इसके अलावा, इन मुद्दों के बारे में, हर वर्ष 3 मई को मनाए जाने वाले ‘विश्व प्रैस स्वतंत्रता दिवस’ जैसे आयोजनों के ज़रिये, जागरूकता का प्रसार किया जाता है.