जलवायु परिवर्तन का सामना करने में व्यापार की अहम भूमिका – नई रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में स्थित देशों की अर्थव्यवस्थाओं को तत्काल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती करने की ज़रूरत है. ऐसा करना, सीमाओं पर कार्बन टैक्स में बढ़ोत्तरी की सम्भावना के मद्देनज़र, व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के नज़रिये से अहम होगा.
बताया गया है कि एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और निर्माण उद्योग में एक करोड़ 60 लाख नए रोज़गार सृजित किये जा सकते हैं.
उद्योगों के आकार में आई गिरावट से 50 लाख रोज़गारों के नुक़सान का अनुमान है, जिसकी भरपाई आसानी से की जा सकेगी.
Globalization has lifted billions of people out of poverty in #AsiaPacific, but the economic growth supported by existing trade and investment policies has come at a steep cost to the #environment. Solution: climate-smart #TradeAndInvestment. #APTIR 📄 https://t.co/65nzaWUvHt pic.twitter.com/4V6uRWqK96
UNESCAP
एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के लिये यूएन आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (UNESCAP), व्यापार एवं विकास पर यूएन सम्मेलन (UNCTAD) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने सोमवार को ‘Asia-Pacific Trade and Investment Report 2021’ नामक यह रिपोर्ट साझा रूप से जारी की है.
रिपोर्ट के मुताबिक़ जलवायु-स्मार्ट नीतियों की एक बड़ी क़ीमत है, विशेष रूप से कार्बन-गहन सैक्टरों व अर्थव्यवस्थाओं के लिये, मगर कार्रवाई का अभाव, महंगा साबित हो सकता है.
कुछ अनुमानों के अनुसार, यदि पैरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य हासिल नहीं किये गए तो यह आँकड़ा 792 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है.
यूएन आर्थिक एवं सामाजिक आयोग की कार्यकारी सचिव आर्मिदा सालसाहिया अलिसजबाना ने रिपोर्ट जारी करते हुए याद किया कि अहम व्यापारिक साझीदार, कार्बन पर सीमा कर (border tax) लगाने पर विचार कर रहे हैं.
उन्होंने सचेत किया कि इसकी वजह से विकासशील देशों पर होने वाले असर पर गहरी चिन्ताएँ हैं, और क्षेत्र की अनेक अर्थव्यवस्थाओं पर महत्वपूर्ण बाज़ारों से बाहर धकेल दिये जाने का जोखिम मंडरा रहा है.
कोविड-19 पुनर्बहाली पैकेजों के ज़रिये, निम्न-कार्बन टैक्नॉलॉजी और सैक्टरों में अवसर पैदा किये जा सकते हैं.
एशिया-प्रशान्त क्षेत्र, फ़िलहाल ग्रीनहाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक है. नई रिपोर्ट दर्शाती है कि इन अर्थव्यवस्थाओं को हरित बनाया जा सकता है.
उदाहरणस्वरूप, जीवाश्म ईंधन और उन पर दी जाने वाली सब्सिडी की तुलना में, पर्यावरणीय सामान में व्यापार के रास्ते में अभी ज़्यादा अवरोध मौजूद हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दो नीतियों को समय रहते ख़त्म करके और उनके बजाय, ज़्यादा लक्षित उपायों के इस्तेमाल से वित्त पोषण का प्रबन्ध किया जा सकता है. इससे कार्बन उत्सर्जनों में कटौती करने में मदद मिलेगी.
अन्य प्रस्तावों में जलवायु-स्मार्ट और अन्य पर्यावरणीय सामान में व्यापार उदारीकरण सुनिश्चित करना, जलवायु-अनुकूल परिवहन की दिशा में आगे बढ़ना, व्यापार समझौतों में जलवायु मुद्दों को समाहित करना, कार्बन की क़ीमत तय किया जाना सहित अन्य क़दम हैं.
व्यापार एवं विकास पर यूएन सम्मेलन की प्रमुख रेबेका ग्रीनस्पैन बताया कि व्यापार, निवेश और जलवायु परिवर्तन के बीच जटिल सम्बन्ध हैं.
उनके अनुसार, व्यापार एवं निवेश के सकारात्मक नतीजों को अधिकतम स्तर पर ले जाना ज़रूरी है.
इसके लिये नवीकरणीय ऊर्जा और निम्न-कार्बन टैक्नॉलॉजी में संसाधन निवेश और व्यापार को बढ़ावा देना होगा.
साथ ही, परिवहन प्रणालियों और व्यापार के डिजिटलीकरण से होने वाले नकारात्मक नतीजों को न्यूनतम बनाना होगा.
रिपोर्ट बताती है कि क्षेत्रीय व्यापार समझौतों से मदद मिल सकती है, और यह बदलाव दिखाई देने लगा है ,और ऐसे समझौतों में पर्यावरणीय प्रावधानों की ओर रुझान बढ़ रहा है.
यह पहली बार है जब इस रिपोर्ट में, क्षेत्र में सीमा कार्बन समायोजन (border carbon adjustment) के असर की पड़ताल की गई है.
साथ ही, पहली बार, एक इण्डेक्स के ज़रिये जलवायु-स्मार्ट व्यापार और निवेश नीतियों की समीक्षा की गई है.